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देहरादून रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड केपी सिंह की मौत से उठे सवाल, क्या बच जाएंगे 'सफेदपोश'?

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 20, 2023, 5:22 PM IST

Kanwar Pal Singh Died
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड केपी सिंह की मौत

Dehradun Registrar Office में बैनामों से छेड़छाड़ और रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का मामला सुर्खियों में है. मामला अब ज्यादा पेचीदा और गंभीर हो गया है, जब रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड केपी सिंह यानी कंवरपाल सिंह की मौत हो गई. क्योंकि, ऐसे कई राज केपी सिंह के पास हो सकते थे, जो शायद ही पुलिस अब पता कर पाएगी. हालांकि, पुलिस का दावा है कि केपी सिंह से पर्याप्त सबूत और तथ्य जुटा लिए गए थे. अब आपको बताते हैं कि कैसे केपी सिंह ने पूरे मामले को अंजाम देकर करीब 500 करोड़ रुपए की जमीनों की रजिस्ट्री में हेराफेरी की...Land Records Forgery Accused KP Singh

देहरादूनः उत्तराखंड के देहरादून रजिस्ट्रार कार्यालय में बैनामों से छेड़छाड़ और रजिस्ट्री फर्जीवाड़े के मुख्य आरोपी केपी सिंह की सहारनपुर में मौत हो गई. केपी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल ये भी है कि आखिरकार केपी सिंह की मौत के बाद कहीं पुलिस की जांच प्रभावित तो नहीं होगी? क्या मुख्य आरोपी के दुनिया से चले जाने से कई ऐसे लोगों के नाम के खुलासे नहीं हो पाएंगे, जिनके बारे में सिर्फ केपी सिंह ही जानता था? हालांकि, दून पुलिस का कहना है कि एसआईटी ने पर्याप्त पूछताछ में तमाम तथ्य केपी सिंह से उगलवा लिए थे.

KP Singh Death Case
कंवरपाल सिंह (फाइल फोटो)

सहारनपुर में केपी सिंह की मौतः देहरादून के फर्जी रजिस्ट्री घोटाले में सहारनपुर जेल में बंद केपी सिंह यानी कंवरपाल सिंह की 19 अक्टूबर को उस वक्त मौत हो गई, जब उसके सीने में अचानक दर्द उठा और उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. सहारनपुर जिला जेल अधीक्षक की मानें तो केपी सिंह को अचानक यह दर्द उठा. कुछ ही देर में उसकी जान चली गई. केपी सिंह के खिलाफ उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में भी कई मुकदमे दर्ज थे. ऐसे में हाल ही में सहारनपुर पुलिस उसे देहरादून से लेकर गई थी. वहीं, सहारनपुर जेल प्रशासन ने केपी सिंह की मौत को सामान्य बताया है.

KP Singh Death Case
वकील कमल विरमानी

बेच डाली थी कई हैरिटेज जमीनें: केपी सिंह कितना शातिर था, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब से वो इस धंधे में घुसा, तब से लेकर अब तक उसने तकरीब 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की जमीन की रजिस्ट्री में हेराफेरी की. उसके निशाने पर आम से लेकर खास हर कोई होता था. केपी सिंह ने करीब 50 ऐसे प्लॉट और जगह भी बेच दिए थे, जो या तो देहरादून और आसपास हेरिटेज बिल्डिंग थी या जिसमें चाय बागान की जमीन भी शामिल थी.
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शातिर केपी सिंह ने अपने नाम की थी 70% रजिस्ट्रीः केपी सिंह ने ये तमाम फर्जीवाड़े कैसे किए, यह बड़ा सवाल है. दरअसल, केपी सिंह यह जानता था कि उत्तराखंड राज्य गठन से पहले देहरादून और तमाम जगहों की रजिस्ट्री सहारनपुर रजिस्ट्रार ऑफिस में आज भी रखी हुई हैं. पुराने दस्तावेज आज भी उत्तर प्रदेश के पास हैं. इसी का फायदा उठाकर केपी सिंह वकील कमल विरमानी के साथ मिलकर पुरानी रजिस्ट्री में हेराफेरी करता था. केपी सिंह और इस पूरे गिरोह के निशाने पर सबसे ज्यादा वो लोग रहते थे, जिनके रिश्तेदार या बच्चे विदेश में रहते थे और उनकी जमीन देहरादून या फिर उसके आसपास हुआ करती थी.

Cm Dhami Raid in Registrar Office
देहरादून रजिस्ट्रार कार्यालय में सीएम धामी का छापा

पहले केपी सिंह और उसके साथ के लोग उन जमीनों की रेकी करते थे. जिन जमीनों पर सालों से कोई आना-जाना नहीं करता, उसकी रजिस्ट्री निकाल कर उसमें हेराफेरी कर दी जाती थी. केपी सिंह की मौत के बाद यह भी पर्दा शायद उठ पाए कि सहारनपुर और देहरादून रजिस्ट्रार ऑफिस में उसकी सहायता कितने लोग करते थे. एक आरोपी कमल विरमानी फिलहाल जेल में बंद है, लेकिन केपी सिंह की मौत के बाद ये भी सवाल खड़ा हो रहा है कि अभी इस मामले में देहरादून के वो कौन सफेदपोश लोग शामिल थे, जिनको उसने जमीन ओने पौने दामों में दिलवाई थी या कब्जे करवाए थे.

पहले भी हो चुकी है तीन लोगों की मौतः अब तक की जांच में जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक करीब 500 करोड़ से ज्यादा की जमीन है, इस गिरोह ने हेराफेरी कर बेची है. सबसे बड़ी बात ये है कि 70% रजिस्ट्री केपी सिंह अपने नाम ही किया करता था. उसका न केवल सहारनपुर में आवास है, बल्कि देहरादून में भी उसका परिवार रहता है. रजिस्ट्री घोटाले से संबंधित लोगों की मौत की बात करें तो अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है. केपी सिंह से पहले तीन बाइंडर की मौत भी ये बताती है कि कहीं केपी सिंह की मौत के पीछे कोई रहस्य तो छुपा नहीं है.
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कैसे खुला था मामलाः यह मामला शायद ही सामने आ पाता. लगातार प्रशासन और मुख्यमंत्री के पास आ रही शिकायतों के बाद जुलाई महीने में खुद सीएम पुष्कर धामी ने देहरादून के रजिस्ट्रार ऑफिस में ही छापा मार दिया. छापा मारने के बाद मुख्यमंत्री और उनकी टीम ने यह पाया कि रिकॉर्ड रूम में रजिस्ट्री और तमाम दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ की गई है. लिहाजा, तत्काल प्रभाव से सरकार ने इस मामले में एसआईटी (SIT) का गठन कर दिया. जिसमें प्रशासन और पुलिस के साथ जमीनों से जुड़े जानकार शामिल थे. इसके बाद देहरादून पुलिस की एसआईटी जांच में कड़ी दर कड़ी जुड़ती रही और केपी सिंह समेत कमल विरमानी के साथ कई बड़े नामों का पर्दाफाश होता गया. अभी उम्मीद यही जताई जा रही है कि कई और भी नाम इस घोटाले में शामिल हो सकते हैं.

Dehradun SSP Ajay Singh
देहरादून एसएसपी अजय सिंह

पुलिस बोली, 'हमने पूछताछ में सभी साक्ष्य जुटा लिए थे': फिलहाल, देहरादून पुलिस की मानें तो पूरे मामले की जांच जिला स्तर की एसआईटी कर रही है और केपी सिंह से तमाम मामलों में पूछताछ भी कर ली गई थी. देहरादून एसएसपी अजय सिंह की मानें तो केपी सिंह की मौत दुखद है, लेकिन घोटाले से संबंधित तमाम साक्ष्य पुलिस ने जुटा लिए हैं. जल्द ही इस मामले में पुलिस चार्जशीट दाखिल कर रही है. पुलिस कप्तान की मानें तो केपी सिंह को कस्टडी में लेकर उन तमाम दस्तावेज और मामले की हर पहलू से पूछताछ की है, जिसमें आने वाले समय में और भी लोग गिरफ्तार हो सकते हैं.

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