उमेश कुमार के खिलाफ SC में दर्ज SLP वापस लेगी उत्तराखंड सरकार, विधायक ने कही ये बात

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Published : Nov 18, 2022, 6:24 PM IST

Updated : Nov 18, 2022, 7:21 PM IST

Umesh Kumar reaction on SLP withdrawn
खानपुर विधायक उमेश कुमार ()

उत्तराखंड की राजनीति में आज का दिन सुप्रीम कोर्ट से सरकार की एसएलपी वापस लेने की चर्चाओं से गर्म रहा. चर्चा रही कि उत्तराखंड सरकार ने 2020 के नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में डाली उस याचिका को वापस लेने का फैसला कर लिया है, जो न केवल पत्रकार उमेश कुमार (वर्तमान निर्दलीय विधायक) पर राजद्रोह से जुड़ा है, बल्कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के एक मामले में सीबीआई जांच के आदेश से भी जुड़ा है. इस मामले पर उमेश कुमार का पक्ष भी जानें...

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट से खानपुर विधायक उमेश कुमार से जुड़ी एक एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) वापस लेने की खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उस मामले की एसएलपी वापस लेने का शपथ पत्र दिया है, जिसे त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट में लगाया गया था. ऐसे में यदि कोर्ट में ये एसएलपी वापस हो जाती है तो विधायक उमेश कुमार को बड़ी राहत मिल सकती है. इस बीच सरकार की ओर से एसएलपी वापस लिए जाने की चर्चाओं पर उमेश कुमार ने अपना पक्ष रखा है.

बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने पत्रकार उमेश कुमार पर राजद्रोह (Sedition case on Umesh Kumar) से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए उन्हें बरी कर दिया था. जबकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर घूस लेने से जुड़े आरोप की सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट के आदेश के बाद जहां एक तरफ त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निजी रूप से सुप्रीम कोर्ट में आदेश के खिलाफ एसएलपी दायर की थी तो वहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान ही उत्तराखंड सरकार ने भी इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई थी.

विधायक उमेश कुमार ने रखा पक्ष.

यह एसएलपी 27 अक्टूबर 2020 को उमेश जे कुमार बनाम उत्तराखंड राज्य मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी. इसमें सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मांग की थी कि उमेश कुमार पर राजद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए. बताया जा रहा है कि अब इसी मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस एसएलपी को वापस लेने का निर्णय लिया है. खबर है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस अर्जी पर सुनवाई नहीं हो पाई है. जबकि इसी मामले में पहले से ही त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्सेज उमेश कुमार और त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्सेस हरेंद्र सिंह रावत की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
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खानपुर विधायक उमेश कुमार ने रखा अपना पक्षः खानपुर विधायक उमेश कुमार ने कहा (Umesh Kumar reaction on SLP withdrawn) कि साल 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नजदीकी शख्स ने उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा किया था. जिसके बाद लंबी न्यायिक लड़ाई चली. मामला हाईकोर्ट पहुंचा. जहां से उन्हें जीत हासिल हुई. उनके खिलाफ दर्ज राजद्रोह का एफआईआर भी निरस्त हुई.

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से लगाए आरोपों का स्वत: संज्ञान लेकर सीबीआई (CBI) जांच के आदेश दिए. जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सुप्रीम कोर्ट चले गए. जहां उमेश कुमार के खिलाफ याचिका दायर कर सीबीआई जांच पर यथास्थिति का आदेश पारित कर दिया गया.

विधायक उमेश कुमार (Khanpur MLA Umesh Kumar) ने बताया कि इसके अलावा भी उनके खिलाफ हरेंद्र सिंह रावत बनाम उमेश शर्मा और सरकार बनाम उमेश शर्मा नामक दो अन्य एसएलपी दाखिल हुई थी. लेकिन उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन याचिका (Special Leave Petition) को वर्तमान धामी सरकार की ओर से निर्णय के मुताबिक वापस लिए जाने की बात सामने आई है, जिसे लेकर हंगामा भी हुआ है.

उन्होंने बताया कि सभी एसएलपी अलग-अलग हैं. आखिरी दो एसएलपी का पहली वाली एसएलपी से कोई संबंध नहीं है. राज्य सरकार ने जो याचिका वापस ली है, उनका त्रिवेंद्र सिंह रावत और उमेश कुमार से जुड़ी एसएलपी से कोई लेना देना नहीं है. सभी के मुद्दे अलग-अलग हैं.

जानिए पूरा मामला: दरअसल, वर्तमान विधायक उमेश कुमार तब एक पत्रकार की भूमिका में थे. ये पूरा मामला 2020 का है. उमेश ने आरोप लगाया था कि साल 2016 में झारखंड के 'गौ सेवा आयोग' के अध्यक्ष पद पर एक व्यक्ति की नियुक्ति में सिफारिश के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घूस ली थी और ये रकम उनके रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर की गई थी. उस समय त्रिवेंद्र सिंह बीजेपी के झारखंड प्रभारी थे. इन आरोपों के बाद उत्तराखंड की तत्कालीन त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने जुलाई में उमेश शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. इस एफआईआर को रद्द करवाने के लिए उमेश कुमार नैनीताल हाई कोर्ट पहुंचे थे.

अक्टूबर 2020 में नैनीताल हाईकोर्ट ने उमेश शर्मा के खिलाफ दायर एफआईआर खारिज कर दी थी लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगे आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया था. हालांकि, इस आदेश को त्रिवेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी.

2022 में जीता चुनाव: उमेश कुमार शर्मा साल 2022 विधानसभा चुनाव में हरिद्वार जिले की खानपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बने हैं. यह सीट पूर्व में बीजेपी के पास रही है और पूर्व MLA कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन का गढ़ मानी जाती थी. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन की पत्नी कुंवररानी देव्यानी सिंह को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें हराकर उमेश शर्मा विधायक बने.

Last Updated :Nov 18, 2022, 7:21 PM IST
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