ETV Bharat / state

मां सती से जुड़ी है सिद्धपीठ कुंजापुरी मंद‍िर की कहानी, शारदीय नवरात्र में उमड़ा है आस्था का सैलाब

author img

By

Published : Sep 28, 2022, 1:00 AM IST

Updated : Sep 28, 2022, 7:08 AM IST

Kunjapuri Siddhpeeth Temple
कुंजापुरी सिद्धपीठ मंदिर

टिहरी में कुंजापुरी मंदिर को माता सती का 52वां शक्तिपीठ माना जाता है. मान्यता है कि यहां से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है. चलिए नवरात्रि के मौके पर आज आपको माता कुंजापुरी की महिमा से रूबरू करवाते हैं.

टिहरी: उत्तराखंड देवताओं की भूमि है. यही वजह है कि इस पावन भूमि को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहां पर विराजमान आस्था के केंद्र इसे अलग ही पहचान दिलाते हैं. इन्हीं आस्था के केंद्रों में सिद्धपीठ मां कुंजापुरी का मंदिर भी है. जो टिहरी में स्थित है. इसे 52वें सिद्धपीठ के रूप में पूजा जाता है. जिसका वर्णन स्कंद पुराण के केदारखंड में भी मिलता है. मान्यता है कि जो श्रद्धालु माता के दरबार में आता है, वो कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता है.

देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम, पंचबदरी, पंचकेदार, पंचप्रयाग विराजमान हैं. इसके अलावा कई सिद्धपीठ भी मौजूद हैं. इनमें एक सिद्धपीठ माता कुंजापुरी है. वैसे तो सालभर यहां देश-विदेश से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्रि में इसकी विशेषता और बढ़ जाती है. इन दिनों भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंच रहे हैं और अपनी मन्नतें मांग रहे हैं.

नवरात्रि में करें सिद्धपीठ मां कुंजापुरी के दर्शन.

पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र दक्ष प्रजापति ने यज्ञ किया, जिसमे सबको बुलाया गया. इस यज्ञ मे सिर्फ शिव को नहीं बुलाया गया. इसी लिये मां सती ने यज्ञ में अपने पति को न देखकर और पिता दक्ष प्रजापति द्वारा अपमानित होने पर अग्नि में स्वयं को जला डाला. जिसके दक्ष प्रजापति के यज्ञ में उपस्थित शिव गणों ने भारी उत्पात मचाया.

शिवगणों से सूचना पाकर भगवान शिव कैलाश पर्वत से यज्ञ के पास पहुंचे तो शिव ने अपनी पत्नी की अस्थि पंजर देखकर गुस्से से होकर शिव ने दक्ष प्रजापति का गर्दन काट दी और शिव ने अपनी पत्नी की अस्थियों को लेकर हिमालय की ओर चलने लगे. शिव को इस प्रकार देखकर भगवान विष्णु ने विचार किया कि इस प्रकार शिव सती मां के मोह के कारण सृष्टि का विनाश हो सकता है. इसलिय भगवान विष्णु ने सृष्टि कल्याण के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 52 भाग कर दिए.
पढ़ें- 59 सालों के बाद शुभ ग्रह बृहस्पति पृथ्वी के इतने करीब, ये राशियां रहें सावधान व जानिए वैज्ञानिक आधार

नवरात्र में कुंज भाग आता है ऊपरः आश्चर्य की बात यह है कि इस मंदिर में जब नवरात्र आते हैं तो जहां पर कुंज गिरा, वह भाग नवरात्रों में ऊपर की तरफ आ जाता है. बाकी समय में यह नीचे चला जाता है. माना जाता है कि यहां पर माता सती का कुंज भाग गिरा था. जिसके बाद यह मंदिर कुंजापुरी कहलाया.

कुल देवी के रूप पूजी जाती हैं मां कुंजापुरीः टिहरी के लोग मां कुंजापुरी को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं. कहा जाता है कि जब भी किसी बच्चे पर बाहरी छाया यानी भूतप्रेत आदि लगा हो तो कुंजापुरी सिद्धपीठ के हवन कुंड की राख का टीका लगाने मात्र से कष्ट दूर हो जाता है. यहां पर हवन करने से भी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस मंदिर में माता को प्रसन्न करने के लिए श्रृंगार का सामान चुन्नी, श्रीफल, पंचमेवा, मिठाई आदि चढ़ाई जाती है.

कैसे पहुंचे कुंजापुरीः सिद्धपीठ कुंजापुरी पहुंचने के लिए सबसे पहले ऋषिकेश आना पड़ता है. ऋषिकेश से नरेंद्रनगर 14 किलोमीटर सड़क मार्ग के जरिए हिंडोलाखाल पहुंचना होता है. हिंडोलाखाल से कुंजापुरी सिद्धपीठ की दूरी 7 किलोमीटर है. यहां पहुंचने पर आपको 312 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जिसके बाद मां के दर्शन होते हैं.

Last Updated :Sep 28, 2022, 7:08 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.