टिहरी: पिछले 23 सालों से पुनर्वास की मांग कर रहे आंशिक डूब क्षेत्र तल्ला उप्पू के ग्रामीणों का संघर्ष आखिरकार रंग लाया है. दरअसल प्रभावित ग्रामीणों की झील में समाई भूमि के बदले भूमि दिए जाने का कार्य प्रगति पर है. केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में निर्णय दिया गया है. जिसके बाद अब ग्रामीणों को वर्षों बाद आस जगी है.
ग्रामीण पिछले 23 सालों से विस्थापन की कर रहे थे मांग: भाजपा नेता खेम सिंह चौहान ने बताया कि तल्ला उप्पू के ग्रामीण पिछले 23 सालों से विस्थापन की मांग कर रहे थे और इसको लेकर ग्रामीणों ने समय-समय पर आंदोलन भी किया है. तल्ला उप्पू के ग्रामीणों का मामला अन्य गांवों से अलग था. गांव की सिंचित जमीन झील में समा चुकी थी. जिससे ग्रामीणों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया था.उन्होंने कहा कि गांव से ऊपर जो बंजर भूमि थी. जिस पर ग्रामीण करीब 40 सालों से काश्त नहीं कर रहे थे. वह गलती से ग्रामीणों के नाम पर चढ़ गई थी. जिससे भूमि का सही सेटलमेंट न होने से इस मामले में परेशानी आ रही थी.
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20 साल पहले तत्कालीन कमीश्नर ने गांव में कराई थी जांच: खेम सिंह चौहान ने बताया कि 23 परिवार का पहले ही विस्थापन किया गया था , जबकि करीब 94 परिवार इससे वंचित थे. जिसके लिए ग्रामीणों ने लंबा संघर्ष किया. उन्होंने बताया कि इस मामले में ग्रामीण कुछ दिन पहले सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज से मिले और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया था. जिसके बाद मंत्री ने इस मुद्दे को मजबूती के साथ उठाया. उन्होंने बताया कि 20 साल पहले तत्कालीन कमीश्नर ने गांव में जांच करवाई थी, जो कि महत्वपूर्ण साबित हुई.
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