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Exclusive: आलीशान बंगलों को छोड़ने से कतराते हैं ये 'माननीय', विपक्षियों पर भी मेहरबान सरकार

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Published : Jul 28, 2022, 4:22 PM IST

Updated : Jul 28, 2022, 9:08 PM IST

government bungalow in Uttarakhand
सरकारी बंगला

उत्तराखंड में सरकारी बंगलों पर माननीयों की निगाहें ललचाई सी दिखाई देती है. राज्य में ऐसे पुराने कई उदाहरण हैं. ताजा मामला न केवल सरकार से जुड़े लोगों का है, बल्कि विपक्षी दल भी सरकार की मेहरबानी में मित्र विपक्ष की भूमिका को अदा करते दिखाई दे रहे हैं. यही वजह है कि कई माननीय अभी भी सरकारी बंगलों पर कुंडली मारे बैठे हैं.

देहरादूनः राजधानी दून के यमुना कॉलोनी में मंत्रियों के आवास माननीयों के आकर्षण का केंद्र रहते हैं. आलीशान कोठियों में जाने की कोशिशें न केवल सरकार बल्कि, विपक्षी दलों के नेताओं की भी रहती है. शायद इसलिए नेताओं को जब ये आलीशान कोठियां मिलती है तो वो इन्हें खाली करने से बचते हुए नजर आते हैं.

बहरहाल, ताजा मामला भी उत्तराखंड में सरकार से जुड़े नेताओं से लेकर विपक्ष के नेताओं तक दिखाई दे रहा है. बीजेपी के पूर्व मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद जिस बंगले में रहते थे, वो आज भी खाली नहीं हुआ है. भले ही इस बंगले में पूर्व कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद की मौजूदगी न दिखाई देती हो, लेकिन इस बंगले में आज भी कुछ लोग रह रहे हैं. इस बात के सबूत बंगले को देखकर मिल जाते हैं.

आलीशान बंगलों को छोड़ने से कतराते हैं ये 'माननीय'.

बंगले पर कुंडली जमाए बैठे स्वामी यतीश्वरानंदः जानकार बताते हैं कि स्वामी यतीश्वरानंद (Swami Yatishwaranand) ने इस बंगले को अब तक राज्य संपत्ति विभाग को सुपुर्द नहीं किया है. बता दें चलें कि यतीश्वरानंद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बेहद करीबी माने जाते हैं. ऐसे में यतीश्वरानंद की तरफ से मंत्रियों के लिए प्रस्तावित बंगले को खाली किया जाएगा. इसकी उम्मीद कम ही लगाई जा रही है.

सरकारी बंगले से बाहर नहीं निकल पाए प्रीतम सिंहः मामला केवल सरकार के पूर्व मंत्रियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विपक्षी दल के नेता भी सरकारी कोठियों पर नजरें टिकाए रहते हैं. यही वजह है कि कांग्रेस विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अब भी सरकारी बंगले के मोह से बाहर नहीं निकल पाए हैं. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के बाद प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष पद से हटा दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने सरकारी आवास नहीं छोड़ा.

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करन माहरा को भी मिला बंगलाः पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए करन माहरा सरकारी बंगले की तलाश में थे, प्रीतम सिंह बंगला खाली नहीं कर रहे थे तो ऐसे में करन माहरा को भी सरकारी बंगले का सुख नहीं मिल पा रहा था. हालांकि, बीजेपी सरकार ने बड़ी राजनीतिक चेतना चलते हैं, प्रीतम सिंह से बंगला खाली करवाए बिना ही प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को सरकारी बंगला आवंटित कर दिया है.

बंगला आवंटित करना मुख्यमंत्री का विवेकः जाहिर है कि सरकार की यह मेहरबानी विपक्ष के लिए अपना धर्म निभाने में परेशानी पेश कर सकती है. अब प्रीतम सिंह जो केवल एक विधायक हैं, उन्हें भी मंत्रियों वाला सरकारी बंगला मिला हुआ है और प्रदेश अध्यक्ष को भी नया बंगला दिया जा रहा है. इस मामले पर प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा कहते हैं कि मुझे मुख्यमंत्री का विवेक है, वो किसको बंगला आवंटित करें और किसको नहीं?

सरकार की मितव्यता के दावों पर भी सरकार का यह कदम सवाल खड़ा करता है. क्योंकि, एक तरफ कांग्रेस के विधायक जिनको इस तरह का बंगला नहीं दिया जाता, उन्हें सरकार बड़ा दिल दिखाकर बंगला आवंटित कर रही है तो अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री से भी बंगला खाली नहीं करवाया जा रहा है. इतना ही नहीं सरकार में दायित्व धारी को भी बंगला देकर उस पर पुनर्निर्माण के नाम पर लाखों खर्च किए जा रहे हैं.

Last Updated :Jul 28, 2022, 9:08 PM IST
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