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बर्फ की सफेद चादर से ढका केदारधाम, शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीरायण में भी हिमपात

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 1, 2024, 11:49 AM IST

Updated : Feb 1, 2024, 1:50 PM IST

केदारनाथ घाटी में भी बीती रात से बर्फबारी हो रही है. बर्फबारी होने से सभी के चहरे खिले हुए हैं. निचले इलाकों में बारिश हो रही है, जिससे काश्तकार भी काफी खुश हैं.

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सफेद बर्फ की चादर से ढका केदारधाम

सफेद बर्फ की चादर से ढका केदारधाम

रुद्रप्रयाग: लंबे इंतजार के बाद पहाड़ों में बारिश और बर्फबारी का दौर शुरू हो गया है. बुधवार देर रात से केदारनाथ, शिव पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, कार्तिक स्वामी सहित पर्यटक स्थल चोपता में जमकर बर्फबारी हो रही है. दूसरी ओर निचले क्षेत्रों में भी बारिश हो रही है. इस बारिश और बर्फबारी से प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार हुआ है, जबकि काश्तकारों के चेहरों पर भी मुस्कान देखने को मिल रही है.

बता दें मौसम विभाग ने हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी तो निचले क्षेत्रों में बारिश की चेतवानी जारी की थी. मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार पहाड़ों पर बर्फबारी तो नीचे बारिश का दौर जारी है. बारिश और बर्फबारी कल देर रात से जारी है. केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ धाम, कार्तिक स्वामी मंदिर सहित अन्य हिमालयी क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी हो रही है. केदारनाथ धाम में बर्फबारी होने से ठंड काफी बढ़ गयी है. इससे यहां रह रहे आईटीबीपी, पुलिस जवानों के साथ ही साधु-संतों को भी ठंड का सामना करना पड़ रहा है.

पढ़ें-उत्तराखंड में साल की पहली बर्फबारी, चांदी से चमक रहे टूरिस्ट प्लेस, पर्यटकों के खिले चेहरे

शिव-पार्वती विवाह स्थली त्रियुगीनारायण में भी बर्फबारी हो रही है. दूसरी ओर से मिनी स्विटजरलैंड चोपता में भी बर्फबारी हो रही है. यहां पर दिसम्बर और जनवरी माह में बर्फबारी नहीं होने से स्थानीय लोगों का पर्यटन व्यवसाय चौपट हो गया था. अब फरवरी माह शुरू होते ही बर्फबारी होने से स्थानीय लोगों को सैलानियों का इंतजार है. चोपता में बर्फबारी होने के बाद पर्यटकों की आमद रहती है, लेकिन समय से बर्फबारी नहीं होने से स्थानीय लोगों के व्यवसाय पर प्रभाव पड़ा है. इसके अलावा बधाणीताल, देवरियाताल के साथ ही अन्य पर्यटक स्थलों में भी बर्फबारी देखने को मिल रही है. ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी और निचले इलाकों में बारिश होने से काश्तकारों के चेहरे भी खिल उठे हैं. लम्बे समय से बारिश नहीं होने से काश्तकारों के चेहरे मुरझाये हुए थे. प्राकृतिक जल स्रोत भी सूख गए थे. अब हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले इलाकों में बारिश होने से काश्तकारों की खेती को बल मिलने लगा है. साथ ही प्राकृतिक जल स्रोत भी रिचार्ज होंगे.

Last Updated :Feb 1, 2024, 1:50 PM IST

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