योगी की तरह CM धामी कार्रवाई कर देंगे बड़ा संदेश या फिर अधिकारी काटते रहेंगे मौज?

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Published : May 26, 2022, 9:15 PM IST

Updated : May 29, 2022, 8:10 PM IST

CM Pushkar Singh Dhami

यूपी के चिटहरा भूमि घोटाले में उत्तराखंड के गैंगस्टर यशपाल तोमर के साथ उत्तराखंड के जिन तीन बड़े आईएसस और आईपीएस अधिकारियों के परिजनों पर मुकदमा दर्ज हुआ है. उसको लेकर उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. वहीं राजनीति गलियारों में ये सवाल भी उठा रहा है कि धामी सरकार इन तीन बड़े आईएसस और आईपीएस अधिकारियों पर शिकंजा कसेंगी या फिर खामोशी से इस मामले का दबा देगी.

देहरादून: उत्तराखंड के गैंगस्टर और यूपी चिटहरा भूमि घोटाले के मुख्य आरोपी यशपाल तोमर के साथ उत्तराखंड के तीन बड़े आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का जो गठजोड़ सामने आया है, उसको लेकर शासन में बैठे कई अधिकारियों की हवा उड़ी हुई है. वहीं, इसी के साथ एक सवाल राजनीति गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या यूपी की योगी सरकार की तरह इस मामले में उत्तराखंड की धामी सरकार भी कोई बड़ा एक्शन लेने जा रहा है या फिर इस मामले के ऐसे ही दबा दिया जाएगा.

यूपी चिटहरा भूमि घोटाले का उत्तराखंड कनेक्शन: इस पूरे मामले पर बात करने से पहले आपको यूपी चिटहरा भूमि घोटाले के बारे में बताते हैं. आखिर इस पूरे घोटाले में उत्तराखंड के तीन बड़े आईएसस और आईपीएस अधिकारियों का नाम कैसा आया है. बता दें कि 22 मई को यूपी के ग्रेटर नोएडा जिले के दादरी थाने में उत्तराखंड के गैंगस्टर यशपाल तोमर और चिटहरा भूमि घोटाले के मुख्य आरोपी यशपाल तोमर समेत 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. जिन 9 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है, उसमें उत्तराखंड के सचिव मुख्यमंत्री आईएएस मीनाक्षी सुंदरम के ससुर एम भास्करन, एमडीडीए सचिव आईएएस बृजेश संत के पिता का केएम संत उर्फ खचेरमल और उत्तराखंड के डीआईजी राजीव स्वरूप की माता सरस्वती देवी भी शामिल हैं.

चिटहरा भूमि घोटाले का उत्तराखंड कनेक्शन
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ये तीनों अधिकारी हरिद्वार में डीएम और एसएसपी के पद पर तैनात रहे हैं. इसी दौरान उन्होंने यशपाल तोमर की मदद की और उसी के बल पर यशपाल तोमर ने उत्तराखंड में करोड़ों रुपए के ज्यादा की अवैध संपत्ति खड़ी कर दी. हालांकि, इन तीनों अधिकारियों ने सीधे संपत्ति में अपना हिस्सा नहीं लिया है, बल्कि अवैध संपत्ति को बड़ा हिस्सा अपने परिजनों के नाम करवाया है. ताकि किसी को शक न हो सके, लेकिन अब सारा राज बाहर आ गया है.

क्या है दादरी चिटहरा जमीन घोटाला?: नोएडा के दादरी थाने के ग्राम चिटहरा एवं प्रबंधन समिति द्वारा जुलाई 1997 को 282 लोगों को कृषि भूमि आवंटन का प्रस्ताव दिया गया था. उस वक्त के जिलाधिकारी द्वारा 20 अगस्त 1997 को स्वीकृति प्रदान की. आरोप है कि मुख्य आरोपी यशपाल तोमर ने कर्मवीर, बेलू तथा कृष्णपाल जो यशपाल के गांव बरवाला के रहने वाले थे. उनके नाम सैकड़ों बीघा जमीन चिटहरा निवासी बनाकर पट्टा कराएगा, जबकि जांच के दौरान पता चला कि यह लोग इतने गरीब हैं कि पढ़ना लिखना भी नहीं जानते. इतना ही नहीं इन लोगों के नाम से जमीन की पावर अटार्नी अपने परिचित नौकर के पुत्र वीरेंद्र सिंह के नाम करा दिया. साथ ही अधिकारियों से मिलकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया.
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क्या कहते हैं सीएम धामी: इस मामले में जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वैसे तो ये बाहरी प्रदेश का मामला है. यदि यूपी सरकार को किसी भी तरह से सहायता की जरूरत होगी तो उत्तराखंड सरकार मदद करेगी. वहीं, उन्होंने कहा था कि जरूरत पड़ने पर उत्तराखंड में भी इस मामले की जांच कराई जाएगी. कानून अपना काम कर रहा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस तरह से इस मामले बयान दिया है, उससे साफ है कि सरकार अभीतक इस मामले के ज्यादा कुछ ज्यादा कहना नहीं चाहती है.

यशपाल तोमर की अधिकारियों से सांठगांठ: यशपाल तोमर की हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है यूपी सरकार ने उसकी करीब 200 करोड़ की संपत्ति को सीज किया है. वहीं, उत्तराखंड पुलिस ने बीते दिनों कार्रवाई करते हुए यशपाल तोमर गैंगस्टर की कार्रवाई की थी और हरिद्वार जिला कोर्ट के आदेश पर उसकी 153 करोड़ रुएए की संपत्ति कुर्क की है. यशपाल तोमर ने अरबों रुपए का ये साम्राज्य अकेले अपने दम नहीं खड़ा किया था, बल्कि यूपी और उत्तराखंड के कई बड़े अधिकारियों ने इसमें उसका साथ दिया हैं. यशपाल तोमर ने उत्तराखंड में सबसे ज्यादा अवैध तरीके से जमीन कब्जाने का किया है. जिसमें आईएएस और आईपीएस अधिकारियों ने उसकी मदद की है. जिसके बदले यशपाल तोमर ने उनका फायदा पहुंचाया और उनके परिजनों के नाम बड़ी संपत्ति कराई है, जिसकी परतें अब खुलती जा रही है.
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सरकार की चुपी पर सवाल: इस मामले में वैसे तो धामी सरकार कुछ ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है, लेकिन कांग्रेस जरूर सरकार पर हमलावर रही है. कांग्रेस का कहना है कि आखिर सरकार इस मामले में चुप क्यों? उत्तराखंड के जिन तीन आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के परिजनों चिटहरा भूमि घोटाले में नाम सामने आया है, उन इन अधिकारियों के रिश्तेदार हैं. फिर भी सरकार इस मामले में एक्शन लेती हुई नहीं दिख रही हैं.

कांग्रेस ने की जांच की मांग: कांग्रेस नेता मनीष कर्णवाल का कहना है कि एक तरफ बीजेपी सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है और दूसरी तरफ के मामले सरकार चुप रहती है. यूपी में जिस तरह के उत्तराखंड के आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के परिजनों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, उससे प्रदेश की बदनामी हुई है. इसीलिए सरकार को चाहिए की सबसे पहले उन तीनों अधिकारियों को पद से हटाए और तुंरत इस मामले में जांच के आदेश दे. यदि वे जांच में दोषी पाए जाते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.

बीजेपी ने दिया जवाब: कांग्रेस के आरोप पर बीजेपी ने जवाब दिया है. बीजेपी के प्रवक्ता शादाब शम्स ने कहा कि यह बीजेपी की सरकार है, जिसमें अधिकारी और या फिर नेता किसी को भी भ्रष्टाचार करने की अनुमति नहीं दी जाती है. बीजेपी सरकार न होती तो इस मामले का खुलासा नहीं होता. ऐसे में उत्तर प्रदेश हो या उत्तराखंड दोनों ही जगह पर बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम कर रही है. सरकार के मुखिया से लेकर मंत्री तक अधिकारियों पर नजर रख रहे हैं. देश में भ्रष्टाचार को आसमान पर ले जाने का काम कांग्रेस ने ही किया है. इसीलिए कांग्रेस को ऐसे मामलों में बोलने के कुछ हक नहीं है.
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जानकारों की राय: उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत की माने तो घोटाला चाहे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय का हो या फिर मौजूद समय का. किसी भी मुख्यमंत्री ने घोटालों को गंभीरता से नहीं लिया. जब पूर्व में कांग्रेस की सरकार लोकायुक्त ला रही थी तो बीजेपी ने एक स्वर में इसका विरोध किया था. जब चुनाव के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सत्ता में आ रहे थे तो उन्होंने 100 दिनों के अंदर लोकायुक्त लाने की बात की थी, लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी न तो लोकायुक्त नियुक्त हुआ और न ही भ्रष्टाचार पर नकेल लगी है.

जय सिंह रावत कहते हैं कि प्रदेश में सरकार किसी भी हो, लेकिन उन्हें इस प्रदेश को बचाने के लिए अधिकारियों, नेताओं और माफियाओं पर नकेल कसने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे. यह राज्य कई अधिकारियों के लिए सोने देने वाली मुर्गी बन गया है. इसलिए किसी भी सरकार से भ्रष्टाचार खत्म करने की बात करना बेईमानी है और इस मामले में भी आगे कुछ नहीं होगा, उन्हें ऐसा नहीं लगता है. हमेशा की तरह बड़े अधिकारी बचकर निकल जाएंगे और छोटे अधिकारी फंसे रह जाएंगे.

जय सिंह रावत ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि त्रिवेंद्र सिंह रावत जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने उधम सिंह नगर में एनएच घोटाले को लेकर कई आईएएस अधिकारी और दूसरा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी. साथ ही सीबीआई जांच की मांग भी की थी. हालांकि सीबीआई जांच तो नहीं हुई, लेकिन राज्य स्तर पर एसआईटी ने जो जांच की वो सिर्फ सिर्फ छोटे कर्मचारियों और अधिकारियों तक ही सिमट कर रह गई. जबकि जिन बड़े अधिकारियों को नाम सामने आया था, वो आज भी बड़े विभाग लिए बैठे हैं.

Last Updated :May 29, 2022, 8:10 PM IST
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