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New Vehicle Purchase Policy: परिवहन विभाग लेकर आया नई पॉलिसी, खरीदे जा सकेंगे 1500 सरकारी वाहन

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Published : Feb 14, 2023, 8:00 PM IST

Updated : Feb 14, 2023, 8:28 PM IST

New Vehicle Purchase Policy
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इस वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड सरकार को 1500 नए सरकारी वाहन की खरीद करनी है. अगर ऐसा नहीं हो सका तो विभागों को मिला बजट लैप्स हो जाएगा. इसलिए उत्तराखंड परिवहन विभाग ने वाहन खरीदने को लेकर संशोधित नीति तैयार कर ली है. इस प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट बैठक में पेश किया जाएगा.

वाहन खरीदने को लेकर परिवहन विभाग ने तैयार की नई नीति.

देहरादून: उत्तराखंड के तमाम सरकारी महकमों में इस साल करीब 1500 सरकारी वाहन खरीदे जाने हैं, लेकिन वाहन खरीद नीति समय के मुकाबले पुरानी होने की वजह से वाहनों के खरीद की प्रक्रिया रुकी हुई है. ऐसे में अगर इस वित्तीय वर्ष में (अप्रैल तक) वाहन नहीं खरीदे गए तो विभागों को वाहन खरीद के लिए अलॉट किया गया बजट लैप्स हो जाएगा. इसके चलते परिवहन विभाग ने वाहन खरीद नीति संशोधित प्रस्ताव तैयार कर लिया है. इस प्रस्ताव को कैबिनेट में रखा जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस वित्तीय वर्ष में 1500 सरकारी वाहन खरीदने का रास्ता साफ हो जाएगा.

दरअसल, उत्तराखंड में अभी तक साल 2016 की वाहन खरीद नीति लागू है, जिसमें वाहनों की कीमत वर्तमान के मुकाबले काफी कम है. यही वजह है कि लंबे समय से संशोधित वाहन खरीद नीति की मांग चल रही थी, जिसे देखते हुए परिवहन विभाग ने पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, मुख्य सचिव और अन्य अधिकारियों के लिए वाहन खरीद का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था. लेकिन वित्त विभाग ने तमाम कमियों को बताते हुए प्रस्ताव को लौटा दिया था और नई नीति तैयार करने की बात कही थी.

अब जाकर परिवहन विभाग ने संशोधित वाहन खरीद नीति तैयार कर ली है जिस प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने अपनी मंजूरी भी दे दी है. हालांकि, इस संशोधित वाहन खरीद नीति में बीएस-6 वाहनों के वर्तमान दामों के साथ ही ई-वाहन और सीएनजी वाहनों को भी शामिल किया गया है. इसके साथ ही इस प्रस्ताव में कैबिनेट मंत्रियों, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और डीजीपी के लिए ₹25 लाख से ₹35 लाख तक की कीमत में कार खरीदी जा सकेगी.
पढ़ें- Motor Vehicle Rules: एक अप्रैल से कबाड़ हो जाएंगे उत्तराखंड के 5 हजार से ज्यादा सरकारी वाहन, जानिए कारण

संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने बताया कि संशोधित वाहन खरीद नीति का जो प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया था, उसमें इस बात का ध्यान रखा गया है कि पहले वाहन खरीद नीति बीएस-4 के अनुसार बनी थी लेकिन वर्तमान समय में बीएस-6 (भारत स्टेज एमिशन स्टैंडर्ड-6) के वाहन चल रहे हैं. इसके अलावा तमाम सेफ्टी फीचर्स भी बढ़ा दिए गए हैं, जिसके चलते 2016 के मुकाबले वर्तमान समय में वाहनों के रेट में करीब 30-40 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव में तीन बिंदुओं- मुख्य रूप से रिंबरसमेंट व्यवस्था, किराए पर वाहन लेने की व्यवस्था और ई-वाहन खरीद व्यवस्था का प्रावधान किया गया है.

वहीं, वित्त सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि परिवहन विभाग ने जो संशोधित वाहन खरीद नीति तैयार की है, वो जारी होने के बाद ही पूरी जानकारी मिल पाएगी कि क्या प्रावधान हैं. जावलकर ने बताया कि, वाहन खरीद नीति में सिर्फ वाहनों को खरीदने का ही प्रावधान नहीं होता, बल्कि वाहनों के किराए पर लेने के साथ ही रिंबरसमेंट की व्यवस्था भी होती है. एक रणनीति के आधार पर यह निर्णय लेने की जरूरत है कि शासकीय कार्यों में बेहतर वाहनों का प्रयोग किया जाए.

क्या हैं बीएस-6 वाहन: बीएस को भारत स्टेज एमिशन स्टैंडर्ड या उत्सर्जन मानक कहते हैं. ये पॉल्यूशन को मापने का एक मानक है. बीएस के आगे लगे नंबर से ये पता चलता है कि उस वाहन से कितना प्रदूषण निकलता है. इससे पहले बीएस-4 अप्रैल 2017 से देशभर में लागू हुआ था. इसके बाद 1 अप्रैल 2020 से भारत सरकार ने बीएस-6 मानक लागू करने का फैसला किया था. इसका मतलब ये कि इस तारीख से बाद से बाजार में आने वाली गाड़ियां बीएस-6 इंजन के साथ उतरेंगी. इससे बीएस-6 इंजन की गाड़ियों की कीमत भी ज्यादा होगी.

आम तौर पर डीजल वाहन पेट्रोल की तुलना में अधिक प्रदूषण उत्पन्न करते हैं, लेकिन बीएस-6 इंजन वाली गाड़ियों में पेट्रोल-डीजल वाहनों में अंतर नहीं होगा. इस इंजन से डीजल से चलने वाली गाड़ियां 68 फीसदी और पेट्रोल वाली गाड़ियां 25 फीसदी एमिशन कम होगा.

Last Updated :Feb 14, 2023, 8:28 PM IST
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