ETV Bharat / state

खतरे में है उच्च हिमालयी जैव विविधता, शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

author img

By

Published : Jun 5, 2020, 12:10 PM IST

Updated : Jun 5, 2020, 12:25 PM IST

srinagar
उच्च हिमालय की जैव विविधता

आज पूरा संसार विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है. ऐसे में गढ़वाल विवि के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र द्वारा 10 सालों तक किए गए अध्ययन में नये तथ्य सामने आए हैं.

श्रीनगर: आज विश्व पर्यावरण दिवस है. उत्तराखंड की वन संपदा और जैव विविधता को लेकर अपनी पूरे विश्व में अपनी अलग ही पहचान है, लेकिन जैव विविधता से भरे इस प्रदेश में पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है. गढ़वाल विवि के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (HAPPRC) के पिछले 10 सालों के एक अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. शोध में पता चला है कि हिमालयी जैव विविधता में अहम योगदान देने वाले खरसू, मोरू, रागा के पेड़ों की बीज देने की क्षमता धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. जो हिमालय के जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा है.

हैप्रिक के शोध में हुआ खुलासा.

उतराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्रों में दशकों से HAPPRC की ओर से कराए गए शोध के अध्ययन में कई बातें सामने आई है. इसके अनुसार उच्च हिमालय क्षेत्रों में सालों भर पर्यटन गतिविधियों एवं बढ़ते मानवीय दवाब के चलते सारे पेड़ पौधों के साथ-साथ बेशकीमती जड़ी-बूटियों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है. बदलते मौसम एवं प्रदूषण के कारण उनका जमाव ना के बराबर हो रहा है. इससे प्राकृतिक रूप से नई पौध ना तो उग रही है और ना ही पनप पा रही है. जो बड़ी चिंता का विषय है.

ये भी पढ़े: दिल्ली-एनसीआर में आने वाले भूकंप को लेकर क्या है वैज्ञानिकों की राय, जानिए

संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर विजय कांत पुरोहित ने कहा कि इसका सबसे बड़ा असर हरकी दून, फूलों की घाटी, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, चोपता बुग्याल, पिंडारी, दारमा, व्यास, मुनस्यारी, दयारा बुग्याल जैसे पर्यटन स्थलों पर देखने को मिल रहा है. इन जगहों पर मानवीय हस्तक्षेप बढ़ा है. जिस पर राज्य सरकार और पंचायतें भी ध्यान नहीं दे रही है. अगर, जल्द ही यहां मानवीय हस्तक्षेप को कम ना किया गया तो बुग्यालों ओर इस इलाकों की जैव विविधता खत्म हो जाएगी.

Last Updated :Jun 5, 2020, 12:25 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.