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उत्तराखंड आ रहे हैं तो इन स्थानों पर सावधान!, जरा सी लापरवाही जान पर पड़ती है भारी

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Published : Jul 8, 2022, 4:00 PM IST

Updated : Jul 8, 2022, 6:12 PM IST

uttarakhand
देहरादून

उत्तराखंड के कई पर्यटन स्थल ऐसे हैं जो मॉनसून सीजन में बेहद खतरनाक हो जाते हैं. यहां पर बारिश के समय जाना जानलेवा हो सकता है. सरकार ने पूरे प्रदेश में 325 से ज्यादा ऐसे स्थानों को चिह्नित किया है, जिनमें राजधानी देहरादून के गुच्चुपानी और टिहरी के धनौल्टी समेत कई स्थान हैं जो असावधानी पर जानलेवा हो सकते हैं. इनमें पिथौरागढ़ और चमोली जनपद के भी कई स्थान शामिल हैं. आइए जानते हैं....

देहरादून: अपनी खूबसूरती के लिए उत्तराखंड दुनियाभर में प्रसिद्ध है. लेकिन बारिश के मौसम में खूबरसूरत प्रदेश उतना ही डरावना हो जाता है. उत्तराखंड के 13 जिलों में ऐसी कई जगहें हैं, जहां हर साल बरसात के दौरान न केवल लोग अपनी जान गंवा देते हैं, बल्कि यहां के लोगों पर हमेशा संकट के बादल मंडराते रहते हैं. सरकार की लिस्ट में 325 से ज्यादा ऐसे स्थान हैं, जो डेंजर जोन में आते हैं. इनमें से सैकड़ों गांव हैं जिन्हें विस्थापित करने की मांग लंबे समय से चल रही है. आज हम आपको उन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका जिक्र शायद आपको सरकारी दस्तावेजों में ना मिले लेकिन हर साल इन क्षेत्रों में भारी तबाही होती है.

पर्यटन मंत्री ने दिए निर्देश: मॉनसून सीजन में उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए सरकार सतर्क है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि उन्होंने भूस्खलन संभावित स्थानों पर जेसीबी तैनात करने के निर्देश दे दिए हैं, ताकि मार्ग को तत्काल खोला जा सके. उन्होंने लोक निर्माण विभाग को भी सभी नालियों को साफ करने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही सतपाल महाराज ने बारिश में सड़कों के डामरीकरण पर भी रोक लगा दी है. वहीं, पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष एजाज अहमद ने कहा है कि बारिश के समय भूस्खलन संभावित स्थानों पर जेसीबी की तैनाती की गई है. जिससे मार्ग बंद होने की स्थिति में इन मार्गों को तुरंत खोला जा सके.

उत्तराखंड के वो स्थान जो बरसात में हो जाते हैं बेहद खतरनाक.

उत्तराखंड में अगर आप मॉनसून के दौरान आ रहे हैं तो ईटीवी भारत आपको उन स्थानों के बारे में बता रहा है जहां पर आप बरसात के दिनों में बिल्कुल ना जाएं और अगर जाएं तो इस बात को सुनिश्चित कर लें कि पहाड़ों में बारिश लंबे समय से जारी तो नहीं है. क्योंकि एक पल में आपको ऐसा लगेगा कि जिस जगह पर आप खड़े हैं वहां पर चटक धूप है, दूसरे ही पल में अचानक से पहाड़ों से आता हुआ पानी और मलबा आपके लिए समस्या पैदा कर सकता है.

गुच्चू पानी है खतरनाक: राजधानी देहरादून में भी कई ऐसे स्थान हैं, जहां पर पर्यटक यह सोचकर मौज मस्ती करने आ जाते हैं कि मौसम बेहद खूबसूरत है. लेकिन पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश के बाद वह पर्यटक स्थल बेहद डरावने या यह कहें मनहूस साबित होते हैं. राजधानी देहरादून के पर्यटक स्थलों में सबसे सुंदर भी और सबसे खतरनाक भी नाम अगर आता है तो उसमें गुच्चुपानी (Robber's Cave) सबसे ऊपर है.

गुच्चुपानी देहरादून में स्थित वह गुफा है, जहां से पहाड़ों से आता पानी लोगों के के लिए किसी एडवेंचर से कम नहीं होता. लोग इस स्थान पर परिवार के साथ मौज मस्ती करने आते हैं. यह जितनी खूबसूरत है, बरसात के दिनों में अचानक पहाड़ों से आता पानी इतना ही इसे डरावना बना देता है. हर साल इस जगह पर कई पर्यटक पानी में फंसते हैं. और रेस्क्यू टीमों द्वारा उन लोगों को रेस्क्यू किया जाता है.
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मालदेवता नदी में फंस चुके कई लोग: देहरादून में इसी तरह से मालदेवता नदी भी बरसात के दिनों में खौफनाक हो जाती है. यहां पर भी अमूमन लोग बरसात के दिनों में नदी किनारे घूमने और शानदार फोटोग्राफी के लिए पहुंचते हैं, लेकिन कभी-कभी लोगों का यह शौक उनके लिए मुसीबत का सबब बन जाता है.

सुसवा नदी बन जाती है सुरसा: इसी तरह से राजधानी देहरादून में सुसवा नदी भी अपना कहर बरपाती है. यहां पर भी अचानक पानी बढ़ने की वजह से लोगों के घरों तक पानी पहुंच जाता है. सबसे अधिक हर साल डरावनी तश्वीरें आतीं हैं तो वो मसूरी के कैंम्पटी से. यहां कभी भी पर्यटक नहाते नहाते तेज पानी का शिकार हो जाते हैं.

मॉनसून में चकराता रोड भी बन जाती है खतरनाक: देहरादून में चकराता रोड स्थित मार्ग भी हमेशा से लोगों के लिए समस्या पैदा करता रहा है. चकराता से त्यूणी और उत्तरकाशी जाने वाली रोड भारी भूस्खलन की वजह से हमेशा से बंद रहती आई है. ऐसे में अगर आप लोग भी मॉनसून में इन जगहों पर आने का कार्यक्रम बना रहे हैं तो थोड़ा सब्र कर लें.
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अस्सी घाट पर भागीरथी लेती है रौद्र रूप: राजस्थानी देहरादून से लगता हुआ एक और जनपद है, जिसका नाम है उत्तरकाशी. उत्तरकाशी में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम स्थित हैं. लेकिन हर साल बरसात के मौके पर उत्तरकाशी में भी कुछ जगह हैं, जो बेहद खतरनाक हो जाती हैं. उनमें सबसे पहला नाम अस्सी घाट का. अस्सी घाट उत्तरकाशी में बेहद प्रसिद्ध घाटों में से एक है. गंगोत्री से बहने वाली गंगा बरसात के दिनों में जब अस्सी घाट पहुंचती है, तो हमेशा से रूद्र रूप धारण कर लेती है.

बरसात के दिनों में मोरी बाजार में भी कई समस्या पैदा हो जाती हैं. ऐसा शायद ही होता हो कि बारिश के दिनों में उत्तरकाशी के मोरी बाजार, अस्सी घाट, हर की दून, खारदी आदि जगहों पर लोगों की मौत ना होती हो. लिहाजा उत्तरकाशी के यह स्थान भी बरसात के दिनों में बेहद डरावने हो जाते हैं

चमोली में सबसे अधिक फटते हैं बादल: चमोली जिले में भी कुछ ऐसे स्थान हैं, जो बरसात के दिनों में बेहद मनहूस साबित होते हैं. हर साल इन जगहों पर लोग अपनी जान गंवा देते हैं. चमोली जिले में घाट क्षेत्र, देवाल क्षेत्र और जोशीमठ ऐसी जगह हैं, जहां पर हर साल बादल फटने की सबसे अधिक घटनाएं होती हैं. बादल फटने की वजह से गांव के गांव तबाह हो जाते हैं. इसके साथ ही लामबगढ़ और पागल नाला जैसे कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां से अगर आप गुजर रहे हैं, तो एक बार ऊपर नजर जरूर मार लें. कहीं ऐसा ना हो कि पहाड़ों से गिरते पत्थर आपके लिए और आपके परिवार के लिए मुसीबत बन जाएं. मॉनसून में अगर आप चमोली जिले में घूमने आ रहे हैं तो इन जगहों पर बेहद सावधानी पूर्वक भ्रमण करें.

बरसात में डराता है पौड़ी का ये क्षेत्र: पौड़ी जिले में भी कई ऐसे स्थान हैं, जो हैं तो बहुत खूबसूरत लेकिन यहां पहुंचने वाले मार्ग बेहद मुश्किल भरे हो जाते हैं. बरसात के दिनों में पौड़ी जिले में भी कोटद्वार से लेकर श्रीनगर तक ऐसे कई स्थान हैं जिन से निकलना बेहद मुश्किल होता है. कोटद्वार की अगर बात करें तो पंताली नाला मूल या गांव चमधार जैसे बरसाती नाले बेहद खतरनाक हो जाते हैं. इन जगहों में अचानक पहाड़ों से आता पानी हार साल लोगों को डराता है. इसके साथ ही अब तक इन जगहों पर कई लोगों की मौत भी हो चुकी है.

अल्मोड़ा की खतरनाक सड़कें: आपदा अगर कुमाऊं में सबसे ज्यादा कहीं आती है तो वह पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जनपद हैं. अल्मोड़ा की तहसील थला गूंठ, बल्टाबाड़ी, सिराड़, दयोली, भूल्यूड़ा, तहसील सल्ट में रगड़गाड़, पनुवाद्योखन, चौखुटिया में बसरखेत, लमगड़ा में माल्टा व बजेठी, रानीखेत में इंद्रा बस्ती को संवेदनशील माना जाता है. अतिसंवेदनशील गांवों के तौर पर खेरखेत, बूढ़ाधार, बल्टा, रैलाकोट व ल्वेटा को चिन्हित किया गया है. यह क्षेत्र बरसात में सबसे ज्यादा खतरनाक हो जाते हैं. यहां के ग्रामीणों को हर साल भूस्खलन और आपदा का सामना करना पड़ता है. सरकार की लिस्ट में भी इन गांवों को खतरनाक घोषित किया हुआ है.

पिथौरागढ़ के गांव भी होते हैं आपदा का शिकार: पिथौरागढ़ कुमाऊं का सबसे बड़ा जिला है. यहां पर हर साल मॉनसून सबसे अधिक तबाही मचाता है. पिथौरागढ़ का थल मुनस्यारी, हृदयाना नाला, बंगापानी, धरौडी गांव, तवा घाट सड़क और खुंपी गांव का नाला मॉनसून में तबाही मचाता है. बरसात के दिनों में यह क्षेत्र लोगों की जान के ऊपर खतरा बनकर मंडराते हैं. पिथौरागढ़ जनपद में 17 स्थान ऐसे हैं, जहां पर लगातार भूस्खलन हो रहा है. इसके साथ ही बागेश्वर जिले में भूस्खलन संभावित 18 स्थान हैं.

Last Updated :Jul 8, 2022, 6:12 PM IST
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