उत्तराखंड में क्यों पड़ी सख्त धर्मांतरण कानून की जरूरत? जानिए इस पर क्या बोली कांग्रेस

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Published : Nov 17, 2022, 3:50 PM IST

Updated : Nov 26, 2022, 12:54 PM IST

Conversion law in Uttarakhand

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता के बाद अब धर्मांतरण कानून को संशोधित कर यूपी की तर्ज पर कठोर बनाने बनाए जाएगा, लेकिन उत्तराखंड जैसे शांत प्रदेश में आखिर धर्मांतरण कानून को सख्त करने की जरूरत क्यों पड़ी और धर्मांतरण कानून के क्या-कुछ होंगे नियम? आइए आपको बताते हैं..

देहरादूनः उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून में संशोधन विधेयक पर मुहर लग गई है. अब उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर सख्त कानून बनाया जाएगा. इतना ही नहीं उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2022 को तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है. ऐसे में उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण कराने वालों को अब कड़ी सजा होगी.

दरअसल, 16 नवंबर को सचिवालय में उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 पर मुहर लगाई गई. जिसके तहत उत्तराखंड में धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध में शामिल किया गया है. उत्तराखंड में जबरन धर्मांतरण कराने वालों को अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. लिहाजा, अब यूपी की तर्ज पर उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून सख्त बनाया गया है. इस विधेयक को जल्द ही विधानसभा में लाया जाएगा.

उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून पर कांग्रेस का बयान.

धर्मांतरण कानून को सख्त करने की क्यों पड़ी जरूरतः बीते कुछ सालों में तेजी से उत्तराखंड में लगातार धर्म परिवर्तन के मामले सामने आ रहे थे. कहीं पर जबरन धर्म परिवर्तन कराकर शादी तो कहीं पर सामूहिक धर्म परिवर्तन के कई मामले सामने आए. जिसमें लव जिहाद के मामले में शामिल हैं. एडीजी लॉ एंड ऑर्डर वी मुरुगेशन (ADG Law and Order V Murugesan) ने बताया कि उत्तराखंड में लचीले धर्मांतरण कानून के चलते देहरादून में दो और हरिद्वार में केवल तीन ही मामले पुलिस की गिरफ्त में आ पाए हैं, लेकिन सख्त कानून न होने की वजह से धर्मांतरण के मामलों पर बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती है. इसके अलावा आए दिन धर्मांतरण के कई मामले भी देखने को मिलते हैं.
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क्या है धर्मांतरण कानूनः उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून के संशोधन विधेयक को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. आगामी विधानसभा सत्र में इसे सदन के पटल में पेश किया जाएगा. बताया जा रहा है कि उत्तराखंड के धर्मांतरण कानून को पहले से ज्यादा सख्त बनाया गया है. जिसमें खासकर सामूहिक धर्मांतरण पर सख्ती से कार्रवाई करने के मकसद से कई बदलाव किए गए हैं. एक तरह से उत्तराखंड के धर्मांतरण कानून को बिल्कुल उत्तर प्रदेश जैसा सख्त बनाने का ड्राफ्ट तैयार किया गया है. माना जा रहा है कि प्रलोभन, जबरन, विवाह आदि के उद्देश्य से विश्वास में लेकर धर्म परिवर्तन कराने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की व्यवस्था से धर्मांतरण पर अंकुश लग सकेगा.

Conversion law in Uttarakhand
यूपी के धर्मांतरण कानून में क्या है खास.

उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2022 में किए गए ये परिवर्तनः

  • उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून की तर्ज पर एक सख्त धर्मांतरण कानून लाया जाएगा. जिसके ज्यादातर नियम उत्तर प्रदेश धर्मांतरण कानून से मेल खाते हैं.
  • दो या दो से ज्यादा लोगों के धर्म परिवर्तन को सामूहिक धर्म परिवर्तन समझा जाएगा. जो इस कानून के तहत आएगा. जिसे संगीन अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
  • उत्तराखंड के धर्मांतरण विधेयक में अब तक 1 से 5 साल तक की सजा का प्रावधान था. जिसे बढ़ाकर 2 से 7 साल तक कर दिया गया है.
  • सामूहिक धर्म परिवर्तन की स्थिति में इस सजा को बढ़ाकर 10 साल तक किया जा सकता है तो वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन गैर जमानती अपराध की श्रेणी में माना गया है.
  • धर्म परिवर्तन के मामले में 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार तक का आर्थिक दंड लगाया जा सकता है. जबकि, सामूहिक धर्म परिवर्तन के मामले में यह आर्थिक दंड 50 हजार तक लगाया जा सकता है.
  • धर्म परिवर्तन करने की स्थिति में पहले 7 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट की उद्घोषणा अनिवार्य थी तो वहीं अब इसे कम से कम 1 महीने पहले उद्घोषणा अनिवार्य कर दिया गया है.

उत्तराखंड में धर्मांतरण कानून को और सख्त बनाने का काम सरकार की तरफ से किया जा रहा है. जिसमें पहले से बने एक्ट में धामी सरकार ने संशोधन किया है. उत्तराखंड के धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज (Cabinet Minister Satpal Maharaj) का कहना है कि सजा के प्रावधान में संशोधन किया गया है. जिसके तहत 2 से 7 साल तक की कड़ी सजा देने का प्रावधान इस एक्ट में किया गया है. ताकि अपराधियों को सजा मिल सके. उन्होंने साफ कहा कि कानून के बनने से जनता को लाभ मिलेगा और अपराधियों को कड़ी सजा मिलेगी. साथ ही अपराध भी कम होंगे.

वहीं, उत्तराखंड के धर्मांतरण कानून (Conversion law in Uttarakhand) को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना (CM Pushkar Dhami Statement in conversion law) है कि यह देवभूमि है. यहां पर धर्मांतरण के मामले नहीं आने चाहिए. जिसको लेकर सख्त धर्मांतरण कानून की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इससे सभी के धार्मिक सौहार्द बने रहेंगे. साथ ही इस तरह के कृत्य करने वालों पर लगाम कसी जाएगी. साथ ही समान नागरिक संहिता भी लागू किया जा रहा है.

क्या बोली कांग्रेस? उत्तराखंड के धर्मांतरण कानून को लेकर कांग्रेस ने पलटवार किया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी (Congress Spokesperson Garima Mehra Dasauni) का कहना है कि बीजेपी सरकार बीते 6 सालों से सत्ता में काबिज हैं. ऐसे में बताएं कि अब तक कितने लोगों पर कार्रवाई की? उनका आरोप है कि सीएम धामी के गृह जनपद में एक हजार लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया है. खुद उमा भारती ने भी जैन धर्म अपनाने की बात कही है. ऐसे में धर्मांतरण को लेकर तुष्टीकरण की राजनीति नहीं करनी चाहिए. अगर कार्रवाई करनी है तो गंभीरता से बात होनी चाहिए.
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Last Updated :Nov 26, 2022, 12:54 PM IST
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