ETV Bharat / state

गुरु गोरखनाथ को सिद्धबली धाम में हुए थे हनुमान जी के साक्षात दर्शन, लोग मानते हैं भूमाल देवता

author img

By

Published : Dec 1, 2021, 3:58 PM IST

Updated : Dec 1, 2021, 4:30 PM IST

कोटद्वार में खोह नदी के तट पर प्रसिद्ध सिद्धबली धाम (Sidhbali Dham kotdwar) मौजूद है. स्थानीय लोग इस मंदिर में नई फसल को चढ़ाते हैं. साथ ही भूमाल देवता के रूप में पूजते हैं. शादी के बाद नव विवाहित जोड़े भी यहां से आशीर्वाद लेकर नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं. माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ को सिद्धबली धाम में हनुमान जी के साक्षात दर्शन हुए थे. जानिए अन्य मान्यताएं....

sidhbali temple kotdwar
सिद्धबली धाम की मान्यताएं

कोटद्वारः उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है. यहां कोने-कोने में देवी-देवताओं के मठ और मंदिर मौजूद हैं जो इस पावन धरा को अलग ही पहचान दिलाते हैं. ऐसा ही एक मंदिर गढ़वाल के द्वार कहे जाने वाले कोटद्वार शहर से 2 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. यह मंदिर है, हनुमान जी का जो खोह नदी के तट पर स्थित है. इसे प्रसिद्ध सिद्धबली धाम (Sidhbali Dham kotdwar) के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि इस मंदिर में गुरु गोरखनाथ जी को हनुमान जी के साक्षात दर्शन हुए थे. स्थानीय लोग इसे भूमाल देवता के रूप में पूजते हैं.

वैसे तो देशभर में हनुमानजी के कई चमत्कारी मंदिर हैं जहां जाने पर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, लेकिन उत्तराखंड के पौड़ी जिले में कोटद्वार नगर से करीब दो किमी दूर नजीबाबाद-बुआखाल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 534 से सटे श्री सिद्धबली धाम (हनुमान मंदिर) का महत्व (sidhbali temple kotdwar history) काफी अधिक माना जाता है. यह मंदिर (Shri Siddhbali Dham Mandir Kotdwar) खोह नदी के किनारे पर करीब 40 मीटर ऊंचे टीले पर बना है. यहां प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, जिनकी मनोकामना पूरी होती है, वे भक्त भंडारा करवाते हैं.

गुरु गोरखनाथ को सिद्धबली धाम में हुए थे हनुमान जी के साक्षात दर्शन.

ये भी पढ़ेंः कोटद्वार: 3 दिसंबर से शुरू होगा सिद्धबली बाबा का वार्षिक अनुष्ठान, ये रहेगा कार्यक्रम

शादी के बाद आशीर्वाद लेकर नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं कपलः सिद्धबली धाम में वैसे तो पूरे हफ्ते दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन मंगलवार और रविवार को तो अन्य राज्यों के भी श्रद्धालुओं का यहां पर तांता लगा रहता है. मान्यता है कि जो भी भक्त यहां आता है, वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता है. यही वजह है कि हर समय यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है. शादी विवाह और शुभ अवसर के बाद अक्सर लोग श्री सिद्धबली धाम में माथा टेक बजरंग बली का आशीर्वाद लेते हुए दिखाई देते हैं.

सिद्धबली मंदिर की मान्यताः ऐसी मान्यता है कि कलियुग में शिव का अवतार माने जाने वाले गुरु गोरखनाथ (Guru Gorakhnath) को इसी स्थान पर सिद्धि प्राप्त हुई थी जिस कारण उन्हें सिद्धबाबा भी कहा जाता है. गोरखपुराण के अनुसार, गुरु गोरखनाथ के गुरु मछेंद्रनाथ पवन पुत्र बजरंग बली की आज्ञा से त्रिया राज्य की शासिका रानी मैनाकनी के साथ गृहस्थ जीवन का सुख भोग रहे थे. जब गुरु गोरखनाथ को इस बात का पता चला तो वे अपने गुरु को त्रिया राज्य के मुक्त कराने को चल पड़े.

ये भी पढ़ेंः देवभूमि के इस धाम में बहन के साथ विराजते हैं यमराज, ये है पौराणिक कथा

गुरु गोरखनाथ को हनुमान जी ने दिया था दर्शनः कहा जाता है कि इसी स्थान पर बजरंग बली (lord hanuman) ने रूप बदल कर गुरु गोरखनाथ का मार्ग रोक लिया था. जिसके बाद दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ. जब दोनों में से कोई पराजित नहीं हुआ तो हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में आए और गुरु गोरखनाथ से वरदान मांगने को कहा. जिस पर उन्होंने हनुमान जी से यहीं रहने की प्रार्थना की. गुरु गोरखनाथ व हनुमानजी के कारण ही इस स्थान का नाम 'सिद्धबली' पड़ा. आज भी ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी प्रहरी के रूप में भक्तों की मदद के लिए साक्षात रूप से यहां विराजमान हैं.

स्थानीय निवासी शैलेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि श्री सिद्धबली धाम (Sidhbali temple kotdwar) पर लोगों की बड़ी आस्था है. उन्होंने कहा कि गोरखनाथ जी जब अपने तीर्थाटन पर जा रहे थे, इसी जगह पर एक पड़ाव के रूप में रुके थे. तब उन्हें हनुमान जी ने इस स्थान पर साक्षात दर्शन दिए थे. सिद्धबली बाबा के मंदिर में दो पिंडी हैं, एक सिद्ध के रूप में है और दूसरी बलि के रूप में. मंदिर में उनकी पूजा की जाती है.

ये भी पढ़ेंः इस मंदिर में है अद्भुत-अलौकिक शक्तियों का भंडार, NASA के वैज्ञानिक भी हैं हैरान

भूमाल देवता को चढ़ाई जाती है नई फसलः शैलेंद्र सिंह बिष्ट बताते हैं कि क्षेत्र के लोग सिद्धबली बाबा को अपना भूमाल देवता मानते हैं. नई फसल को पहले सिद्धबली बाबा के भंडारण में पहुंचाया जाता है. क्षेत्र में जब कभी भी कोई शुभ कार्य होता है, पहले सिद्धबली बाबा की पूजा के लिए भेंट निकाल दी जाती है. पौड़ी ही नहीं बल्कि अन्य जिलों और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से भी श्रद्धालु विवाह के उपरांत सिद्धबली बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं. बाबा का आशीर्वाद लेकर अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करते हैं.

Last Updated : Dec 1, 2021, 4:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.