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हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सुनवाई, CJ ने दूसरी पीठ को भेजा केस

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Published : Sep 29, 2022, 7:31 PM IST

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नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मसला (encroachment case on railway land) अभी तक सुलझ नहीं पाया है. इस मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में गुरुवार को सुनवाई हुई.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी के बनफूलपुरा में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश की खण्डपीठ ने केस सुनवाई के लिए दूसरी पीठ में भेज दिया है.

मामले में आज अतिक्रमणकारियों की तरफ से प्रार्थना पत्र देकर कहा गया कि उनके मामलों में कोर्ट के आदेश के बाद पीपी एक्ट में सुनवाई नहीं हो रही है. इसलिए उनके मुकदमे पीपी एक्ट में सुने जाने के लिए आदेश दिए जाएं. याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को बताया कि यह मामला दूसरी खण्डपीठ में विचाराधीन है. इसलिए इसपर सुनवाई करने हेतु उसी पीठ को भेजा जाए. खण्डपीठ ने याचिकाकर्ता के तर्क से सहमत होकर केस मामले की सुनवाई कर रही पीठ को भेज दिया है.
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मामले के अनुसार 9 नवंबर 2016 को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपी एक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई करें. रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जिनमें करीब 4,365 लोग मौजूद हैं.

उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर इन लोगों को पीपी एक्ट में नोटिस दिया गया, जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है. किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए. इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिला अधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया, जिसपर आज की तिथि तक कोई प्रति उत्तर नहीं दिया गया. जबकि दिसंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगों को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगों को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं ताकि रेलवे का विस्तार हो सके.

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