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12 साल तक अली अहमद साबिर ने भूखा रहकर लोगों को बांटा था लंगर, पढ़ें साबिर पाक की रोचक कहानी

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Published : Nov 1, 2020, 8:41 AM IST

Updated : Nov 1, 2020, 1:08 PM IST

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साबिर पाक

रुड़की शहर से करीब 7 किलो मीटर की दूरी पर पिरान कलियर बसा है. जहां विश्व प्रसिद्ध हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक दरगाह पर देश-विदेश से अकीदतमंद बड़ी संख्या में हाजिरी लगाते हैं. जानिए साबिर पाक की खासियत...

रुड़की: प्रसिद्ध पिरान कलियर में दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक का 752वां सालाना उर्स मनाया जा रहा है. उर्स में मेंहदी डोरी की रस्म से लेकर झंडा कुशाई, छोटी रोशनी और बड़ी रोशनी को विधिवत रूप से सम्पन्न किया गया. बड़ी रोशनी के मौके पर दूर-दराज से अकीदतमंद पिरान कलियर पहुंचे. जहां अकीदतमंद लाइन में लगकर दरबार-ए-साबरी में जियारत की.

बता दें हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर कलियरी के रोजा-ए-मुबारक पर अपनी बिगड़ी को बनाने वाले लाखों अकीदतमंदों की आस्था देखते ही बनती है. चारों और रूहानियत का फैज, दरबार में मुश्क की खुशबू और अजीमोशान करामातें हर कोई इस खुशनुमा माहौल में रंग कर उस मुकाम को हासिल कर लेता है, जिसकी उसे चाह होती है. हम बात कर रहे हैं, उस मुकद्दस जगह की जहां हवाएं भी बड़े अदबो एहतराम से होकर गुजरती है. जिनका चराग आंधियों में जलता है और जिसे वो नवाज दे वो कलंदर से बादशाह बन जाते हैं.

साबिर पाक पर स्पेशल स्टोरी.

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रुड़की शहर से करीब 7 किलो मीटर की दूरी पर पिरान कलियर बसा है. जहां विश्व प्रसिद्ध हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक दरगाह पर देश-विदेश से अकीदतमंद बड़ी संख्या में हाजिरी लगाते हैं. हजरत साबिर पाक कई सौ साल पहले अपने पिरोमुर्शिद बाबा फरीद गंजे शकर रह से खिलाफत नामा लेकर कलियर तशरीफ लाए थे. यहां अपनी आस्था से फैजियाब-ए-मुनव्वर के दरियाओं से कलियर को रोशन कर दिया. साबिर-ए-पाक के रोजा-ए-मुबारक से आज भी लाखों लोग फैजियाब होते है. हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अकीदतमंद साबिर पाक के प्रति अपनी गहरी आस्था रखते हैं.

सभी धर्मों के लोग पहुंचते हैं दरगाह
अकीदतमंदों की दीवानगी की आलम देख हर कोई दंग रह जाता है. हर कोई दरगाह की जालियों को चुमता नजर आता है तो कोई दरगाह में खिदमते खलक को अंजाम देता. पिरान कलियर में साबिर-ए-पाक की ओर से चलाया गया लंगर का सिलसिला बदस्तूर आज भी जारी है. हिन्दू हो या मुस्लिम, सिख हो या ईसाई हर मजहब के लोग दरबारे साबरी में जियारत करते दिखाई देते हैं.

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सालाना उर्स में अकीतदमंद.

साबिर पाक ने 12 साल तक लोगों को बांटा था लंगर
इस्लामिक इतिहास के अनुसार सैकड़ों साल पहले साबिर पाक की वालिदा साबिर पाक को अपने भाई बाबा फरीद गंजे शकर रह के यहां तालीम हासिल करने के लिए छोड़ आई थी. उस समय साबिर साहब को अली अहमद के नाम से जाना जाता था. बाबा फरीद ने अली अहमद (साबिर पाक) को लंगर तकसीम करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. 12 साल तक अली अहमद (साबिर) ने लोगों को लंगर बांटा और खुद कुछ नहीं खाया. 12 साल तक भूखा रहकर लंगर बांटने पर बाबा फरीद ने अली अहमद को साबिर के नाम से नवाजा. जिसके बाद अली अहमद साबिर को खिलाफतनामा देकर कलियर भेज दिया. बताया जाता है कि पाकिस्तान में बाबा फरीद की दरगाह पर वो हुजरा आज भी मौजूद है, जहां साबिर साहब इबादत किया करते थे.

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दरगाह हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक.

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विश्व प्रसिद्ध पिरान कलियर में सूफीज्म का बड़ा मरकज हजरत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक की तमाम व्यवस्थाएं जिला प्रशासन और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड मिलकर संभालते हैं. बिजली, पानी, साफ सफाई समेत आदि व्यवस्थाओं को सुचारू रखने के लिए बकायदा दरगाह दफ्तर खोला गया है, जिसमें दरगाह प्रबंधक, सुपरवाइजर समेत दर्जनों कर्मचारियों की तैनाती की गई है. उर्स के दौरान स्पेशल पुलिस फोर्स लगाई जाती है, मेला प्रभारी से लेकर जिला प्रशासन उर्स की कमान संभालता है.

वहीं, उर्स के मुख्य दिन यानी बड़ी रोशनी के मौके पर दूर-दराज से अकीदतमंदों ने शिरकत की. देर शाम तक बड़ी रौशनी की रस्म को अदा किया. वहीं, इस बार कोविड 19 के नियमों के तहत उर्स को सम्पन्न कराया जा रहा है. पुलिस, जिला प्रशासन और जिम्मेदार लोग लोगों को कोविड नियमों का पालन करने की अपील कर रहे हैं. साथ मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा जा रहा है. जबकि, सुरक्षा के मद्देनजर जगह-जगह पुलिस फोर्स लगाई गई है.

Last Updated :Nov 1, 2020, 1:08 PM IST
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