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उत्तराखंड में विवादित जमीनों से बीजेपी का नाता! लैंड फ्रॉड के मामलों से सवालों में सत्ताधारी दल

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 24, 2023, 7:30 PM IST

Updated : Nov 24, 2023, 10:25 PM IST

congress gave statement on Kotdwar land Dispute धामी सरकार एक तरफ प्रदेश में भू माफियाओं पर नकेल कसने का दावा कर रही है, तो वहीं, दूसरी तरफ सत्ताधारी दल खुद लैंड फ्रॉड के संकट से गुजरता दिख रहा है. प्रदेश मुख्यालय के लिए खरीदी गई जमीन के कारण फजीहत झेलने वाली भाजपा अब कोटद्वार में जिला कार्यालय की जमीन पर विवाद से कटघरे में आ गई है.

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उत्तराखंड में विवादित जमीनों से बीजेपी का नाता

देहरादून: उत्तराखंड में सत्ताधारी भाजपा का विवादित जमीनों से नाता जुड़ता जा रहा है. अभी करोड़ों में खरीदी गई देहरादून की जमीन का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब कोटद्वार की जमीन भी विवादों में आ गई है. दरअसल भारतीय जनता पार्टी देशभर की तरह उत्तराखंड में भी हाईटेक कार्यालय खोलने की कोशिशों में जुटी हुई है. हैरत की बात यह है कि सत्ताधारी दल जिस जमीन को खरीदता है, उस पर फर्जीवाड़े का विवाद हो जाता है. ताजा मामला कोटद्वार का है, जहां पर भारतीय जनता पार्टी का जिला स्तर कार्यालय बनाया जाना है.

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने जांच करवाने के दिए निर्देश: कार्यालय बनाने के लिए रूपरेखा भी तैयार कर दी गई है और मुख्यमंत्री धामी द्वारा इसके लिए काम भी शुरू किए जाने की चर्चा है, लेकिन इस बीच एक ऐसा विवाद शुरू हो गया. जिसके बाद पूरी योजना ही धराशाई होती हुई दिखाई दे रही है. दरअसल भारतीय जनता पार्टी जिस जमीन पर अपना जिला स्तरीय कार्यालय खोलना चाहती है, वह जमीन कब्रिस्तान की होने का दावा किया जाने लगा है. मामले में एक के बाद एक कई शिकायतें आने के बाद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने भी इस जमीन पर जांच करवाने की तैयारी कर ली है. इसके लिए वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स ने बोर्ड के सीईओ को जांच करने के निर्देश भी दे दिए हैं.

सवालों के घेरे में सत्ताधारी दल भाजपा: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स भाजपा से ही ताल्लुक रखते हैं और सरकार द्वारा इन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है. इसके बावजूद उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि जमीन पर निष्पक्ष जांच होगी और जमीन वक्फ बोर्ड की निकलने पर खाली भी करवाई जाएगी. साथ ही भारतीय जनता पार्टी पर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं, क्योंकि इससे पहले देहरादून अंतर्गत आने वाले रायपुर क्षेत्र में भी भाजपा के प्रदेश स्तरीय मुख्यालय को स्थापित करने के लिए करोड़ों की जमीन खरीदी गई थी और बाद में यह जमीन चाय बागान की होने की बात सामने आई थी. जिस पर अभी कोर्ट में मामला चल रहा है.

भाजपा का लैंड फ्रॉड से है पहले का नाता: लिहाजा सवाल यह उठ रहा है कि भारतीय जनता पार्टी का ऐसी विवादित जमीनों से क्यों नाता जुड़ रहा है. यह स्थिति तब है, जब भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड में सत्ता में है और किसी भी जमीन को खरीदने के लिए भारतीय जनता पार्टी का एक व्यवस्थित मैनेजमेंट भी है. जिसमें जानकारी और जिम्मेदार पदाधिकारी लैंड परचेज कमेटी के रूप में पूरी खोजबीन के बाद ही जमीनों की खरीद फरोख्त करते हैं.
कांग्रेस ने सत्ताधारी दल भाजपा पर साधा निशाना: भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय के लिए एक के बाद एक दो जमीनों के विवादों में आने से पार्टी में जमीन खरीद से जुड़े लोगों पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. हालांकि भारतीय जनता पार्टी इस मामले में विक्टिम कार्ड के साथ खड़ी दिखती है. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट ने कहा कि तमाम जिलों में पार्टी के नेता अतिक्रमण कर रहे हैं, लेकिन सरकार का बुलडोजर कभी उन पर नहीं चलता. उन्होंने कहा कि इन मामलों के सामने आने से यह साफ हो गया है कि अतिक्रमण हटाने का दावा करने वाली भाजपा खुद अतिक्रमण कर रही है.
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भाजपा ने मामले की जांच होने का किया दावा: कांग्रेस के सामने आने के बाद भाजपा भी इस मामले को गंभीरता से ले रही है और पार्टी के नेता विवादित जमीनों पर पार्टी की सफाई देने के लिए भी आगे आए हैं. इस मामले में कोटद्वार की जमीन को लेकर पार्टी के नेता जमीन में किसी तरह के विवाद के नहीं होने की बात कह रहे हैं और जमीन की पूरी जांच के बाद ही खरीद होने का दावा भी कर रहे हैं.

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Last Updated : Nov 24, 2023, 10:25 PM IST
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