जोशीमठ की तरह खतरे में नैनीताल का अस्तित्व! बलिया नाला में लगातार हो रहा भूस्खलन

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Published : Jan 11, 2023, 5:00 PM IST

Updated : Jan 11, 2023, 6:19 PM IST

Ballia Nala Landslide

नैनीताल के बलिया नाला में कई दशकों से भूस्खलन हो रहा है. इसके बावजूद भी सरकार इस क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोकने में असफल रही है. बलिया नाला क्षेत्र को नैनीताल का बुनियाद माना जाता है. इसके अलावा मॉल रोड, भवाली रोड, ठंडी सड़क, डोरोथी सीट, नैनी और चाइना पीक की पहाड़ियों समेत अन्य जगहों पर लंबे समय से भू-धंसाव हो रहा है. जिससे नैनीताल के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

नैनीताल में भूस्खलन का खतरा.

नैनीतालः जोशीमठ में भू धंसाव और दरार की समस्या विकराल हो गई है. जिसने सबके माथे पर शिकन डाल दिया है. इसके इतर जोशीमठ जैसे हालात सरोवर नगरी नैनीताल में देखने को मिल रहा है. यहां नैनीताल के चारों तरफ की पहाड़ियों में लंबे समय से भूस्खलन हो रहा है. जिससे नैनीताल के अस्तित्व पर बड़ा संकट मंडरा रहा है. 80 के दशक से नैनीताल की बुनियाद कहे जाने वाले बलिया नाला में भयानक भूस्खलन हो रहा है. बलिया नाला और हरी नगर क्षेत्र में अब तक करीब 100 मीटर से ज्यादा का क्षेत्रफल भूस्खलन की भेंट चढ़ चुका है.

नैनीताल के बलिया नाला क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोकने (Nainital Ballia Nala landslide) के लिए राज्य सरकार बरसों से कार्य योजना बना रही है. जो आज तक धरातल पर नहीं उतर सकी है. यही कारण है कि हर साल बरसात के दौरान क्षेत्र में भू-धंसाव और भूस्खलन देखने को मिलता है. हालांकि, अब राज्य सरकार क्षेत्र में हो रहे भूस्खलन को रोकने के लिए गंभीर नजर आ रही है. लिहाजा, बलिया नाला क्षेत्र के ट्रीटमेंट के लिए 200 करोड़ रुपए की डीपीआर बनाई गई है, ताकि जल्द से जल्द भूस्खलन को रोका जा सके.

बलिया नाला के अलावा शहर की मॉल रोड पर भी जगह-जगह दरारें पड़ने लगी है. साल 2018 में मॉल रोड का करीब 25 मीटर हिस्सा नैनी झील में समा गया था. जबकि, तल्लीताल से लेकर मल्लीताल क्षेत्र तक कई जगहों पर लंबी-लंबी दरारें पड़ रही हैं. जिससे शहर की माल रोड के अस्तित्व पर भी खतरा नजर आ रहा है. माल रोड के अलावा नैनीताल की सबसे ऊंची पहाड़ी कही जाने वाली नैनी पीक की पहाड़ियों पर भी लंबे समय से भू-धंसाव हो रहा है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (Geological Survey of India) और वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology Dehradun) की ओर कई बार अध्ययन किया जा चुका है. जो रिपोर्ट भी सौंप चुके हैं.

नैनीताल में 1880 में भूस्खलन मचा चुका है तबाहीः साल 1880 में नैनी पीक की पहाड़ी पर हुए भयानक भूस्खलन में 150 से ज्यादा भारतीय और ब्रिटिश नागरिकों की जान चली गई थी. जिसके बाद ब्रिटिश शासकों ने नैनीताल के अस्तित्व को बचाने के लिए कई प्रयास किए. जो कुछ हद तक सफल रहा है, लेकिन अब एक बार फिर से शहर में बड़ा खतरा मंडरा रहा है. शहर के चारों तरफ की पहाड़ियों में लगातार भू-धंसाव और भूस्खलन देखने को मिल रहा है. नैनीताल में मंडरा रहे खतरे को देखते हुए अब तक हरिनगर क्षेत्र से करीब 50 से ज्यादा परिवारों को भी विस्थापित भी किया जा चुका है.

विधायक सरिता आर्य का गांव भी खतरे की जद मेंः नैनीताल के भूमियाधार खुपी क्षेत्र में बीते दो दशक से लगातार भूस्खलन हो रहा है. भूस्खलन से तकरीबन 50 फीट से ज्यादा गांव की भूमि बह चुकी है. क्षेत्रीय लोग लगातार शासन प्रशासन और राज्य सरकार से गांव की समस्या को दूर करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक ग्रामीणों की समस्या किसी ने नहीं सुनी. यह हाल तब है, जब गांव खुद क्षेत्रीय विधायक सरिता आर्य (Nainital MLA Sarita Arya) का है.

क्या बोले डीएमः मामले में नैनीताल जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल (Nainital DM Dhiraj Singh Garbyal) का कहना है कि बलिया नाले के लिए 200 करोड़ रुपए के बजट की स्वीकृति हो गई है. जिससे जल्द बलिया नाले का ट्रीटमेंट किया जाएगा. इसके अलावा शहर के अन्य क्षेत्रों में पड़ रही दरार और भूस्खलन की घटनाओं को रोकने के लिए अलग-अलग टीम निरीक्षण कर चुकी है. जिस पर जल्द ही कार्य योजना बनाई जाएगी.
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Last Updated :Jan 11, 2023, 6:19 PM IST
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