ETV Bharat / state

पीपल के इस पेड़ के नीचे स्वामी विवेकानंद ने लगाया था ध्यान, अब हल्द्वानी में है संरक्षित

author img

By

Published : Jan 12, 2021, 1:37 PM IST

peepal-tree
पीपड़ के पेड़ से विवेकानंद की यादें.

आज स्वामी विवेकानंद की जयंती है. हल्द्वानी का वन अनुसंधान केंद्र स्वामी विवेकानंद समेत कई आध्यात्मिक संतों की धरोहरों को संरक्षित करने का काम कर रहा है. अब लोग धार्मिक महत्व के पेड़ों के माध्यम से इन महापुरुषों को जान सकेंगे.

हल्द्वानी: वन अनुसंधान केंद्र बायो डायवर्सिटी के साथ-साथ विलुप्त हो चुकी जड़ी- बूटियों के अलावा कई विलुप्त हो चुके पौधों और वनस्पतियों को संरक्षित करने का काम कर रहा है. इसी कड़ी में वन अनुसंधान केंद्र धार्मिक धरोहर वाले पेड़ों पर भी काम कर रहा है.

राष्ट्रीय युवा दिवस पर पीपल के पेड़ संग स्वामी विवेकानंद की यादें.

स्वामी विवेकानंद ने 130 साल पहले लगाया था ध्यान

स्वामी विवेकानंद ने 130 साल पहले जिस पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान लगाया था उस पेड़ का क्लोन तैयार कर वन अनुसंधान केंद्र में लगाने का काम किया है. इसके अलावा श्री गुरु नानक देव जी की योग शक्ति पीपल के वृक्ष, संत नीम करौली महाराज की तपोस्थली पेड़ बरगद का क्लोन तैयार कर वन अनुसंधान केंद्र में संरक्षित करने का काम कर रहा है.

पीपल के पेड़ के नीचे हुई थी आध्यात्मिक अनुभूति

उत्तराखंड के भवाली-अल्मोड़ा मार्ग पर काकडी घाट के पास वर्ष 1890 में स्वामी विवेकानंद आए थे. उन्होंने एक पीपल के पेड़ के नीचे रात्रि विश्राम किया था. उसी पीपल वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए उन्हें एक दुर्लभ आध्यात्मिक अनुभूति हुई थी. बाद में उन्होंने अपने संगी गुरु भाई स्वामी अखंडानंद के समक्ष इस अनुभूति का वर्णन करते हुए कहा था कि अभी-अभी मैं अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण क्षण से गुजरा हूं. इस पीपल वृक्ष के नीचे मेरे जीवन की एक महान साधना का समाधान हो गया है.

ये भी पढ़ें: उत्तरांचल-पंजाबी महासभा ने मनाई लोहड़ी, आंदोलन में मरे किसानों को किया याद

26 जनवरी 1896 को न्यूयॉर्क में विवेकानंद ने ब्रह्मांड तथा सूक्ष्म ब्रह्मांड विषयों पर अपने दो व्याख्यान में काकडी घाट में पीपल वृक्ष के नीचे हुई अपनी अनुभूति को प्रथम बार विश्व के समक्ष प्रकट किया था. 130 साल पुराना पेड़ अब सूख चुका है. ऐसे में अनुसंधान केंद्र ने काकडी घाट के उस वृक्ष से क्लोन तैयार कर अनुसंधान केंद्र में वृक्ष को संरक्षित करने का काम किया है.

नीम करौली बाबा की याद में वट वृक्ष

इसके अलावा काकडी घाट के वटवृक्ष को भी वन अनुसंधान केंद्र ने संरक्षित करने का काम किया है. यहां 1965 में महान संत बाबा नीम करौली महाराज जी द्वारा जिस पेड़ के नीचे तप किया गया था और यह 100 साल पुराना पेड़ धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है. ऐसे में अनुसंधान केंद्र ने इस पेड़ से क्लोन तैयार कर वट वृक्ष को संरक्षित करने का काम किया है.

गुरु नानक जी ने पीपल का पेड़ 6 फीट ऊपर उठाया था

इसके अलावा नानकमत्ता गुरुद्वारे में स्थित पीपल वृक्ष श्री गुरु नानक देव जी योग शक्ति वृक्ष को भी संरक्षित करने का काम किया है. कहते हैं कि गुरु नानक देव जी ने अपनी अलौकिक शक्तियों से पीपल के पेड़ को जमीन से 6 फुट ऊपर उठाकर रोक लिया था. ये पेड़ आज भी नानकमत्ता गुरुद्वारा साहिब में स्थित है. यह पेड़ अब धीरे-धीरे समाप्ति की कगार पर हैं. ऐसे में इस पेड़ के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अनुसंधान केंद्र ने वहां से भी क्लोन तैयार कर इस पीपल के वृक्ष को संरक्षित करने का काम किया है.

ये भी पढ़ें: विजय मशाल का रानीखेत में भव्य स्वागत, सेना के अधिकारियों ने दी सलामी

वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन बिष्ट का कहना है कि इन तीनों पेड़ों के संरक्षित करने के लिए विभाग द्वारा उन पेड़ों से क्लोन तैयार कर एक साल पहले अनुसंधान केंद्र की वाटिका में लगाया गया था. अब ये 5 फीट से अधिक के हो चुके हैं. इस पेड़ के माध्यम से धार्मिक धरोहर को बचाने का काम किया जा रहा है. जिससे कि यहां पर इन धार्मिक पेड़ों का लोग अवलोकन कर सकें और इन महान संतों के विषय में भी जानकारी हासिल कर सकें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.