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जोशीमठ जैसे न बन जाए सीमांत गांव, वैज्ञानिकों ने दी विलेज प्लानिंग की सलाह, बाइब्रेट योजना पर चेताया

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 26, 2023, 3:33 PM IST

Updated : Nov 27, 2023, 5:17 PM IST

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villages Planning necessary for Vibrant Village Scheme in Uttarakhand भारत सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत उत्तराखंड समेत तमाम राज्यों के सीमांत गांवों को आबाद करने का निर्णय लिया है. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत सरकार विकसित करना चाहती है, ताकि देश के इन सीमांत गावों में लोगों को बसाया जा सके.

जोशीमठ जैसे न बन जाए सीमांत गांव

देहरादून: वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत भारत सरकार सीमांत गांवों का विकस करना चाहती है, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके. इसी बीच वैज्ञानिक वाइब्रेंट विलेज योजना को लेकर अभी से ही आगाह करते नजर रहे हैं, ताकि भविष्य में इन विलेज की स्थिति भी प्रदेश के जोशीमठ, नैनीताल, मसूरी, अल्मोड़ा समेत अन्य पर्यटक स्थलों जैसी न हो, इसलिए अभी से ही इस पर काम करने की जरूरत है. दरअसल, उत्तराखंड के तीन सीमांत जिला पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमोली की 5 विकासखंडों के 51 गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया गया है. जिसकी कार्य योजना भी तैयार कर ली गई है.

वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत 51 गांवों में किए जाएंगे 510 कार्य: 758 करोड़ रुपए की लागत से विकसित होने वाले इन 51 गांवों में करीब 510 कार्य किए जायेंगे. इन गांवों के विकास कार्यों के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत 586.21 करोड़, केंद्र सहायतित योजना के तहत 118.64 करोड़ और राज्य पोषित योजना के तहत 53.99 करोड़ रुपए का बजट प्राप्त होगा. मुख्य रूप से स्थानीय लोगों की आर्थिक स्तिथि सुधारने के लिए आजीविका विकास और पर्यटन गतिविधियों पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान दिया जाएगा. जिससे इन सीमावर्ती गांवों से लगातार हो रहे पलायन पर लगाम लग सके.

Vibrant Village Scheme in Uttarakhand
उत्तराखंड में वाइब्रेंट विलेज योजना

उत्तरकाशी के 10 गांव वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल: वाइब्रेंट विलेज योजना में पिथौरागढ़ जिले के 27 गांव, उत्तरकाशी जिले के 10 गांव और चमोली जिले के 14 गांवों को शामिल किया गया है. इस योजना के तहत इन गांवों में आर्थिकी सुधार-आजीविका विकास के क्षेत्र में 60.05 करोड़ रुपए से 164 कार्य, ऊर्जा के क्षेत्र में 327.79 करोड़ रुपए की लागत से 52 कार्य, घर व ग्रामीण अवस्थापना के क्षेत्र में 114.09 करोड़ की लागत से 49 कार्य, पर्यटन के क्षेत्र में 105.78 करोड़ रुपए की लागत से 74 कार्य, पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुद्धार के क्षेत्र में 35.37 करोड़ की लागत से 11 कार्य, सड़क कनेक्टिविटी के क्षेत्र में 66.93 करोड़ रुपए की लागत से 53 कार्य, कौशल विकास के क्षेत्र में 1.24 करोड़ रुपए की लागत से 09 कार्य, सामुदायिक अवस्थापना सुविधा के क्षेत्र में 47.67 करोड़ रुपए की लागत से 98 कार्य किए जायेंगे.

Vibrant Village Scheme in Uttarakhand
वाइब्रेंट विलेज योजना के विकासकार्यों की लागत
विलेज की प्लानिंग करने पर जोर देने की जरूरत: उत्तराखंड राज्य के 51 गांवों को वाइब्रेंट विलेज के रूप में विकसित किए जाने को लेकर भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार लगातार कार्य कर रही है. वहीं, वैज्ञानिक वाइब्रेंट विलेज योजना को पूरी तरह से धरातल पर उतारने से पहले विलेज की प्लानिंग करने पर जोर दे रहे हैं, ताकि इन विलेज की स्तिथि भी आने वाले समय में जोशीमठ समेत अन्य पर्यटक स्थलों जैसी ना हो जाएं. क्योंकि जोशीमठ में अत्यधिक लोड के चलते भू धंसाव की घटना हुई है, जिसके चलते तमाम घरों में दरारें पड़ गई है. साथ ही मुख्य पर्यटक स्थलों में भी लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है.
Vibrant Village Scheme in Uttarakhand
वाइब्रेंट विलेज योजना के गांव
प्लानिंग करने पर नहीं होगी जोशीमठ जैसी स्थिति: वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की वैज्ञानिक डॉ. स्वप्नमिता वैदेश्वरन ने बताया कि हिमालय के विलेज अब टाउन बनने जा रहे हैं. ऐसे में भविष्य को देखते हुए तत्काल प्रभाव से विलेज को प्लान करना शुरू कर दें, क्योंकि, जब विलेज में लोग बसने शुरू हो जाएंगे, तो विकास कर कार्य भी शुरू हो जाएंगे. ऐसे समय में प्रॉपर प्लानिंग नहीं हो पाती है, लेकिन अभी संभव है, क्योंकि विलेज खाली हैं. ऐसे में अगर अभी से भी विलेज को प्लान करना शुरू कर देंगे, तो जोशीमठ जैसी स्थिति भविष्य में इन गांवों में उत्पन्न नहीं होगी.
Vibrant Village Scheme in Uttarakhand
वाइब्रेंट विलेज योजना
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हिमालय विलेज में बसने वाले लोगों को जागरूक होने की जरूरत: डॉ. स्वप्नमिता वैदेश्वरन ने बताया कि मुख्य रूप से माउंटेन टाउन और विलेज को प्लान करना चाहिए. साथ ही हिमालय विलेज में बसने वाले लोगों को भी इस बात को लेकर जागरूक होने की जरूरत है कि पहाड़ पर पक्का मकान न होने से सोशल स्टेट्स कम नहीं होगा. उन्होंने कहा कि पहले पहाड़ों में बहुत दूर-दूर और ऊंचाई पर मकान हुआ करते थे, लेकिन अब लोग मुख्य मार्ग और तमाम सुविधाओं को देखते हुए बाजारों के आसपास बसना चाहते हैं.

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Last Updated :Nov 27, 2023, 5:17 PM IST
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