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रुद्रप्रयाग: रेलवे प्रभावितों की जगह बाहरी लोगों को रोजगार देने पर भड़के ग्रामीण, आंदोलन की दी चेतावनी

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Published : Mar 31, 2022, 12:06 PM IST

Rudraprayag
रुद्रप्रयाग

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना से रूद्रप्रयाग जनपद के नरकोटा गांव के अस्सी फीसदी परिवार प्रभावित हुए हैं. कार्यदाई कंपनियों ने नरकोटा से युवाओं को अभी तक रोजगार नहीं दिया है. ऐसे में नरकोटा के प्रभावित ग्रामीण रविवार को बैठक करेंगे और आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे.

रूद्रप्रयाग: रेल परियोजना काम कर रही कम्पनियों की गलतियों के चलते अब परियोजना प्रभावित गांवों में जनाक्रोश पैदा होने लगा है. जिन प्रभावित परिवारों ने अपना जमीन, होटल और दुकानें रेल परियोजना के लिए सरकार को दे दिया, आज उन्हीं को रोजगार के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. जिला मुख्यालय के नजदीकी ग्राम सभा नरकोटा गांव के अस्सी फीसदी परिवार रेलवे से बेरोजगार हुए हैं.

मौजूदा स्थिति यह है कि कंपनी के अधिकारी बाहरी लोगों को नौकरी पर रख रहे हैं, जिससे नरकोटा के ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. ऐसे में ग्रामीमों ने कंपनी के खिलाफ आंदोलन चेतावनी दी है. इसके साथ ही ग्रामीणों ने केंद्रीय रेल मंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर ठोस कार्रवाई की मांग की है.

रेलवे प्रभावितों जगह बाहरी लोगों को रोजगार देने पर भड़के ग्रामीण.

ग्राम पंचायत समिति का कहना है कि गांव में रेल परियोजना से लगभग अस्सी परिवार ऐसे हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं. गांव की आजीविका और आर्थिकी का साधन नरकोटा बाजार था लेकिन आज रेल परियोजना निर्माण से तहस-नहस हो गया है. ग्राम प्रधान चन्द्रमोहन ने कहा है कि मौजूदा समय में आरबीएनएल के अंतर्गत कार्य कर रही मेघा कंपनी ने हमारे गांव 30 के सापेक्ष मात्र 13-14 युवकों को ही रोजगार दिया है. अधिकांश की तैनाती हेल्पर में की गई है.

ग्राम प्रधान का कहना है कि वो कंपनी से अस्सी फीसदी रोजगार की मांग कर रहे हैं लेकिन कंपनी के अधिकारी बिहार या फिर अन्य क्षेत्रों के युवकों को रोजगार दे रहे हैं, जो कि अन्याय है और नियमविरूद्व भी है. उन्होंने कहा कि कंपनी रास्ते तोड़ दिए हैं. मकानों पर दरारें पड़ गई हैं. जिससे मकान ढहने की कगार पर हैं, सिंचाई नहर क्षतिग्रस्त कर दी गई है, प्रदूषण इतना है कि बीमारियों का खतरा पैदा हो गया है.
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प्रभावित ग्रामीणों ने कहा कि आगामी रविवार को गांव की बैठक आयोजित होगी और उसमें आंदोलन के लिए बड़े निर्णय लिए जाएंगे. अगर कंपनी हमें पूर्ण सहयोग नहीं करती तो, गांव की हर संपति, जिनका फायदा कम्पनियों को मिल रहा उन्हें बंद कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने अपनी तरफ से कई बार कंपनी को लिखित व मौखिक रूप से निवदेन किया है. ऐसे में अब अगर उग्र आंदोलन होता है, उसके लिए कंपनी अधिकारी खुद ही जिम्मेदार होंगे.

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