छत्तीसगढ़

chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में तेंदुओं की आबादी में बड़ी गिरावट, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 3, 2024, 7:54 PM IST

decline in leopard population छत्तीसगढ़ में वाइल्डलाइफ के मोर्चे पर चिंता की खबर सामने आई है. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की रिपोर्ट में तेंदुओं की अनुमानित आबादी में गिरावट दर्ज की गई है. leopard population in Chhattisgarh, Union Ministry of Environment and Forests

Etv Bharat
Etv Bharat

रायपुर: छत्तीसगढ़ में तेंदुओं की आबादी में रिकॉर्ड गिरावट दर्ज की गई है. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की साल 2022 की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि प्रदेश में तेंदुओं की संख्या 722 है. जबकि साल 2018 में छत्तीसगढ़ में तेदुओं की संख्या 852 थी. इस तरह चार साल में 130 तेंदुओं की संख्या घटी है. 29 फरवरी को जारी इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. भारत में तेदुओं की स्थिति नाम से यह रिपोर्ट जारी हुई है.

किन कारणों से हुई तेंदुओं की संख्या में गिरावट: इस रिपोर्ट को लेकर वन्य जीव प्रेमियों ने चिंता जताई है. रिपोर्ट में तेंदुओं की संख्या की गिरावट की जिन वजहों को दर्शाया गया है. उनमें तेंदुए का शिकार और तेंदुए के निवास स्थान की हानि का जिक्र किया गया है. इस रिपोर्ट को लेकर वन्य जीव विशेषज्ञों ने तेंदुए के अवैध शिकार को रोकने और लोगों के बीच जागरुकता फैलाने पर जोर देने की बात कही है. यह रिपोर्ट राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, भारतीय वन्यजीव संस्थान और राज्य के वन विभाग के सहयोग से तैयार की गई है.

वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे: इस रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2022 में तेंदुओं की अनुमानित आबादी 722 है, जो 2018 में 852 के पिछले अनुमान की तुलना में गिरावट को दर्शाती है. छत्तीसगढ़ में 55,717 वर्ग किमी का वन क्षेत्र है, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 41.21 प्रतिशत है. छत्तीसगढ़ को पर्यावरण और वन के भौगोलिक स्थिति के आधार पर तीन ब्लॉक में बांटा गया. यह उत्तरी, मध्य और दक्षिणी छत्तीसगढ़ के तौर पर बांटा गया है.उत्तरी छत्तीसगढ़ गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान-तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य का घर है, जो मध्य प्रदेश के जंगलों और अचानकमार टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है.मध्य छत्तीसगढ़ में उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व और गोमर्डा वन्यजीव अभयारण्य के साथ निकटवर्ती वन प्रभाग शामिल हैं, जबकि दक्षिणी क्षेत्र में इंद्रावती टाइगर रिजर्व और बस्तर क्षेत्र के क्षेत्रीय वन क्षेत्र शामिल हैं

रिपोर्ट में और क्या कहा गया: रिपोर्ट के मुताबिक अचानकमार, उदंती सीतानदी और इंद्रावती बाघ अभयारण्यों में क्रमशः 76, 28 और तीन तेंदुओं की अनुमानित आबादी है. इसके अलावा इन जंगलों और अभयारण्यों में बड़ी बिल्ली की संख्या 108,52 और तीन हैं. कैमरे के जरिए ट्रैप करने में छत्तीसगढ़ के जंगलों में 96 अद्वितीय तेंदुए पाए गए. तेंदुओं की अधिकांश आबादी (75 प्रतिशत) संरक्षित क्षेत्रों से बाहर है और प्रादेशिक जंगलों में केंद्रित है. अचानकमार टाइगर रिजर्व में तेंदुए की डेनसिटी 7.19 प्रति 100 वर्ग किमी थी, जो 2018 के पिछले अनुमान से बहुत अलग नहीं है.उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में गिरावट देखी गई है.

"उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व जो की छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा से सटा हुआ है. यहां वन्य जीवों की निगरानी के लिए वन कर्मी पेट्रोलिंग करते हैं. वन्यजीवों के शिकार को रोकने के लिए हम सूचना तंत्र को मजबूत करने और सक्रिय करने का काम कर रहे हैं. साल 2018 में तेंदुए की स्थिति और मूल्यांकन के दौरान यहां 283 ट्रैप कैमरे लगाए गए थे. साल 2022 में इन कैमरों की संख्या बढ़कर 142 हो गई है. इस गिरावट की वजह वामपंथी उग्रवाद है जो इस टाइगर रिजर्व की सीमा और ओडिशा की सीमा से लगता है.": वरुण जैन, उप निदेशक, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व

"यहां साल 2019 से साल 2022 तक कोई बाघ की तस्वीर नहीं थी. लेकिन अक्टूबर 2022 में वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में ट्रैप कैमरे लगाए गए और तीन साल में एक बाघ की तस्वीर कैद की गई. इस साल हमने 280 कैमरे लगाने का काम किया है. जिसके जरिए तेंदुए की तस्वीर खींचने का काम किया जा रहा है. तेंदुए की संख्या में गिरावट की एक वजह तेंदुओं का अवैध शिकार भी है": वरुण जैन, उप निदेशक, उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व

शिकारियों पर नकेल कसने की कवायद तेज: वरुण जैन ने बताया कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा सीमा पर शिकारियों पर नकेल कसने के लिए ओडिशा स्पेशल टास्क फोर्स ने कार्रवाई की है. बीते साल में तीस से अधिक तंदुए की खालें जब्त की गई है. छत्तीसगढ़ की तरफ से अवैध शिकार विरोधी टीम की तैनाती की गई है. जो अपने मुखबिरों के नेटवर्क को मजबूत करने का काम कर रही है. छत्तीसगढ़ की टीम ने 120 से ज्यादा लोगों को वन्य जीवों के शिकार के आरोप में गिरफ्तार किया है. साल 2020-2022 की तुलना में पैदल गश्त के दायरे को बढ़ाकर साल 2023 में 1,10,000 किलोमीटर तक किया गया है.

"जंगली सूअर और अन्य छोटे जानवरों का शिकार करने के लिए ग्रामीणों की तरफ से बिछाए गए बिजली के तार तेंदुए की मौत के मुख्य कारणों में से एक हैं. अवैध अतिक्रमण, खनन और कृषि रूपांतरण के कारण जंगल कम हुए हैं. जिसकी वजह से तेंदुए शिकार की तलाश में मानव बस्तियों का रुख कर रहे हैं. तेंदुए आवारा कुत्ते और छोटे मवेशियों पर जीवित रहते हैं. तेंदुओं पर ग्रामीणों द्वारा हमला किया जाता है और उन्हें मार दिया जाता है. ऐसी घटनाएं गरियाबंद, कांकेर और महासमुंद की बस्तियों में देखे गए हैं. नियमित गश्त और वन्यजीवों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने से इस समस्या से निपटा जा सकता है. वन विभाग को जंगलों में तेंदुओं के लिए शिकार यानि भोजन का प्रबंध करना चाहिए. जैसा बाघों के लिए किया गया है वैसा करना चाहिए": मंसूर खान, वन्यजीव संरक्षणवादी, बिलासपुर

छत्तीसगढ़ में तेदुए की संख्या में गिरावट वन एवं पर्यावरण के लिए चिंता का विषय है. इससे पारिस्थितिकी तंत्र पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.

धमतरी के वनांचल से तेंदुए का शव बरामद , वन विभाग में हड़कंप

कांकेर में तेंदुए ने महिला को बनाया शिकार, कोरर रेंज में दहशत

ओडिशा छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर तेंदुए की खाल की तस्करी, पांच तस्कर गिरफ्तार

ABOUT THE AUTHOR

...view details