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तो क्या सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ही थे दागदार, जानिए क्या कहते हैं जानकार?

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Published : Mar 23, 2021, 3:14 PM IST

Updated : Mar 23, 2021, 8:07 PM IST

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राज्यपाल के साथ पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत.

बीजेपी ने जिस तरह के उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर तीरथ सिंह रावत को सत्ता की चाबी दी हैं. उसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है. क्योंकि हाईकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अलावा सरकार में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है. ऐसे में माना ये जा रही है कि क्या सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के चेहरे पर ही दाग थे?

देहरादून: उत्तराखंड राज्य में 6 मार्च से शुरू हुई नेतृत्व परिवर्तन की हलचल पर 9 मार्च को उस वक्त पूर्ण विराम लग गया, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा दिया. हालांकि, उस दौरान अटकलें लगाई जा रही थी कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद कैबिनेट में भी बड़े बदलाव किए जा सकते हैं, लेकिन 10 मार्च को बतौर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कार्यभार संभालने के बाद 13 मार्च को कैबिनेट का गठन कर दिया. फिर 16 मार्च को सभी मंत्री परिषदों को कार्यभार भी सौंप दिया गया. ऐसे में एक बड़ा सवाल यही खड़ा हो रहा है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चेहरे पर ही दाग लगे थे, क्योंकि पूरी की पूरी मंत्रिमंडल को फिर से वही जिम्मेदारी सौंपी गई है. आखिर क्या इसके पीछे की असल वजह, पढ़िए इस रिपोर्ट में...

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पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र और वर्तमान सीएम तीरथ सिंह रावत.

6 मार्च से शुरू हुई इस घटनाक्रम को देखकर तो यही लगता है कि आलाकमान को सिर्फ और सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चेहरे से ही दिक्कत थी. क्योंकि आलाकमान ने सिर्फ और सिर्फ नेतृत्व का ही परिवर्तन किया बाकी पूरी कैबिनेट जस की तस बनी हुई है. लिहाजा एक बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि 4 सालों के भीतर त्रिवेंद्र सिंह रावत क्या आलाकमान के विश्वास पर खरा नहीं उतर पर या फिर आलाकमान को यह डर सताने लगा था कि अगर अब नेतृत्व परिवर्तन नहीं किया गया तो आगामी विधानसभा चुनाव भी उनके हाथ से निकल जाएगा.

तो क्या सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ही थे दागदार.

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इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहना है कि आलाकमान तक यह जानकारी पहुंचाई गई कि तत्कालिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत लोकप्रिय नहीं है. ऐसे में आलाकमान ने नेतृत्व परिवर्तन कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि अगर वर्तमान नेतृत्व पसंद नहीं है तो किसी और को राज्य की कमान सौंप जा रही हैं. ऐसे में अब वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत प्रदेशवासियों को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि जब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पसंद नहीं थे तो ऐसे में अब नए मुख्यमंत्री आ गए हैं. लिहाजा, पिछली सरकार के फैसलों पर जो विवाद है उन विवादों को वह खत्म करेंगे. इसके साथ ही यह मैसेज भी देने की कोशिश की जा रही है कि पिछली सरकार की जो गलतियां थी, वह अब दोबारा नहीं होगी. जनता नए मुख्यमंत्री पर भरोसा रखें.

लेकिन जिस तरह से मंत्रिमंडल का गठन किया गया है उससे यह साफ हो गया है कि सिर्फ और सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के चेहरे से ही दिक्कत थी. बाकी सब कुछ ठीक था. सवाल यह इसीलिए भी खड़ा हो रहा है क्योंकि पुराने मंत्रियों को बदलना तो दूर उनके विभागों में भी कोई बदलाव नहीं किया गया. पिछली सरकार में सिर्फ अकेले त्रिवेंद्र सिंह रावत ही खराब या अलोकप्रिय थे. बाकी पूरी कैबिनेट ठीक थी.

ऐसा करके हाई कमान ने यह भी जता दिया कि पिछला नेतृत्व बेकार था. यानी 4 साल का जो कार्यकाल भाजपा सरकार ने किया वो भी अच्छा नहीं रहा. जिसके चलते उन्हें एक साल पहले नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ा. ऐसे में अब वर्तमान मुख्यमंत्री सब कुछ ठीक करने की बात कर रहे हैं, लेकिन अब समय कहां है जो काम 4 साल में नहीं कर सके वह क्या मात्र अब 8 महीने में किया जा सकता है. यह एक बड़ा सवाल है.

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ऐसे में अब कुल मिलाकर देखें तो इस बदलाव का कुछ खास असर देखने को नहीं मिलेगा. त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर आलाकमान ने यह संदेश दिया है कि उन्होंने अब अपना चेहरा साफ कर लिया है. ऐसे में अब ना सिर्फ प्रदेशवासियों में एक बड़ा सवाल है बल्कि विपक्षी दल भी यही सवाल कर रहा है कि जब त्रिवेंद्र सिंह रावत उस लायक नहीं थे तो उन्हें मुख्यमंत्री क्यों बनाया गया. लेकिन अगर बनाया गया तो उन्हें 4 साल का कार्यकाल क्यों दिया गया.

अमूमन तौर पर कांग्रेस के भीतर गुटबाजी के सवाल उठते रहते हैं, लेकिन सबसे बड़ा गुटबाजी तो हाल ही में भाजपा के भीतर दिखाई दिया. जिसका ही नतीजा हुआ कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा. ऐसे में आलाकमान का सिर्फ नेतृत्व परिवर्तन कर यह संदेश देना कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ठीक नहीं है. यह सरासर गलत है. क्योंकि अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत ठीक नहीं थे तो उसमें उनकी टीम भी ठीक नहीं होगी. बावजूद उसके सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री का चेहरा बदला गया बाकी पूरी कैबिनेट और कैबिनेट मंत्रियों को पुरानी जिम्मेदारी ही दे दी गयी. यही नहीं अटकले जहां पर लगाई जा रही थी कि इस नई कैबिनेट में जो भाजपा के वरिष्ठ विधायक हैं उनको शामिल किया जा सकता था, लेकिन उनको शामिल न कर ऐसे लोगों को शामिल किया गया है. जिन पर पहले से ही आरोप लगते रहे हैं.

Last Updated :Mar 23, 2021, 8:07 PM IST
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