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पहलः शिक्षक ने आधुनिक शिक्षा देने का उठाया बीड़ा, अपने निजी संसाधनों से संवारा स्कूल

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Published : Jul 21, 2019, 10:47 PM IST

govt junior high school bujyad

राजकीय जूनियर हाईस्कूल बुज्याड़ में शिक्षक सुरेश सिंह डसीला ने स्कूल भवन को रंग-रोगन कर चमकाने के साथ अपने निजी संसाधनों से बच्चों के लिए एक प्रोजेक्टर सिस्टम भी लगाया है. जहां पर रोजाना बच्चों को एक घंटे तक इसके माध्यम से पढ़ाया जाता है. इतना ही नहीं घर से लैपटॉप ले जाकर बच्चों को कम्प्यूटर की जानकारी भी दे रहे हैं.

बेरीनागः सूबे में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि प्रदेश के ज्यादातर सरकारी स्कूल छात्र विहीन हो चुके हैं. जहां पर छात्र संख्या ठीक भी है, तो वहां पर शिक्षक नहीं है. सबसे बुरे हाल तो दूरस्थ इलाके के स्कूलों के हैं, लेकिन गंगोलीहाट के राजकीय जूनियर हाईस्कूल बुज्याड़ में एक शिक्षक अपने निजी संसाधनों से स्कूल में कई सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं. जो अंधेरे में किसी रौशनी से कम नहीं है.

राजकीय जूनियर हाईस्कूल बुज्याड़ के एक टीचर ने संवारा स्कूल.

बता दें कि सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े किए जाते हैं. इन स्कूलों में बदहाल शिक्षा व्यवस्था और संसाधनों के अभाव में अभिभावकों का मोह भंग हो रहा है. ऐसे में अभिभावक मजबूरन अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं. जिससे सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या कम होने से बंद होने की कगार पर है. इतना ही नहीं कई स्कूल तो बंद भी हो चुके हैं, लेकिन पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से करीब 110 किलोमीटर की दूरी पर गंगोलीहाट में स्थित राजकीय जूनियर हाईस्कूल बुज्याड़ में कार्यरत एक सहायक अध्यापक सुरेश सिंह डसीला अलग मिसाल पेश कर रहे हैं. जो शिक्षा विभाग पर लगने वाले तमाम आरोपों के मिथक को भी तोड़ रहे हैं.

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वर्तमान में इस विद्यालय में कक्षा 6 से लेकर 8 तक की कक्षाओं में 38 बच्चे पढ़ाई करते हैं. ये स्कूल कुछ समय पहले तक जर्जर हालत में था, लेकिन सुरेश सिंह डसीला ने स्कूल भवन में रंग-रोगन कर चमकाया है. साथ ही अपने निजी संसाधनों से बच्चों के लिए एक प्रोजेक्टर भी लगाया है. जहां पर रोजाना बच्चों को एक घंटे तक इसके माध्यम से पढ़ाया जाता है. इतना ही नहीं घर से लैपटॉप ले जाकर बच्चों को कम्प्यूटर की जानकारी भी दे रहे हैं. स्कूली बच्चे भी खुद प्रोजेक्टर चलाने से लेकर कम्प्यूटर तक चला रहे है.

इस स्कूल में कुमाऊंनी बोली में प्रार्थना की जाती है. यहां पर पढ़ने वाले बच्चे ब्लॉक और जिला स्तर पर सांस्कृतिक से लेकर खेलकूदों में अपना बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं. उधर, स्थानीय विधायक मीना गंगोला ने भी विधायक निधि से कुर्सी और टेबल उपलब्ध कराई है. उन्होंने शिक्षक सुरेश डसीला के कार्यों की सराहना करते हुए अन्य शिक्षकों को भी प्रेरणा लेने की बात कही है. साथ ही इस स्कूल को आदर्श स्कूल बनाने की बात भी की.

Intro:शिक्षक की मेहनत Body:टांप-बेरीनाग।
सुरेश ने उठाया आधुनिक शिक्षा देने का बीड़ा
प्रदीप महरा बेरीनाग
बेरीनाग। प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था को लेकर आये सवाल खडे किये जाते है।कही पर शिक्षक नही होने तो कही पर बच्चे नही होने तो कही सुविधाओं का आभाव रहता है। सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था सही होने को लेकर अभिभावक मजबूरी में अपने बच्चों को प्राईवेट स्कूलों में प्रवेश दिला रहे है।जिससे सरकारी विद्यालयों में बच्चे कम होने के कारण हर वर्ष विद्यालय बंद होते जा रहे है।
पिथौरागढ़ जनपद से 110 किलोमीटर दूरी पर विकास खंड गंगोलीहाट में समुद्र तल से 1459 मीटर उंचाई में राजकीय जूनियर हाईस्कूल बुज्याड़ है। जहां पर कार्यकरत सहायक अध्यापक सुरेश सिंह डसीला ने शिक्षा विभाग में लगने वाले तमाम आरोपों का मिथक को तोड़ दिखाया है।
सुबह साढ़े सात बजे लेकर दोपहर 1 बजे तक छुट्टी होने तक इस स्कूल में रही। स्कूल को देखकर बाहर से यह शिक्ष का मंदिर लग रहा था। स्कूली बच्चों की अच्छी सी ड्रैस पहने हुए थे। जहां पर सुबह प्रार्थना स्कूली बच्चों केद्वारा सुन्दर कुमाऊनी में प्रार्थना गायी जाती है। जिससे स्कूल का वातावरण बहुत ही सुन्दर हो जाता है। उसके बाद कुछ देर बच्चों का व्यायाम भी होता है। कक्षा 6 से लेकर यहां पर 8 तक की कक्षाओं में 38 बच्चे यहां पर पढ़ाई करते है।इस स्कूल में बच्चों के लिए पुस्तकालय से लेकर हर कक्षा के बच्चों के खेल सामाग्री भी अलग अलग है।अंदर और बाहर कक्षाओं अच्छे स्लोगन लिखे हुए है। जो अपने आप में शिक्षा के लिए प्रेरित करते है।बच्चों को बैठने के लिए स्थानीय विधायक मीना गंगोला ने विधायक निधि से कुर्सी और टेबल दिये हुए है।
कुछ समय पूर्व तक यह विद्यालय जर्जर हालत में था।विद्यालय के दरवाजे खिड़की तक जगह जगह टूटे हाने के साथ भवन पर कई वर्षा से रंगरोगन भी नही हुआ। शिक्षक ने खुद ही अपने हाथों से दरवाजों को ठीक किया और अपने साथी शिक्षक के निजी संनसाधनों से यहां पर भवन का रंग रोगन भी किया।विद्यालय में बच्चों के लिए अलग शौचालय के साथ ही पानी के लिए अलग नलों की व्यवस्था की गयी है।विद्यालय परिसर में बच्चों और शिक्षकों के द्वारा फूल का बगीचा भी तैयार किया गया है।
शिक्षक सुरेश डसीला ने अपने निजी संनसाधनों से यहां पर बच्चों के लिए एक प्रोजेक्टर सिस्टम भी लगाया है। प्रतिदिन बच्चों को इसमें एक घंटे तक इसके माध्यम से पढ़ाया जाता है।बच्चों के लिए खुद घर से लैपटांप ले जाकर बच्चों को कम्प्यूटर की जानकारी भी दे रहे है। स्कूली बच्चें यहां पर खुद प्रोजेक्टर चलाने से लेकर कम्प्यूटर तक चला रहे है।बच्चों के लिए शिक्षक सुरेश डसीला ने अपनी निजी साधनों से सभी बच्चों को एक पानी की बोतल भी दी हुई है।
जब स्कूली बच्चों से वार्ता की तो उन्होने बताया कि कुछ समय पूर्व तक यहां पर दरियों में बैठते थे और खेलने के लिए सामान भी नही था और भवन भी जर्जर हालत में था। लेकिन वर्तमान में विद्यालय की सभी व्यवस्थायें दुरस्त है। बच्चों से शिक्षा और सामान्य ज्ञान की विभिन्न जानकारी पूछी तो बच्चों के द्वारा सभी का सही जबाब दिया गया।यहां पर शिक्षकों के तीन पद है लेकिन दो ही पदों यहां पर शिक्षक है अभिभावकों और शिक्षकों ने एक गांव के ही अतिरिक्त शिक्षक की नियुक्ति भी अपने स्तर से की हुई है। जिसका मानदेय अभिभावक और शिक्षक मिलकर देते है।
यहां पर पढ़ने वाले बच्चों के द्वारा ब्लाक से लेकर जिला स्तर पर सांस्कृतिक से लेकर खेलकूदों में तक अपना प्रदर्शन कर चुके है।स्थानीय विधायक मीना गंगोला ने शिक्षक सुरेश डसीला के कार्यो की सराहना करते हुए अन्य शिक्षकों से उसने प्रेरणा लेने की बात कही और विद्यालय की व्यवस्थाओं से खुश होकर उन्होने अपने विधायक निधि से यहां पर प्रोजक्टर और कम्प्यूर और विद्यालय का आदर्श विद्यालय बनाने की बात की है।
शिक्षक सुरेश डसीला का कहना है कि विद्यालय मेरा परिवार है जिनता हो सकता है उतना में इस विद्यालय के लिए करता हू। बच्चों का अच्छी शिक्षा देना और सुविधा देना मेरा कर्तव्य है। Conclusion:प्ररेणा
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