पटनाः बिहार सहित पूरे भारत में गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और इसके साथ ही पशुपालकों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं. वजह है गाय-भैंसके दूध उत्पादन में भारी कमी. तेज गर्मी के कारण आखिर दूध-उत्पादन पर इतना असर क्यों पड़ता है और गर्मी में भी पहले की तरह ही दूध-उपादन होता रहे इसके लिए कई अहम बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
गर्मी में चारे की कमीः सामान्य तौर पर ये देखा जाता है कि गर्मी के दिनों में फसलों की कटाई के बाद पशुओं के लिए हरे चारे की कमी हो जाती है. हरे चारे की कमी और तेज गर्मी के कारण पशु चाव से खाना नहीं खाते हैं जिसके कारण दूध-उत्पादन में कमी होने लगती है. पशुपालक गिरिजा राय बताते हैं कि "हर साल गर्मी के मौसम में चारे की समस्या और गर्मी के कारण गाय भैंस चाव से नहीं खाते हैं जिस कारण से दूध में कमी आ जाती है."
गायों के लिए अनुकूल नहीं है गर्मी का मौसमःगर्मी से बचाने के लिए पशुपालक अपने पशुओंं को पंखा की हवा खिला रहे हैं. दिन भर में दो से तीन बार अपने मवेशियों को नहला रहे हैं ताकि उनको तपिश से राहत मिल सके. इसके बावजूद भी गाय-भैंसों के दूध उत्पादन की क्षमता घट गई है. पशुपालक बताते हैे कि "भैंसें तो थोड़ी-बहुत गर्मी बर्दाश्त भी कर लेती हैं लेकिन गायें बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाती हैं. दोपहर में तो हांफते-हांफते सुस्त भी हो जाती हैं."
हरे चारे की जगह मिल रहा रूखा-सूखा खानाः पशुपालक गिरिजा राय ने बताया कि "अभी हरा चारा मिलना मुश्किल है, इसलिए मवेशियों को रूखा-सूखा और चोकर खिला रहे हैं. मक्के का दर्रा भी खिला रहे हैं इसके बावजूद दूध-उत्पादन में कमी आई है. पहले एक भैंस 10 लीटर दूध करती थी वह अब 5 से 6 लीटर पर आ गई है."
गर्मी के कारण पाचन शक्ति कमजोर हो जाती हैः दूध-उत्पादन में कमी का सबसे बड़ा कारण होता है गर्मी में पशुओं का पाचन शक्ति कमजोर हो जाना. वेटनरी डॉक्टर बिपिन कुमार के मुताबिक "पशुओं में दूध-उत्पादन के लिए पशुओं के शरीर में जितने इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी की जरूरत होती है वो गर्मी में पूरी नहीं हो पाती है. इसके अलावा पशुओं में तनाव और स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है लिहाजा दूध-उपादन में भारी कमी होने लगती है."