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धू-धू कर जल रहे उत्तराखंड के जंगल, रामनगर में 60 घटनाएं आई सामने

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Published : Jun 9, 2019, 4:30 AM IST

रामननगर वन प्रभाग में वनाग्नि की छोटी-बड़ी 60 घटनाएं सामने आई है. जिसमें करीब 80 हेक्टेयर का जंगल जलकर राख हो चुका है.

फाइल फोटो

रामनगर: उत्तराखंड के जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग हर साल लाखों रुपए खर्च करता है, लेकिन उसका नतीजा शून्य रहता है. वन विभाग की तैयारियों के बाद भी उत्तराखंड में लगातार वनाग्नि की घटनाएं सामने आती रहती है. रामनगर वन प्रभाग की बात करें तो यहां इस बार फायर सीजन में अभीतक वनाग्नि की 60 घटनाएं सामने आ चुकी है. जिसमें करीब 80 हेक्टेयर का जंगल जलकर राख हो चुका है.

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रामनगर वन प्रभाग का ये क्षेत्र कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है, जो वन संपदा और वन्यजीवों के लिहाज से प्रदेश में दूसरे नंबर पर आता है. उत्तराखंड में सबसे ज्यादा बाघ इसी क्षेत्र में पाए जाते है. बावजूद इसके यहां वन विभाग जंगल की आग को बुझाने में नाकाम साबित हो रहा है. हालांकि बीते दिनों हुई बारिश से वन विभाग का बड़ी राहत मिली थी.

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डीएफओ वन प्रभाग रामनगर बीपी सिंह ने बताया कि शुक्रवार को वनाग्नि की एक घटना सामने आई थी. जिस पर समय रहते काबू पा लिया गया था. रामननगर वन प्रभाग में वनाग्नि की छोटी-बड़ी 60 घटनाएं सामने आई है. वन विभाग इलाके में नजर बनाए हुए है. यदि इस तरह की कोई घटना सामने आती है तो उसे तत्काल बुझाने की कोशिश की जा रही है.

Intro:नोट- इस खबर से संबंधित विजुअल मेल से भेजे गए हैं कृपया डेस्क इन विच बालों को मौजों से भेजी गई स्क्रिप्ट और बाइट के साथ संलग्न करने की कृपा करें।

एंकर- रामनगर के जंगलों में अभी तक हुई आग की घटनाओं से 80 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हो चुका है।रामनगर वन प्रभाग में अब तक छोटी बड़ी आग की घटनाएं मिलाकर कुल 60 घटनाएं हो चुकी हैं। फिर भी जिम्मेदार महकमा जंगल में आग पर नियंत्रण पाने का दावा कर रहा है।


Body:वीओ- रामनगर वन प्रभाग का जंगल कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के बाद वन संपदा और वन्यजीवों के लिहाज से उत्तराखंड में दूसरे नंबर पर आता है।यहां पर बाघों की संख्या का नंबर प्रदेश के अन्य वन प्रभावों में से सबसे ज्यादा है।बावजूद इसके यह जंगल वन संपदा पक्षियों और वन्यजीवों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। जिम्मेदार महकमा गर्मी शुरू होते ही फायर प्लान तैयार करके अपने को बहुत सजग और जंगल के प्रति संवेदनशील तो दिखाता है पर जब आंख की घटनाएं जंगल में शुरू हो जाती हैं तो इनके यह दावे महज़ दावे बनकर ही रह जाते हैं।जिससे वन विभाग की कार्यशैली में प्रश्न चिन्ह लग ना तो लाज़मी हो जाता है। रामनगर वन प्रभाग के जंगलों में अब तक आग की 60 घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें जिम्मेदार महकमा बता रहा है कि आग की छोटी-मोटी घटनाओं के अलावा बड़ी घटनाएं भी हुई हैं।जिसमें 80 हेक्टेयर जंगल दवाग्नि की चपेट में आ चुका है।इसमें सोचने वाली बात यह है कि वन संपदा को नुकसान तो हुआ ही है साथ ही इसके अलावा उन चीजों पर भी नजर डालने की आवश्यकता है जो कि सोचने में नहीं आती।इन दिनों पक्षियों के अंडे और बच्चे भी होते हैं दवाग्नि से पक्षियों के घोंसले जलने की भी आशंका है साथ ही वह जमीनी कीट, पतंगे जो जैव विविधता के लिए सहायक माने जाते हैं।उनका इस आग में जलकर स्वाह हो जाना निश्चित तौर पर लगता है।फिर भी रामनगर वन प्रभाग के अधिकारी जंगल पर नजर और आग पर नियंत्रण पाने की बात कर रहे हैं।

बाइट-बी पी सिंह(डीएफओ,वन प्रभाग रामनगर)


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