हल्द्वानी: शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima festival) 9 अक्टूबर दिन रविवार यानी आज मनाया जा रहा है. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) की रात का अपना विशेष धार्मिक महत्व है. इस रात भगवान चंद्रमा, माता लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है. इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृत की वर्षा करती हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी (Astrologer Dr Navin Chandra Joshi) के मुताबिक शरद पूर्णिमा की तिथि अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा तिथि रविवार, 9 अक्टूबर 2022 यानि आज सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी. पूर्णिमा तिथि अगले दिन सोमवार, 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी. शरद पूर्णिमा के दिन मध्य रात्रि में पूजा करने का विशेष महत्व होता है.
शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी, चंद्र देव के साथ भगवान विष्णु, कुबेर जी, भगवान कृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति की हर इच्छा पूर्ण हो जाती है. शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कुबेर की भी विधिवत पूजा करके मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से सुख-समृद्धि, धन संपदा की प्राप्ति होती है.
शरद पूर्णिमा पर खीर का सेवन
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में रखने के बाद सुबह उठकर उक्त खीर का सेवन करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है. इस खीर को चर्म रोग से परेशान लोगों के लिए भी अच्छा बताया जाता है.
शरद पूर्णिमा पर क्या करें
- शरद पूर्णिमा की रात भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें, क्योंकि इसे रास और कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं. इस रात भगवान श्रीकृष्ण ने रास रचाया था.
- शरद पूर्णिमा की रात सुख समृद्धि के लिए घी के 100 दीपक जलाएं.
- शरद पूर्णिमा दिवाली से पूर्व माता लक्ष्मी की पूजा करने का अवसर है. इस रात आप माता लक्ष्मी की पूजा करें.
- धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं.
- शरद पूर्णिमा के दिन साफ-सफाई निवृत्त होकर विधि विधान से पूजा अर्चना करें. रात्रि के समय में अपने घर के मुख्य द्वार को खोलकर रखें. सजावट और प्रकाश करें इससे माता लक्ष्मी का आगमन आपके घर होगा.
- शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं, क्योंकि माता को यह प्रिय है. खीर के अलावा दूध से बनी मिठाई का भोग लगा सकते हैं. शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाएं और उसे चांदनी रात में खुले में रख दें. चंद्रमा की औषधीय किरणों से वह खीर अमृत समान होती है.