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सियासी बिसात पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यूं खाई मात, देखें राजनीतिक सफर

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Published : Mar 9, 2021, 6:24 PM IST

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यूं खाई मात
त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यूं खाई मात

उत्तराखंड में सियासी संकट का पटाक्षेप हो गया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पार्टी नेतृत्व के आदेश पर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा है.

देहरादून: त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार शाम करीब 4.30 बजे राज्यपाल बेबी रानी मौर्या से मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया. देहरादून में बुधवार सुबह 10 बजे बीजेपी विधायक दल की बैठक होनी है, जिसमें नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा.

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों की लिस्ट.

राजभवन में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को इस्तीफा देने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि 'मैं लंबे समय से राजनीति कर रहा हूं. चार वर्षों से पार्टी ने मुझे सीएम के रूप में सेवा करने का मौका दिया. मैं सोच नहीं सकता था कि मैं कभी सीएम बन सकता हूं, लेकिन बीजेपी ने मुझे सेवा करने का मौका दिया. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बीजेपी में जो भी फैसले होते हैं वह सामूहिक विचार के बाद होते हैं.

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि बुधवार सुबह 10 बजे विधायक दल की बैठक में सभी विधायक मौजूद रहेंगे. जब त्रिवेंद्र सिंह रावत से पत्रकारों ने पूछा कि सीएम के पद से उन्हें इस्तीफा क्यों देना पड़ा तो उन्होंने कहा कि इसके लिए आपको दिल्ली से पूछना पड़ेगा.

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त्रिवेंद्र का सियासी सफरनामा.

ये भी पढ़ें: 'डेढ़ लाइन' के इस्तीफे में खत्म हुआ त्रिवेंद्र का 'चार साल' का कार्यकाल

त्रिवेंद्र सिंह रावत का सफरनामा

त्रिवेंद्र सिंह रावत का जन्म 20 दिसंबर 1960 को पौड़ी जिले की कोटद्वार तहसील के खैरासैंण गांव में हुआ. 17 मार्च 2017 को वो उत्तराखंड के नौवें मुख्यमंत्री बने. उनका कार्यकाल करीब 4 साल रहा. त्रिवेंद्र रावत 1979 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े. 1981 में संघ के प्रचारक के रूप में काम करने का संकल्प लिया. 1985 में देहरादून महानगर के प्रचारक बने. इसके बाद उनकी राजनीति में एंट्री हुई और ठीक आठ साल बाद 1993 में वो बीजेपी के क्षेत्रीय संगठन मत्री बनाए गए.

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त्रिवेंद्र का सियासी सफरनामा.

चार साल बाद यानी 1997 में त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री बने. इस समय तक उत्तराखंड अलग राज्य नहीं बना था. ठीक पांच साल बाद यानी 2002 में त्रिवेंद्र रावत को बीजेपी प्रदेश संगठन में महामंत्री बनाया गया. इसी साल वो देहरादून की डोईवाला विधानसभा सीट से चुनाव भी जीते. अगले विधानसभा चुनाव यानी 2007 में त्रिवेंद्र ने डोईवाला से फिर जीत का परचम लहराया. उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनी और त्रिवेंद्र रावत कैबिनेट मंत्री बने. उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया.

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त्रिवेंद्र का सियासी सफरनामा.

2010 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया. 2014 में उन्हें बीजेपी ने झारखंड के प्रभारी की जिम्मेदारी दी. पवित्र गंगा सफाई के लिये 'नमामि गंगे' के सदस्यों में से एक बनाया गया. 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत फिर से डोईवाला विधानसभा सीट के विजयी रहे और इस बार तो वो मुख्यमंत्री बन गए. त्रिवेंद्र रावत उत्तराखंड के 9वें मुख्यमंत्री बने थे.

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त्रिवेंद्र का सियासी सफरनामा.

आरएसएस में सक्रियता

  • 1979 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े.
  • 1981 में संघ के प्रचारक बने.
  • 1981 में देहरादून महानगर के प्रचारक बने.

राजनीतिक पदाधिकारी के रूप में सफर

  • 1993 में बीजेपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री बने.
  • 1997 में बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री बने.
  • 2002 में बीजेपी प्रदेश संगठन में महामंत्री बने.

राष्ट्रीय स्तर पर पदभार

  • 2010 में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव बने.
  • 2014 में झारखंड के प्रभारी बने.
  • नमामि गंगे परियोजना के सदस्य बने.

पहली बार विधायक-मंत्री

  • 2002 में देहरादून की डोईवाला सीट से विधायक बने.
  • 2007 में डोईवाला से फिर चुनाव जीते और कृषि मंत्री बने.

2017 में मुख्यमंत्री बने

  • 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी बंपर सीटों से जीती.
  • त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने.
  • करीब चार साल तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे.

विवादों से भी रहा नाता

जुलाई 2019 में त्रिवेंद्र रावत का एक बयान आया था जिस पर विवाद हुआ था. उन्होंने कहा था कि गाय एकमात्र जानवर है जो ऑक्सीजन को बाहर निकालती है. गाय की ऑक्सीजन बाहर निकालने की प्रक्रिया तपेदिक जैसी बीमारी को ठीक कर सकती है. इस अवैज्ञानिक बयान की बड़ी आलोचना हुई थी.

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विवादों से रहा नाता.

इतनी है संपत्ति

  • शुद्ध संपत्ति 1.04 करोड़ रुपए.
  • संपत्ति 1.16 करोड़ रुपए.
  • उत्तरदायित्व 11.59 लाख रुपए.
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