चंपावत को आदर्श विधानसभा सीट बनाने में जुटा दून IIP, 10 ब्लॉक पर काम शुरू

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Published : Sep 12, 2022, 9:28 AM IST

Champawat Model Assembly
चंपावत आदर्श विधानसभा ()

चंपावत को आदर्श विधानसभा क्षेत्र बनाने के लिए देहरादून आईआईपी अहम भूमिका निभा रहा है. देहरादून आईआईपी शिक्षण संस्थान ने पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चंपावत विधानसभा क्षेत्र के 10 ब्लॉक में काम शुरू कर दिया है. चंपावत उपचुनाव के दौरान सीएम धामी ने चंपावत को आदर्श विधानसभा क्षेत्र बनाने का ऐलान किया था.

देहरादूनः उत्तराखंड की चंपावत विधानसभा सीट (Champawat Legislative Assembly of Uttarakhand) को आदर्श विधानसभा सीट बनाने के लिए देहरादून की आईआईपी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव के दौरान चंपावत विधानसभा सीट को एक आदर्श विधानसभा सीट (Champawat Model Assembly) बनाने की घोषणा की थी. इसी घोषणा को पूरा करते हुए विज्ञान और तकनीकी की मदद से चंपावत विधानसभा सीट को ऊर्जा चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट बनाने को लेकर लगातार काम किया जा रहा है.

सरकार की तरफ से तमाम शोधकर्ताओं और शिक्षण संस्थाओं को एक छोटी सी जगह पर ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्रों को लेकर एक ही इको सिस्टम तैयार करने के लिए एक्सरसाइज की जा रही है. इसी कड़ी में देहरादून आईआईपी शिक्षण संस्थान (Dehradun IIP Educational Institute) ने पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चंपावत विधानसभा सीट के 10 ब्लॉक में काम शुरू कर दिया है.

चंपावत विधानसभा सीट बनेगी आदर्श

देहरादून में मौजूद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम संस्थान (Indian Institute of Petroleum) के निदेशक डॉ. रंजन रे ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि आईआईपी देहरादून के स्थापना दिवस 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें यह चुनौती दी थी कि वह चंपावत विधानसभा सीटच के दूरस्थ 10 ब्लॉक में विज्ञान से विकास की परिकल्पना पर काम करें. इसको लेकर आईआईपी देहरादून में काम शुरू कर दिया है. आईआईपी देहरादून के निदेशक डॉ. रंजन रे ने बताया कि साइंटिस्ट पूनम गुप्ता इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रही हैं.
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उन्होंने कहा कि वह अपने प्रोजेक्ट के तहत इन दूरस्थ ब्लॉकों में शिक्षा व्यवस्था पर फोकस करेंगे. इसके अलावा वहां मौजूद लोगों को विज्ञान से जोड़ते हुए कुछ ऐसा तंत्र तैयार करेंगे जिससे आस-पास में ही एक ऐसा इको सिस्टम तैयार हो जिससे ग्रामीणों को ऊर्जा, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कम से कम अन्य लोगों और जगहों पर निर्भर रहना पड़े. उन्होंने कहा कि उनकी टीम शोध करेगी कि इन ब्लॉकों में आस पास क्या कुछ संसाधन उपलब्ध होते हैं, जिससे आम लोगों को जोड़कर आजीविका जुटाने का मौका मिल सके.

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