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यमकेश्वर क्षेत्र में मक्के की फसल पर फॉल आर्मीवर्म कीट का 'आतंक', जानिए कैसे बचाएं अपनी फसल

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Published : Jul 21, 2022, 4:42 PM IST

Updated : Jul 21, 2022, 5:28 PM IST

Fall armyworm
मक्की में बीमारी

पौड़ी जिले के यमकेश्वर क्षेत्र के गांवों में फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जिस वजह से किसानों की मक्के की फसल बर्बाद हो गई है. इतना ही नहीं मक्की की पत्तियां मवेशियों के चारे के लायक भी नहीं बच पाई है, जिससे किसान मायूस हैं. वहीं, कीट वैज्ञानिक निष्ठा रावत ने इस कीट से फसल को बचाने की जानकारी दी है.

कोटद्वारः उत्तराखंड के पहाड़ी राज्यों में बीते तीन सालों से मक्के की फसल पर फॉल आर्मीवर्म कीट (Fall armyworm insect) का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इस साल पौड़ी जिले में यमकेश्वर क्षेत्र के ज्यादातर गांवों में कीट का आतंक देखने को मिल रहा है. जिससे किसानों की मक्के की फसल नष्ट हो गई है. कीट का प्रकोप इतना भयानक है कि कीटनाशक का छिड़काव करने के बाद प्रकोप कम नहीं हुआ. मक्के की फसल इस कदर नष्ट हो गई है कि मवेशियों के चारे के रूप में भी उपयोग नहीं किया जा सकता.

बता दें कि फॉल आर्मीवर्म (Fall armyworm insect) कीट की उत्पत्ति उष्ण अमेरिका में हुई. अमेरिका से बाहर के देश अफ्रीका में साल 2016 में देखने को मिला. इस साल वहां 8.3 से 2.06 उत्पादन में कमी देखी गई. यह कीट मक्का के लिए बहुत हानिकारक है. भारत में 18 मई 2018 को कीट कर्नाटक में भारी नुकसान पहुंचाया. कुछ ही समय में तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उड़ीसा में भारी नुकसान पहुंचाया.

मक्के की फसल पर फॉल आर्मीवर्म कीट का प्रकोप.

देश के उत्तरी भाग के 15 राज्यों में 2018 के अंत तक पहुंच चुका था. कृषि वैज्ञानिक साल 2019 में अन्य राज्यों में फैलने का अनुमान लगा चुके थे. साल 2020 में उत्तराखंड में मक्का उगाने वाले क्षेत्र व खरीफ की फसल में कीट का प्रकोप बढ़ने की चेतावनी राज्य सरकार को दे दी गई थी. यह कीट मोटे अनाज बाजरा, मक्का, गन्ना, गेहूं पर जल्दी प्रभाव डालता है.

फॉल आर्मीवर्म की पहचानः फॉल आर्मीवर्म वयस्क कीट का अग्र भाग भूरे रंग का होता है. पिछला हिस्सा सुस्त रंग के होते हैं. मादा वयस्क 50-100 की झुड़ में अंडे देते हैं. जीवनकाल में 2000 अंडे तक दे सकती है. पत्तियों पर सभी प्रकार के लंबे कागजी झरोखा होना प्रारंभिक लक्षण होते हैं.

यह कीट प्रथम व द्वितीय चरण में सूंड़ी के रूप में पत्तियों को खुरच कर खाते जाने से उत्पन्न होता है. सूंड़ी के उदर भाग पर चार काले धब्बे होते हैं. सूंड़ी 14-28 दिनों का होता है. वयस्क कीट बनकर एक रात में 100 किलोमीटर तक उड़ सकता है. अपने जीवनकाल में 2000 किलोमीटर तक उड़ सकता है.

Fall armyworm insect
फॉल आर्मीवर्म कीट

इस कीट से बचाव के उपायः भूमि की जुताई गहरी करनी चाहिए. जिससे कीट का प्यूपा बाहर आ जाता है. जिसे परभक्षी खा लेते हैं. पक्षी पर्चे लगाना चाहिए. मक्के खेत के चारों तरफ तीन चार पंक्ति जालक फसल जैसे उड़द, हाथी घास की फसलीकरण अपनानी चाहिए. सूखा रेत व मिट्टी का घोल बनाकर पौधों के पर्णचक्र में डालने से सूंड़ी पौधों में प्रवेश नहीं करती है. नीम का तेल 2 मिली/प्रतिलीटर की दर पर छिड़काव करना चाहिए.

जैविक नियंत्रणः कीट के प्राकृतिक शत्रुओं का संरक्षण करना चाहिए. दालों व सजावटी पौधे लगाने चाहिए. गंधपास ट्रेप ट्राइकोग्रामा प्रेटिओसम व टेलीनोमस रेमस 50,000 प्रति एकड़ एक हफ्ते के भीतर छिड़काव करना चाहिए. कीट बहुभक्षी है, छिड़काव के बाद कीट सुरक्षित रहता है. बुआई के 15-20 दिनों बाद पर्णचक्र में नोमेरिया रिलेई चावल के दाने का सूत्रीकरण 1×10 सी एफयू/ग्राम छिड़काव करना चाहिए. प्रकोप को देखते हुए 10 दिनों के अंतराल में फिर छिड़काव करना चाहिए.

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कृषि अधिकारी अरविंद भट्ट ने बताया की मक्के की फसल पर रासायनिक छिड़काव करने से किसान बचें. किसान मक्के की बुवाई अगेती करें और कृषि विभाग की ओर से प्रमाणित बीज का प्रयोग ही करें. उत्तराखंड का मक्के का परंपरागत बीज मीठा होने की बजह से कीट का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल रहा है.

वहीं, कीट वैज्ञानिक निष्ठा रावत (Entomologist Nishtha Rawat) ने बताया कि यमकेश्वर क्षेत्र में मक्के की फसल पर कीट का प्रकोप काफी देखने को मिल रहा. उन्होंने खुद गांव में जाकर किसानों को मक्के फसल की बुवाई से पहले ही सावधानी बरतनी की जानकारी दी है. जब कीट का प्रकोप ज्यादा हो जाता है तो कीट पर ऑर्गेनिक तरीके से रोकथाम पाना असंभव है. रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग करने से भी हानि ही हो सकती है.

यमकेश्वर क्षेत्र के किसान भगत सिंह बताते हैं कि उन्होंने 10 नाली भूमि पर मक्के की बुवाई की थी, लेकिन कीट के प्रकोप से सब फसल नष्ट हो गई है. पिछले तीन सालों से मक्के फसल को कीट ने भारी नुकसान पहुंचाया है. इस साल भी बीज दूसरे गांवों से मंगा कर उपलब्ध किया, लेकिन इस बार भी मक्के भी फसल बर्बाद हो गई है.

वहीं, कृषक कुलदीप सिंह ने बताया कि कृषि विभाग की ओर से बीज अगेती फसल में बोया गया, जो कुछ हद तक ठीक रहा. जिसकी वो उपज ले रहे हैं. जबकि, ड़ल, ग्वाडी, सौड़, अमोला, गूम, पाली, धारी, गैंड खेडोरी, यमकेश्वर क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में मक्के की फसल कीट ने नष्ट कर दी है.

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Last Updated :Jul 21, 2022, 5:28 PM IST
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