ETV Bharat / state

नैनीताल: जल स्रोतों की गुणवत्ता व सुरक्षा पर कार्यशाला, पटवाडांगर में हुआ आयोजन

author img

By

Published : Dec 19, 2021, 9:57 PM IST

Updated : Dec 19, 2021, 10:39 PM IST

nainital
नैनीताल

नैनीताल के पटवाडांगर में जल स्रोतों की गुणवत्ता एवं सुरक्षा पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में करीब 3 दर्जन छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया.

नैनीताल: पटवाडांगर में राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) व उत्तराखंड जल संस्थान देहरादून और उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद जैव प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से प्रदेश के जल स्रोतों की जल गुणवत्ता एवं जल सुरक्षा पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में राजकीय इंटर कॉलेज पटवाडांगर, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, डीएसबी परिसर, बिरला इंस्टीट्यूट भीमताल, चिराग संस्था के छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया.

कार्यक्रम जैव प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल की अध्यक्षता में आयोजित हुआ. कार्यक्रम के दौरान पंतनगर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. वीर सिंह ने पानी को जीवन का सबसे बड़ा प्रतीक बताया. उन्होनें विश्व स्वास्थ्य संगठन का हवाला देते हुए कहा कि जीवन जीने के लिए न्यूनतम 5 से 7 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. पानी मानव में ऊर्जा तंत्र को संचालित करता है, जिससे समस्त मेटाबोलिक क्रियाएं कार्य करती हैं. इसलिए पानी की गुणवत्ता व सुरक्षा बेहद जरूरी है. पानी सुरक्षित है तो हमारी खाद्य श्रृंखला भी सुरक्षित रहेगी.

जल स्रोतों की गुणवत्ता व सुरक्षा पर कार्यशाला

ये भी पढ़ेंः हल्द्वानी में जापान के सहयोग से लगाई गई प्रदेश की पहली बायोडायवर्सिटी गैलरी, ये है खासियत

कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि व टेरी संस्थान दिल्ली के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर विनय शंकर प्रसाद सिन्हा ने बताया कि स्वच्छ पानी अच्छे स्वास्थ्य का परिचायक है. प्रोफेसर सिन्हा ने उत्तराखंड के जल स्रोतों के प्रदूषण के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसके अतिरिक्त कार्यशाला समन्वयक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रशान्त सिंह ने जल स्रोतों की गुणवत्ता व सुरक्षा पर छात्रों को बताया कि अब तक प्रदेश के जल गुणवत्ता प्रयोगशालाओं को एनएबीएल प्रमाणीकरण पर तेजी से कार्य चल रहा है.

उन्होंने बताया कि पानी की आवश्यकता जन्म से मृत्यु तक रहती है तथा पेयजल में अशुद्धता ही विभिन्न बीमारियों का कारण बनती है. बॉयोटेक हल्दी मुख्यालय के डॉ. मणिन्द्र मोहन शर्मा ने अपने संबोधन में जल को जीवन का आधार बताते हुए तराई के विभिन्न जल स्रोतों जैसे नलकूप, आर्टीजन, टैपवाटर, वाटर कूलर इत्यादि की जल गुणवत्ता व माइक्रोबियल डायवर्सिटी पर प्रकाश डाला. स्थानीय समन्वयक एवं उत्तराखंड जैव प्रौद्योगिकी परिषद पटवाडांगर के प्रभारी डॉ. सुमित पुरोहित ने प्रतिभागियों को कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया.

Last Updated :Dec 19, 2021, 10:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.