विकासनगरः चकराता वन क्षेत्र में कई प्रकार की बहुमूल्य जड़ी बूटियां पाई जाती है. जिस पर अब सीसीआरएएस आयुष मंत्रालय के क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान सर्वे करेगा. जिसके बाद औषधीय पौधों का डॉक्यूमेंट किया जाएगा. ताकि, भविष्य में नई पीढ़ी अपने आस पास के मेडिसिनल पेड़ पौधों को पहचान सकें. साथ ही उनके संरक्षण पर काम किया जा सके.
दरअसल, केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (CCRAS) के आयुष मंत्रालय के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान की वैज्ञानिक दीपशिखा आर्य के नेतृत्व में टीम इन दिनों चकराता वन क्षेत्र में अध्ययन कर रही है. टीम अभी कोटी कनासर रेंज, टाइगर फॉल, कालसी रेंज में सर्वे कर रही है. डॉक्टर दीपशिखा ने बताया कि जो भी जंगली वनस्पतियां या औषधीय पौधे हैं, उनका सर्वे किया जा रहा है. इतके तहत आयुर्वेदिक औषधीय पौधों को डॉक्यूमेंट किया जाएगा.
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उन्होंने बताया कि पहले लोग अपना इलाज इन्हीं जड़ी बूटियों से करते थे. यहां के लोग जो भी दवाइयों इस्तेमाल या औषधीय पौधों से दवा तैयार करते थे, आज तक उनका डॉक्यूमेंट नहीं किया गया है. ऐसे में उन सभी जड़ी बूटियों और औषधीय पौधों को डॉक्यूमेंट करना बेहद जरूरी है. पहले वो किस पद्धति का इस्तेमाल करते थे? यह जानना आवश्यक है. इसके अलावा कुछ ऐसी दवाइयां हैं, जिनके बारे में अभी भी हम लोगों को पता नहीं है. ऐसे में उन पौधों के औषधीय गुण के बारे में पता करना होगा. ताकि, उनका केमिकल एनालिसिस कर नई दवाइयों को विकसित किया जा सके.
दीपशिखा आर्य ने बताया कि अगर इन जड़ी बूटियों की लिस्ट या जानकारी मिल जाएगी तो लोगों को भी जागरूक किया जा सकता है. साथ ही उनका संरक्षण भी किया जा सकता है. यहां पर तगर, पाषाण वेध, दारू हरिद्रा, चिरायता आदि जड़ी बूटियां हैं, जो अब विलुप्ति की कगार पर है. ऐसे में लोगों को इन पौधों के संरक्षण के प्रति जागरूक करना होगा. लोगों को इन जड़ी बूटियों की खेती को लेकर प्रोत्साहित करना होगा. ताकि, वो इन पौधों की खेत कर अपना आजीविका चला सके.
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इससे दो काम एक साथ हो सकते हैं. एक तरफ जड़ी बूटियों का संरक्षण होगा तो वहीं दूसरी तरफ लोगों की आय भी बढ़ेगी. इसके अलावा आने वाली पीढ़ी भी इन जड़ी बूटियों के बारे में जान सकेगी. उन्होंने कहा कि भविष्य में इन औषधीय पौधों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. हालांकि, संस्थान की ओर से नियमित रूप से ट्रेनिंग के साथ औषधीय पौधों को बांटते हैं. साथ ही लोगों को भी बताते हैं.