पटना: बिहार के सुपौल जिले में कोसी नदी पर बन रहे बकौर पुल का हिस्सा गिरने के कुछ ही घंटों बाद बिहार सरकार ने जांच का ऐलान कर दिया है. बिहार के उप मुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा फिलहाल दोषियों को बख्शने के मूड में नहीं है. लेकिन एक बार फिर यह सवाल उठने लगे कि बिहार में ही बार-बार पुल गिरने की घटना क्यों होती है?.
भारत का सबसे बड़ा पुल बन रहा था :भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत सुपौल के बकौर से मधुबनी के भेजा के बीच यह पुल बनाया जा रहा है. कोसी नदी पर बन रहे इस पुल की लंबाई करीब 10.2 किलोमीटर है, जबकि एप्रोच रोड मिलाकर पुल की लंबाई 13.3 किलोमीटर हो जाएगी. इसकी लागत 1200 करोड़ करोड़ और इसे भारत का सबसे लंबा पुल बनाया जा रहा है.
उद्घाटन से पहले गिरा बकौर पुल का हिस्सा :बकौर पुल साल 2023 तक बन जाना था, लेकिन किसी कारण इससे बनने में देरी हुई अब इसका काम दिसंबर 2024 तक संभावित है. हालांकि, शुक्रवार सुबह बकौर पुल के तीन पिलर 50, 51 और 52 का गार्डर भड़भड़ाकर गिर गया. बता दें कि देश का सबसे लंबा सड़क पुल असम का भूपेन हजारिका सेतु है, जिसे ढोला सदिया सेतु के नाम से जाना जाता है, ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस पुल की लंबाई 9.15 किलोमीटर है.
''भेजा-बकौर के बीच मरीचा के पास एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिरने से एक की मौत हो गई और 9 लोग घायल हुए हैं. जख्मी को एक एक लाख रूपये और मरने वाले को 10 लाख की राशि दी जाएगी''.- कौशल कुमार, सुपौल डीएम
सामरिक दृष्टिकोण से भी बकौर पुल अहम : बता दें कि इस पुल के बनने से सुपौल से मधुबनी की दूरी 30 किलोमीटर कम हो जाएगी, यानी मधुबनी से सुपौल जाने के लिए जो 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी, पुल बनने के बाद 70 किलोमीटर रह जाएगी. वहीं सामरिक दृष्टिकोण से भी बकौर पुल बहुत अहम है. इस पुल के बनने से नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ उत्तर पूर्व आना-जाना भी आसान हो जाएगा.
पुल का हिस्सा टूटकर क्यों गिर जाता हैं? : अब सवाल यह उठता है कि आखिर बिहार मे बार-बार पुल का हिस्सा टूटकर क्यों गिर जाता हैं?. इससे पहले भी पुल टूटकर गिर चुके हैं, कई लोगों की जान जा चुकी है, फिर भी हादसे नहीं रुक रहे हैं. आपको हैरानी होगी कि बीते 24 महीनों में 8 से 10 पुल टूटकर गिर चुके हैं. इनमें कई निर्दोष लोगों की मौत भी हो चुकी है. जांच बैठती है, और दोषी कौन?, यह सवाल फाइलों गुम हो जाता है?
क्या कहते है एक्सपर्ट? : कोसी के इलाके में लगातार नदी संरक्षण पर काम कर रहे महेंद्र यादव बताते हैं कि यह पुल जो गिरा है, यह तकनीकी रूप से खराब काम की वजह से गिरा है. इसमें नदी का कोई अवरोध नहीं है. स्लैब रखना और टेक्निकल जो पार्ट है उसके खराब काम के कारण यह पुल गिरा है. नदी की धारा को कोई अवरोध नहीं मिल रहा था. पिछला पुल जो बना था जिसे हम लोग कोशी महा सेतु के नाम से जानते हैं. उसमें नदी में अवरोध पैदा हुआ था. गाईड बांध बनाकर दोनों तटबंधों को घटाकर काम किया गया था. स्थानीय लोगों ने विरोध भी किया था. उसमें तकनीकी रूप से गड़बड़ी की गई थी.
''पुणे के एक लैब का रिपोर्ट है कि पुल जब भी बनेगा तो तटबंधों को सामान्य रखना चाहिए. नदी की धारा में में कोई अवरोध नहीं होना चाहिए. ये पिछली बार हुआ था लेकिन, इस बार पिलर की दूरी सामान्य रखी गई है. इसमें कोई अवरोध देखने को नहीं मिला है. यह पूरी तरह से निर्माण कार्य में हुई लापरवाही की वजह से पुल गिरा है.''- महेंद्र यादव, नदी विशेषज्ञ
क्यों बोले बिहार के पथ निर्माण मंत्री? :इस मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री व पथ निर्माण मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि, ''एक निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिर गया. हादसे में एक व्यक्ति की मृत्यु की खबर है, 10 लोग घायल हुए हैं. मृतक के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा संबंधित एजेंसी द्वारा दिलवाया जाएगा. साथ ही मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."
तेजस्वी ने कहा- 'पुल गिरना एक परंपरा' : बिहार में एक बार फिर पुल गिरा तो सियासत भी शुरू हो गई. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा, ''बिहार में सुपौल-मधुबनी के भेजा-बकौर के बीच कोसी नदी पर 1200 करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल गिरने से एक बड़ा हादसा हो गया जिसमें कई श्रमिकों के दबने, घायल एवं मृत्यु होने की सूचना मिली है. डबल इंजन सरकार में करोड़ों के पुल गिरना एक परंपरा बन गयी है. सरकार घायलों के समुचित इलाज की व्यवस्था, मुआवजा राशि और दोषी कंपनी व अधिकारियों पर कारवाई करें."
बिहार में पुल गिरने की कहानी : अब आइये बिहार में गिरते पुल और उठते सवालों के बीच यह जान लेते है कि पिछले 24 महीने यानी 2 साल में बिहार कब-कब और कहां पुल गिरने की घटना सामने आई हैं, आइये जानते है.
22 मार्च 2023 सुपौल :बिहार के सुपौल जिले में बकौर में बन रहे बकोसी नदी पर बन रहे पुल का स्लैब गिर गया, हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई. करीब 1200 करोड़ की लागत से यह पुल तैयार किया जा रहा था. पुलिस की लंबाई करी ब10.2 किलोमीटर है.
24 जून 2023, किशनगंज :बिहार के किसनगंज में मेची नदी पर बन रहा पुल धंस गया. ठाकुरगंज और बहादुरगंज के बीच मेची नदी पर छह पाये वाले पुल का निर्माण चल रहा था. इसी दौरान बारिश नहीं झेल पाया और पुल का एक पाया धंस गया.