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चंपावतः धूमधाम से मनाया गया झूमाधूरी महोत्सव, देवरथ रही आकर्षण का केंद्र

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Published : Sep 6, 2019, 11:51 PM IST

Updated : Sep 7, 2019, 12:09 AM IST

लोहाघाट क्षेत्र में करीब पांच हजार फीट की ऊंचाई पर झूमाधूरी की पहाड़ी पर मां झूमाधूरी (मां भगवती) का मंदिर विराजमान है. यहां पर भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी और अष्टमी को मेले का आयोजन किया जाता है. देवरथ को श्रद्धालु बिना वश्राम के ही मंदिर पहुंचाते हैं.

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चंपावतः लोहाघाट क्षेत्र में स्थित झूमाधूरी की पहाड़ी पर झूमाधूरी नंदाष्टमी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान पाटन पाटनी और राईकोट महर गांव से मां भगवती व महाकाली की भव्य डोला यात्रा को रस्सों के सहारे लाया गया. जो विशेष आकर्षण का केंद्र रही. माना जाता है कि यहां मां की अराधना करने से निःसंतान को संतान की प्राप्ति होती है.

धूमधाम से मनाया गया झूमाधूरी महोत्सव.

बता दें कि, लोहाघाट क्षेत्र में करीब पांच हजार फीट की ऊंचाई पर झूमाधूरी की पहाड़ी पर मां झूमाधूरी (मां भगवती) का मंदिर विराजमान है. इस मंदिर को लेकर एक किवदंती भी जुड़ी है. माना जाता है कि पाटन पाटनी गांव के एक निःसंतान राज मिस्त्री को मंदिर बनाने को लेकर एक सपने मिला था. जिसे उसने अन्य गांव के लोगों से भी साझा किया. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने मिलकर एक मंदिर की स्थापना की थी.

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वहीं, मंदिर के स्थापना के बाद भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी और अष्टमी को मेले का आयोजन किया जाता है. शुक्रवार को मंदिर में झूमाधूरी नंदाष्टमी महोत्सव धूमधाम मनाया गया. इस दौरान महिलाओं ने पारंपरिक गीतों और चावल, पुष्प की वर्षा के साथ देव रथों को खीचने वालों का स्वागत किया. माता के जयकारों के साथ श्रद्धालुओं ने देवरथों को खड़ी पहाड़ी पर चढ़ाया. मान्यता है कि गांव से निकलने के बाद एक बार भी देवरथों को विश्राम नहीं कराया जाता है. मंदिर की परिक्रमा करने बाद ही देवरथों को उतारा जाता है.

Intro:स्लग- झूमाधरी महोत्सव
- मां झूमा के आर्शिवाद से निसंतान को होती है संतान प्राप्ती
- झूमाधूरी की पहाडी पर बने मंदिर पर रस्सों के सहारे ले जाये जाते हैं देवरथ
रिपोर्टर- गिरीश सिंह बिष्ट चम्पावत 9927168184
एंकर- चम्पावत। लोहाघाट क्षेत्र से लगभग चार किमी पांच हजार फीट की ऊंचाई पर झूमाधूरी की पहाडी पर मां झूमाधूरी अर्थात मां भगवती विराजमान है। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मां की अराधना करने से निः संतान की गोद भर जाती है।
आज यहां झूमाधूरी नंदाष्टमी महोत्सव के दौरान पाटन पाटनी और राईकोट महर गांव से मां भगवती और मां महाकाली की भव्य डोला यात्रा को रस्सों के सहारे लाया गया । Body:महिलाओं द्वारा पारंपरीक गीतों और चावल पुष्प की वर्षा के साथ देव रथों को खीचने वालों का उत्साह बढाया वर्धन किया गया। माता के जयकारों के साथ श्रद्धालुओं ने देवरथों को खडी पहाडी पर चढाया। मान्यता है कि गांव से निकलने के बाद एक बार भी देवरथों को विश्राम नहीं कराया जाता है। मंदिर की परिक्रमा करने बाद ही देवरथों को उतारा जाता है।
Conclusion:इस मंदिर के साथ एक किवदंती जुडी है मान्यता है कि पाटन पाटनी गांव के एक निसंतान राजमिस्त्री को स्वप्न में यहां मंदिर बनाने की प्ररेणा मिली जिसे उसने अन्य गांव के लोगों से भी साझा किया। यहां लोगों द्वारा मंदिर स्थापना के साथ भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी व अष्टमी को मेला आयोजित किया जाने लगा।
बाइट 1- प्रमोद पाटनी मेला आयोजक
Last Updated : Sep 7, 2019, 12:09 AM IST
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