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Dhari Devi Temple: मां धारी देवी की मूर्ति शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू, शतचंडी यज्ञ जारी

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Published : Jan 24, 2023, 8:29 PM IST

Updated : Jan 24, 2023, 8:39 PM IST

Dhari Devi Idol Shifting Process
मां धारी देवी मंदिर

सिद्धपीठ मां धारी देवी की प्रतिमा को आगामी 28 जनवरी को नए मंदिर यानी उनकी मूल जगह पर स्थापित किया जाना है. जिसकी प्रक्रिया आज से शतचंडी यज्ञ से शुरू हो गई है. मां धारी देवी नौ साल बाद अपने मंदिर में विराजेंगी. वहीं, नवनिर्मित मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा एवं मूर्ति स्थापना के मौके पर सीएम धामी समेत दिग्गज नेताओं और शीर्ष पुजारियों को आमंत्रित किया गया है.

मां धारी देवी की मूर्ति शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू.

श्रीनगरः सिद्धपीठ मां धारी देवी की प्रतिमा शिफ्टिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई है. आज यानी 24 जनवरी से 28 जनवरी तक महा अनुष्ठान भी शुरू हो गई है. इस अनुष्ठान को करने के लिए 21 पंडितों को आमंत्रित किया गया है. इसके अलावा मंदिर प्रशासन ने मूर्ति शिफ्टिंग के मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत समेत कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत को निमंत्रण भेजा है. वहीं, प्रदेश के सभी मंदिरों और मठों के शीर्ष पुजारियों को भी आमंत्रित किया गया है.

बता दें कि श्रीनगर से 14 किमी दूर कल्यासौड़ स्थित सिद्धपीठ मां धारी देवी की मूर्ति आगामी 28 जनवरी को करीब नौ साल बाद अपने मूल स्थान पर विराजमान होंगी. जिसे लेकर मंदिर समिति ने मूर्ति स्थापना से पहले मंगलवार से शतचंडी यज्ञ का शुभारंभ किया. मंदिर में 21 पंडितों की ओर से विधि-विधान से यज्ञ किया जा रहा है. आगामी 28 जनवरी को शुभ मुहूर्त पर मां धारी देवी की मूर्ति समेत अन्य प्रतिमाओं को नए मंदिर में शिफ्ट किया जाना है.

Dhari Devi Idol Shifting Process
धारी देवी मंदिर में शतचंडी यज्ञ.

आद्य शक्ति मां धारी पुजारी न्यास के सचिव जगदंबा प्रसाद पांडे और मंदिर के पुजारी लक्ष्मी प्रसाद पांडे ने बताया कि मूर्ति शिफ्ट करने से पहले विधि विधान से मंदिर में शतचंडी यज्ञ शुरू कर दिया गया है. 28 जनवरी को सुबह 9:30 बजे मां धारी देवी की मूर्ति के साथ अन्य देव मूर्तियों को उनके मूल स्थान पर स्थापित किया जाएगा.

श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह मंदिर डूब क्षेत्र में आने से जीवीके कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण किया गया है. साल 16 जून 2013 की केदारनाथ आपदा के कारण अलकनंदा का जलस्तर बढ़ने पर मंदिर में स्थापित प्रतिमाओं को अपलिफ्ट कर दिया गया. जिसके बाद अब पुजारी न्यास ने 9 साल बाद मां धारी देवी की मूर्ति को अपने मूल स्थान पर स्थापित किए जाने का निर्णय लिया है.

गौर हो कि श्रीनगर इलाके में एक प्राचीन सिद्धपीठ मौजूद है, जिसे 'धारी देवी' के नाम से जाना जाता है. इस सिद्धपीठ को 'दक्षिणी काली माता' के रूप में भी पूजा जाता है. मान्यता है कि चारों धाम की रक्षा धारी देवी ही करती हैं. धारी देवी के बारे में मान्यता है कि माता रोजाना तीन रूप बदलती है. मां धारी सुबह कन्या, दोपहर में युवती और शाम को वृद्धा का रूप धारण करती हैं. यही वजह है कि यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है.
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Last Updated :Jan 24, 2023, 8:39 PM IST
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