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हल्द्वानी हिंसा पर बोले बीजेपी विधायक दिलीप रावत, अब प्रशासन को कार्रवाई से पीछे नहीं हटना चाहिए

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 9, 2024, 4:10 PM IST

Haldwani violence नैनीताल जिले के हल्द्वानी में गुरुवार को अवैध मदरसा और अवैध धार्मिक स्थल तोड़े जाने से शहर में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें कई लोगों की जान चल गई और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल भी हैं. वहीं अब इस मामले पर बीजेपी विधायक दिलीप रावत का बयान आया है. उन्होंने कहा कि अब उपद्रवियों के खिलाफ प्रशासन को पीछे नहीं हटना चाहिए.

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देहरादून: हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा में गुरुवार को दो लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हैं. अभी भी हल्द्वानी में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. वहीं, अब हल्द्वानी हिंसा पर राजनेताओं के बयान भी आने लगे हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पौड़ी जिले की लैंसडाउन विधानसभा सीट से विधायक दिलीप रावत का भी बयान आया है. उन्होंने कहा कि हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा देवभूमि के लिए दुर्भाग्यपूर्ण घटना है.

साथ ही बीजेपी विधायक दिलीप रावत ने कहा कि विशेष समुदाय की प्रकृति है कि वो पहले सरकारी जमीनों पर कब्जा करते हैं और फिर धार्मिक स्थल बनाते हैं. वहीं जब प्रशासन उसे अवैध कब्जे को हटता तो लोग प्रशासन की टीम पर हमला कर देते हैं.

विधायक दिलीप रावत का कहना है कि उत्तराखंड में पहले भी इस तरह की छुटपुट घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इतने बड़े स्तर पर कभी हिंसा नहीं हुई थी. हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा को देखकर लगता है कि उपद्रवियों को बाहरी ताकतों से सह मिली है. ऐसे में उपद्रवियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी जरूरी है.

वहीं एक सवाल के जवाब में विधायक दिलीप रावत ने कहा कि हल्द्वानी हिंसा का कारण यूसीसी (यूनिफॉर्म सिविल कोड) नहीं है, ये हिंसा जमीन को लेकर हुई है. क्योंकि वहां पर अवैध रूप से धार्मिक स्थल और मदरसा बना हुआ था. शासन-प्रशासन को बैकफुट पर लाने के लिए उपद्रवियों को बाहरी ताकतों का साथ मिला है, ताकी उनके अवैध कारनामों के खिलाफ कार्रवाई न हो सके.

विधायक दिलीप रावत ने कहा कि हल्द्वानी हिंसा को सरकार को गंभीरता से लेकर सख्ती से निपटना चाहिए. विधायक ने कहा कि उनका व्यक्तिगत सोचना है कि स्थानीय प्रशासन को इसका पहले से ही आभास होना चाहिए था. ऐसे में स्थानीय प्रशासन की भी चूक हो सकती है, लेकिन अब प्रशासन को पीछे नहीं हटना चाहिए. साथ ही उत्तराखंड राज्य में जिस तरह से विशेष समुदाय के लोगों की संख्या बढ़ रही है, उसपर भी रोक लगानी चाहिए.

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