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उत्तरकाशी: जलप्रलय के बाद मलबे में तब्दील हुआ टिकोची बाजार

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Published : Aug 20, 2019, 9:40 AM IST

मलबे में तब्दील हुआ टिकोची मार्केट

उत्तरकाशी का टिकोची मार्केट बंगाण क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव का केंद्र बिंदु था. जहां जलप्रलय ने इस कदर कहर बरपाया कि आज वहां मलबा ही मलबा नजर आता है. बचे हैं तो भवनों के साइन बोर्ड.

उत्तरकाशी: टिकोची मार्केट जहां कभी 17-18 दुकानों का बाजार सजता था. करीब एक दर्जन गांव के ग्रामीण टिकोची मार्केट में खरीदारी करते थे. कस्बे के ढाबों पर आज भी बंगाण की अतिथि देवो भव: परम्परा के अनुसार भोजन परोसा जाता था. केंद्र बिंदु होने के कारण टिकोची कस्बे को सेब की यूनियन का कस्बा कहा जाता था. जहां देश की विभन्न मंडियों से ट्रक और पिकअप सेब भरने यहां आते थे. तो यह बाजार सेब के व्यापारियों और काश्तकारों से भी गुलजार हुआ करता था. लेकिन एक रात की जलप्रलय ने टिकोची कस्बे को यादों में मलबे के नीचे दफन कर दिया है. ETV Bharat को मिली तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि भवन मलबे में तब्दील हो गए हैं. रह गए हैं तो भवनों के बोर्ड.

टिकोची मार्केट जो कि प्राकृतिक खूबसूरती के साथ सेब की यूनियन के रूप में आराकोट से लेकर हिमांचल प्रदेश तक प्रसिद्ध था. हर साल इस बाजार में सेब के लाखों करोड़ों का लेन देन होता था, लेकिन किसी ने नहीं जाना कि अपनी विश्व विख्यात परम्परा का यह केंद्र एक दिन मलबे में तब्दील हो जाएगा. कस्बे के सबसे फेमस हीरालाल की किराने की दुकान हो या शुद्ध देशी खाने के लिए मशहूर ढाबे. अब यह अतीत के पन्नों में सिमट कर रह गए हैं. इन दिनों टिकोची कस्बा सेब को मंडियों तक पहुंचाने वाले पिकअप वाहनों और ट्रक से गुलजार रहते थे. लेकिन रविवार का काला दिन कस्बे के हर सपने को दफन कर गया.

tikochi market
सब कुछ मलबे के ढेर में तब्दील

पढ़ें- उत्तरकाशी आपदा: सब कुछ गंवा चुके ग्रामीणों को सता रही रोजी-रोटी की चिंता

टिकोची में एक राजकीय इंटर कॉलेज, राजकीय एलोपैथिक अस्पताल सहित एक सहकारी बैंक और एक पटवारी चौकी थी, जो कि अब मलबे में कहां दफन है, कोई नहीं जानता. राजकीय एलोपैथिक अस्पताल का पूरा भवन जमींदोज हो गया है. अस्पताल का मात्र बाहर का बोर्ड बच गया था. त वहीं अस्पताल से सटे प्राइवेट स्कूल का तो कुछ पता नहीं है. इंटर कॉलेज के भवन में मलबा भर गया है. साथ ही पटवारी चौकी और सहकारी बैंक के भवन भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं. पिकअप वाहन मलबे में कूड़े के ढेर की तरह बिखरे हुए हैं.

Intro:टिकोची कस्बा बंगाण क्षेत्र के करीब एक दर्जन गांव का केंद्र बिंदु था। जहां जलप्रलय ने इस कदर कहर बरपाया कि आज वहां मलबा ही मलबा नजर आता है। तो बस बचे हैं तो यादों में रह गए भवनों के साइन बोर्ड। उत्तरकाशी। टिकोची कस्बा जहां कभी 17-18 दुकानों का बाजार सजता था। करीब एक दर्जन गांव के ग्रामीण टिकोची कस्बे के बाजार में खरीददारी करते थे। कस्बे के ढाबों पर आज भी बंगाण की अतिथि देवो भव: परम्परा के अनुसार भोजन परोसा जाता था। केंद्र बिंदु होने के कारण टिकोची कस्बे को सेब की यूनियन का कस्बा कहा जाता था। जहां देश की विभन्न मंडियों से ट्रक और पिकअप सेब भरने यहां आते थे। तो यह बाजार सेब के व्यापारियों और काश्तकारों से भी गुलजार हुआ करता था। लेकिन एक रात की जलप्रलय ने टिकोची कस्बे को यादों में मलबे के नीचे दफन कर दिया है। Etv bharat को मिली तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि भवन मलबे में तब्दील हो गए हैं। बस रह गया है तो भवनों के बोर्ड। Body:वीओ-1, टिकोची कस्बा जो कि प्राकृतिक खूबसूरती के साथ सेब की यूनियन के रूप में आराकोट से लेकर हिमांचल प्रदेश तक प्रसिद्ध था। हर वर्ष इस बाजार में सेब के लाखों करोड़ों का लेन देन होता था। लेकिन किसी ने नहीं जाना कि अपनी विश्व विख्यात परम्परा का यह केंद्र एक दिन मलबे में तब्दील हो जाएगा। कस्बे के सबसे फेमस हीरालाल की किराने की दुकान हो या शुद्ध देशी खाने के लिए मशहूर ढाबे। अब यह अतीत के पन्नों में सिमट कर रह गए हैं। इन दिनों टिकोची कस्बा सेब को मंडियों तक पहुचाने वाले पिकअप वाहनों और ट्रक से गुलजार रहते थे। लेकिन रविवार का काला दिन कस्बे के हर सपने को दफन कर गया। Conclusion:वीओ-2, टिकोची में एक राजकीय इंटर कॉलेज,राजकीय एलोपैथिक अस्पताल सहित एक सहकारी बैंक और एक पटवारी चौकी थी। जो कि अब मलबे में कहां दफन है। कोई नहीं जानता। राजकीय एलोपेथिक अस्पताल का पूरा भवन जमीदोज हो गया है। अस्पताल का मात्र बाहर का बोर्ड बच गया था। तो अस्पताल से सटे प्राइवेट स्कूल का तो कुछ पता नहीं है। इंटर कॉलेज के भवन में मलबा भर गया है। साथ ही पटवारी चौकी और सहकारी बैंक के भवन भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। तो पिकअप वाहन मलबे में कूड़े के ढेर की तरह बिखरे हुए हैं।
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