Forest Fire Tehri: धधकने लगे जंगल, ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर मलेथा के जंगल में लगी आग
Published: Mar 11, 2023, 10:05 PM


Forest Fire Tehri: धधकने लगे जंगल, ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर मलेथा के जंगल में लगी आग
Published: Mar 11, 2023, 10:05 PM
उत्तराखंड में सूरज की तपिश बढ़ने के साथ ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. टिहरी जिले में ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे से लगे जंगलों में आग की लपटें देखी गईं हैं. आग ने जंगल के एक बड़े हिस्से अपनी चपेट में ले लिया है. वन विभाग की टीम आग पर काबू पाने का प्रयास कर रही है.
देहरादून: फायर सीजन में उत्तराखंड के जंगलों को आग बचाने के वन विभाग के सारे इंतजाम हवा हवाई साबित होते दिख रहे हैं. अभी फायर सीजन शुरू हुए एक महीने का वक्त भी नहीं बीता है. लेकिन जंगलों में आग की घटनाएं सामने आने लगी हैं. ताजा मामला टिहरी जिले का है, जहां ऋषिकेश बदरीनाथ हाईवे से लगे मलेथा के पास बगवां के जंगल में आग लग गई.
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#WATCH | Uttarakhand: Forest fire breaks out at Bagwan near Maletha in Tehri district on the Rishikesh-Badrinath National Highway pic.twitter.com/pIcfaQHspN
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 11, 2023
मलेथा का पास जंगलों में लगी आग धीरे-धीरे फैलती जा रही है. अगर इस पर समय रहते काबू नहीं पाया गया तो ये रिहायशी इलाके तक पहुंच सकती है. हालांकि वन विभाग की टीम जंगल में लगी आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहा है. बता दें कि उत्तराखंड में हर साल 15 फरवरी से लेकर 15 जून का समय फायर सीजन कहलाता है. इसी दौरान जंगलों में आग लगने की घटनाएं सबसे ज्यादा देखने को मिलती है. अभी फायर सीजन शुरू हुए एक महीने का वक्त भी नहीं बिता है और प्रदेश में 75 से ज्यादा वनाग्नि की घटनाएं सामने आ चुकी है.
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वन विभाग के लिए चुनौती: इस बार वनाग्नि पर काबू पाना वन विभाग के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. दरअसल, उत्तराखंड में इस साल औसतन से काफी कम बारिश और बर्फबारी हुई है. ऐसे में कई इलाकों में प्राकृतिक जल स्त्रोंत सूख गए है. वहीं धरती में नमी भी कम है. ऐसे में जंगलों में आग लगने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है. इसीलिए वन विभाग की चिंता अभी से बढ़ी हुई है कि जैसे तापमान में बढ़ोतरी उनकी मुश्किले और बढ़ेगी.
हालांकि वन विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि इस बार वनाग्नि पर काबू पाने के लिए उन्होंने पहले से ज्यादा इंतजाम किए हैं. वन विभाग के ये इंतजाम कितने कारगार साबित होंगे, इसका पता आने वाले समय में ही लग पाएगा.
