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ड्रग्स डीलर, उग्रवादी और अपराधियों का हथियार बना ज़ंगी एप, परेशान पुलिस खोज रही काट - Police troubled by Zangi app

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 2, 2024, 8:07 PM IST

झारखंड पुलिस इन दिनों जंगी एप से परेशान है. दरअसल अपराधी अब इस एप का इस्तेमाल कर वारदात को अंजाम दे रहे हैं. एक दूसरे बात करने के लिए भी नक्सली या अपराधी इसी एप का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में पुलिस के लिए इन्हें ट्रेस कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है.

POLICE TROUBLED BY ZANGI APP
POLICE TROUBLED BY ZANGI APP

डीजी सीआईडी और एसएसपी रांची का बयान

रांची:झारखंड के मोस्ट वांटेड अपराधी, उग्रवादी और ड्रग्स डीलर पुलिस से बचने के लिए जंगी मोबाइल एप का प्रयोग कर रहे हैं. हाल के दिनों में गिरफ्तार कुछ उग्रवादियों ने पुलिस के सामने यह खुलासा किया है जिसके बाद पुलिस जंगी एप को प्रतिबंधित करवाने की कोशिश में जुट गई है.

जंगी के नेटवर्क ट्रेस नहीं होते

किसी भी किस्म के अपराधी को गिरफ्तार करने के लिए और उसके ठिकानों तक पहुंचाने के लिए अपराधी का मोबाइल नेटवर्क पुलिस का सबसे बड़ा मददगार होता है. लेकिन इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव ने अपराधियों तक कुछ ऐसे मोबाइल एप पहुंचा दिए हैं जिसकी वजह से उन्हें ट्रेस करना काफी मुश्किल हो गया है. ऐसा ही एक एप है जंगी (ZANGI). झारखंड के सभी उग्रवादी संगठन, ड्रग्स डीलर और संगठित अपराधीक गिरोह के सदस्य आपस में बातचीत करने के लिए जंगी एप का प्रयोग कर रहे हैं. पुलिस अधिकारियों के अनुसार जंगी एप से किए जाने वाले कॉल को ट्रेस नहीं किया जा सकता है. इसी का फायदा अपराधी और उग्रवादी उठा रहे हैं.

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10 डिजिट का यूनिक नंबर उपलब्ध करवाता है एप

जंगी एप प्ले स्टोर पर उपलब्ध है. इसे फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है. दरअसल यह एप आपके मोबाइल में 10 डिजिट का एक यूनिक नंबर उपलब्ध करवाता है. जिसके जरिए अपराधी अपने साथियों के साथ बात करते हैं. साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि जंगी एप एक मैसेंजर एप है जो सर्वर लेस होता है. इसके द्वारा की गई बातचीत का डाटा सिर्फ यूजर के मोबाइल पर ही स्टोर होता है, इस फीचर की वजह से इसे पूरी तरह से प्राइवेट एप माना जाता है. एप डाउनलोड करने के बाद जब आप इसमें अपना नाम डालेंगे तो आपको एक 10 डिजिट का नंबर एप के द्वारा प्रोवाइड किया जाएगा.

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जब भी आप इस किसी को इस एप के जरिए कॉल करेंगे तो दूसरे के पास आपका अपना मोबाइल नंबर न जाकर एप का नंबर दूसरे के पास जाएगा. मसलन अगर आपका नंबर 93xxxxxx है और आप जंगी एप के जरिये किसी को कॉल करेंगे तो उसके मोबाइल में 10-4232-2134 जैसे नंबर से कॉल जाएगा, अगले के मोबाइल स्क्रीन पर 10-4232-2134 नंबर ही नजर आएगा, इसमे कॉलर का वास्तविक नंबर नहीं दिखेगा.

जंगी एप से पुलिस परेशान

रांची पुलिस के जांच में बात सामने आई है कि कुख्यात अपराधी से लेकर उग्रवादी संगठन भी जंगी एप का प्रयोग कर रहे हैं. रांची के सीनियर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि पिछले सप्ताह उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के एरिया कमांडर सूरज यादव को गिरफ्तार किया गया था. सूरज को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को काफी मेहनत करनी पड़ी थी. गिरफ्तारी के बाद सूरज ने ही खुलासा किया था कि उसके सुप्रीमो दिनेश गोप (फिलहाल जेल में बंद) से लेकर सभी जोनल कमांडर, कमांडर और कैडर भी जंगी एप का प्रयोग कर एक दूसरे से बात करते हैं. इसी एप के जरिए उन्हें किस कारोबारी से रंगदारी मंगानी है किसके कारोबार पर हमला करना है यह सभी इनपुट दिया जाता था.

ड्रग्स माफिया भी करता है प्रयोग

झारखंड सीआईडी के डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार जंगी एप ट्रेस न किया जाने वाला नेटवर्क है. लेकिन हम इस पर काम कर रहे हैं और इस एप का प्रयोग करने वाले अपराधी भी सलाखों के पीछे जाएंगे. सीआईडी डीजी के अनुसार यह सही है कि इस एप का प्रयोग अपराधी तो कर ही रहे हैं साथ-साथ ड्रग्स डीलर भी इसी का प्रयोग कर रहे हैं.

पहले से ही इंटरनेट कॉल बना हुआ है अबूझ पहेली

जंगी एप का अपराधी और उग्रवादी धड़ल्ले से प्रयोग कर रहे हैं यह पुलिस की जांच में सामने आ चुका है. इससे पहले भी इंटरनेट और वर्चुअल कॉल पुलिस के लिए परेशानी के सबब बने ही हुए थे. अपराधी-नक्सली इन दिनों इंटरनेट कॉल का इस्तेमाल कर रंगदारी और धमकी के लिए कॉल कर रहे हैं. तकनीक की जानकारी रखने वाले बदमाश टेक्नालॉजी का इस्तेमाल करके इंटरनेट कालिंग कर रहे हैं.

फेक नंबर से आने वाली कॉल को ट्रैक कर पाना आसान नहीं होता है. इंटरनेट से आने वाली कॉल रांची पुलिस के लिए आफत बन रही है. कॉल करने वाले इंटरनेट के जरिए फोन कर रहे हैं. इस वजह से आईपी एड्रेस ट्रेस करने में समय लगता है. इंटरनेट के जरिए कॉल की सेवा देने वाली ज्यादातर कंपनियों के ऑफिस विदेशों में हैं.

फर्जी आईडी के जरिए रजिस्ट्रेशन कराकर किसी सॉफ्टवेयर के जरिए फ़ोन करना वर्तमान में बेहद आसान हो गया है. यही वजह है कि हाईटेक होते बदमाशों ने पुलिस की नाक में दम करना शुरू कर दिया है. ज्यादातर मामलों में सर्विलांस के जरिए शातिरों तक पहुंचने वाली पुलिस को छकाने के लिए बदमाश इंटरनेट कॉलिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. पहले से ही व्हाट्सअप कॉल से परेशान पुलिस के लिए इंटरनेट के वर्चुअल नंबर और जंगी जैसे एप मुसीबत का सबब बनते जा रहे.

प्रतिबंधित करने के लिए लिखा जाएगा पत्र

वहीं, दूसरी तरफ रांची पुलिस जंगी एप को प्रतिबंधित करवाने के लिए पुलिस मुख्यालय के जरिए एमएचए को पत्र लिखने वाली है. पुलिस अधिकारियों के अनुसार जल्द ही इस मामले में पत्र पुलिस मुख्यालय के जरिए केंद्र को भेजा जाएगा.

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