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स्वास्थ्य मंत्री से मिले दून अस्पताल से हटाए गए फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स, धन सिंह ने दिया समायोजन का आश्वासन

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Published : Mar 23, 2023, 11:31 AM IST

Doon Hospital
स्वास्थ्य पौड़ी

उत्तराखंड में कोरोना काल के दौरान डेढ़ हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मी इमरजेंसी सेवाओं के लिए भर्ती किए गए थे. अब कोरोना खत्म हुआ तो सरकार को ये कर्मचारी भी बोझ लगने लगे. 15 मार्च को इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं. नौकरी से निकाले गए फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मचारी आज उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत से मिले. स्वास्थ्य मंत्री रावत ने इन लोगों को समायोजित करने का आश्वासन दिया है.

देहरादून: कोरोना काल में दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में आउट सोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से लगे करीब 300 स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स की सेवा समाप्त कर दी गई थी. जिसके बाद से हेल्थ वर्कर्स सेवा विस्तार की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं.

अपनी मांगों को लेकर स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य मंत्री धनसिंह रावत से उनके यमुना कॉलोनी स्थित आवास पर मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा. यूनियन के अध्यक्ष संजय कोरांग ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन दिया है कि सभी कर्मचारियों को रिक्त पदों के सापेक्ष समायोजित किया जाएगा. उन्होंने अपनी मांग उठाते हुए कहा कि जब तक सरकार द्वारा रिक्त पदों पर सीधी भर्ती नहीं की जाती, तब तक सभी कर्मचारियों को उन पदों पर सेवा विस्तार किया जाए.

संजय कोरांग ने कहा कि भविष्य में अगर सरकार ने रिक्त पदों पर सीधी भर्ती की तो कोरोना काल में अपनी सेवाएं देने वाले कर्मचारियों को 15 प्रतिशत की छूट दी जाए. इसके साथ ही सरकार द्वारा जिन पदों पर सीधी भर्ती नहीं की जाती है, उन्हें निरंतर सेवा विस्तार दिया जाए. संजय कोरांग का कहना है कि 15 मार्च को अस्पतालों से करीब 1600 स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स को हटा दिया गया. जिसके बाद वह अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है.
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उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री को स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ केयर वर्कर यूनियन की ओर से मांगों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा गया है. सभी कर्मचारियों को यह उम्मीद है कि जल्द ही उनकी मांगों का निस्तारण हो जाएगा. गौरतलब है कि कोरोना काल में आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से दून अस्पताल में लगाए गए कर्मचारियों की 15 मार्च को सेवाएं समाप्त कर दी गई थी. जिसके बाद से कोरोना वारियर्स सेवा विस्तार की मांग उठा रहे हैं. इतने कर्मचारियों के निकाले जाने के बाद अस्पताल में व्यवस्था भी चरमरा गई है. मरीजों और तीमारदारों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है.

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