ETV Bharat / state

सियासी उठापटक से प्रदेश का विकास प्रभावित, न नए काम की चर्चा, न पुराने कामों की समीक्षा

author img

By

Published : Jul 2, 2021, 5:24 PM IST

Dehradun
देहरादून

उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों से राज्य के विकास कार्यों पर भी इसका सीधा असर पड़ा है. पिछले 3 दिन से प्रदेश में सीएम स्तर पर कोई बैठक नहीं हुई है. इसके अलावा न नए कामों पर चर्चा हुई है और न ही पुराने कामों की समीक्षा.

देहरादूनः उत्तराखंड में पिछले 3 दिन से राजनीतिक उठापटक की कयासबाजियां जारी हैं. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह के दिल्ली दौरे के साथ ही प्रदेश में न केवल राजनीतिक समीकरणों पर कानाफूसी चल रही है, बल्कि राज्य के विकास कार्यों पर भी इसका सीधा असर दिख रहा है. हालांकि विभागीय मंत्री इस बात को मानने से इंकार कर रहे हैं. लेकिन हकीकत ये है कि योजनाएं प्रदेश के इस राजनीतिक उतार-चढ़ाव के कारण प्रभावित हो रही हैं.

उत्तराखंड में राजनीतिक संकट हमेशा ही प्रदेश के विकास के लिए बाधक रहा है. राज्य में हर 5 साल के दौरान ऐसे राजनीतिक समीकरण बनते हैं कि पूरा प्रदेश विकास के लिए तरस जाता है. इस दौरान चर्चा या तो मुख्यमंत्री के हटने और नए मुख्यमंत्री के बनने की होती है, या फिर सरकार की स्थिरता की. मौजूदा हालात भी कुछ यू हीं बयां कर रहे हैं.

बिशन सिंह चुफाल के विभाग पर असर नहीं.

न नए काम की चर्चा, न पुराने कामों की समीक्षा

प्रदेश में मंत्रियों के आवास से लेकर सचिवालय और विभागों-अनुभागों तक में नए कामों की ना तो बात हो रही है और ना ही पुराने काम की समीक्षा. चर्चा है तो बस तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने और नए मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर.

नहीं हुई सीएम स्तर पर बैठक

दरअसल पिछले कुछ दिनों से राज्य में न तो मुख्यमंत्री स्तर पर कोई बैठक हुई है. ना ही मंत्री नए समीकरणों के इंतजार में काम कर पा रहे हैं. हालांकि पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल का कहना है कि उनके विभाग में सभी कार्य चल रहे हैं. नए राजनीतिक समीकरणों का उनके विभागों के विकास कार्यों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है.

ये भी पढ़ेंः नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को सांसद भट्ट ने किया खारिज, 'PM से मिलने जाते हैं CM'

मुख्यमंत्री पद पर संकट आने से असर

  • विभागीय मंत्रियों का भी फोकस नेतृत्व परिवर्तन पर टिके रहने से जरूरी कार्य लटक जाते हैं.
  • राज्य की सरकारी मशीनरी विकास कार्यों पर लापरवाह हो जाती है.
  • विभिन्न विकास कार्यों के शुभारंभ से जुड़ी फाइलें अटल जाती हैं.
  • नए कार्यों को लेकर नीतिगत फैसले नहीं हो पाते हैं.
  • विभिन्न कार्यों की समीक्षा नहीं होने से विकास कार्यों की गुणवत्ता और गति पर भी इसका असर पड़ता है.
  • इस पूरे संकटकाल के बाद सीएम के बदलने से राज्य के राजस्व का भी खासा नुकसान होता है.
  • राजनीतिक गुटबाजी और नौकरशाही की लॉबिंग भी इन हालातों में तेज होती है.

खास बात यह है कि प्रदेश में चुनाव के लिए महज 6 महीने का वक्त बचा है. ऐसे में जब सरकार को तेजी से काम करना चाहिए था. तब सरकार मुख्यमंत्री को लेकर ही उलझी हुई है. हालांकि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री को लेकर क्या फैसला होगा यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन इसका उत्तराखंड को बेहद ज्यादा नुकसान हो रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.