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टेक होम राशन विवाद में रेखा आर्य की सफाई, केंद्र के पाले में डाली गेंद

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Published : Aug 17, 2021, 8:27 PM IST

Dehradun
देहरादून

टेक होम राशन योजना पर मंत्री रेखा आर्य का बयान आया है. मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि 1.5 लाख महिलाओं के रोजगार को लेकर भ्रांति फैलाई जा रही है. लेकिन सच यह है कि सिर्फ 7 जिलों में 154 समूह ही कार्यरत हैं.

देहरादून: केंद्र पोषित 'टेक होम राशन' (टीएचआर) योजना में किए जा रहे बदलाव को लेकर जहां प्रदेश की स्वयं सहायता समूह की महिलाएं खुद को ठगा महसूस कर रही हैं. वहीं, इस योजना पर छिड़े विवाद पर अब महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य की ओर से सफाई दी गई है.

मंत्री ने केंद्र के पाले में डाली गेंदः बता दें कि स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के मुताबिक टेक होम राशन योजना का कार्य निजी हाथों में दिए जाने से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी प्रदेशभर की डेढ़ लाख महिलाएं बेरोजगार हो जाएंगी. वहीं, इस पर कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि विभाग द्वारा भारत सरकार के दिशा निर्देशों का पालन किया जा रहा है.

7 जिलों में 154 समूह कार्यरतः मंत्री रेखा आर्य ने साफ कहा कि इस योजना में किसी के द्वारा 20 हजार, किसी के द्वारा 40 हजार और किसी के द्वारा 1.5 लाख महिलाओं के रोजगार को लेकर भ्रांति फैलाई जा रही हैं. लेकिन सच यह है कि पूरे प्रदेश में इस योजना में केवल 154 समूह ही कार्यरत हैं. इनमें से भी 6 जिलों में कोई भी समूह इस योजना पर कार्य नहीं कर रहा है. चूंकि यह योजना 'पोषण पूरक' योजना थी फिर भी विभाग ने इसे रोजगारपरक की व्यवस्था दी.

हालांकि नई व्यवस्था के तहत 154 समूहों की बजाय अब कई गुना ज्यादा समूहों को रोजगार प्रदान करने का कार्य हमारी सरकार ने किया है. जिसका लाभ राज्य के अंतिम छोर में बैठे हर नागरिक को मिल रहा है. बता दें कि THR योजना में 90 प्रतिशत अंश भारत सरकार का होता. वहीं 10 प्रतिशत राज्य सरकार का है. इस योजना से प्रदेश के 9 लाख बच्चे व गर्भवती/धात्री महिलाएं लाभान्वित होती हैं.

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क्या है पूरा मामला: दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में 2014 में टेक होम राशन के नाम से एक योजना शुरू की गई थी. इस योजना को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित किया जाता है. टेक होम राशन योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से नवजात शिशुओं, कन्या और अन्य कई योजनाओं के तहत पात्रों को राशन का वितरण किया जाता है. इस राशन की सप्लाई विभिन्न स्वयं सहायता समूहों को माध्यम से कराई जाती है.

इस व्यवस्था के तहत स्वयं सहायता समूहों की जुड़ी महिलाएं राशन की खरीद बाजार से करती हैं और इसकी पैकिग के लिए बैग, लिफाफे आदि समूह में काम करने वाली महिलाएं खुद से तैयार कर लेती हैं, उन्हें इस काम के बदले विभाग से भुगतान कर दिया जाता है.

लेकिन इसी साल बीते 8 अप्रैल को निदेशायल महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने एक विज्ञापन जारी करके टेक होम राशन के लिए ई-निविदा मांगी थी. अब ये काम ठेका पर किसी कंपनी को दिया जाएगा.

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