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किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर रहें सावधान, पूरी जांच के बाद ही करें किडनी का आदान-प्रदान

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Published : Apr 28, 2019, 10:15 PM IST

किडनी ट्रांसप्लांट

फिजिशियन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सम्मेलन में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने पुरानी जटिल बीमारियों के साथ ही किड्नी ट्रांसप्लांट, लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों के लक्षणों व उपचार को लेकर चर्चा की.

देहरादूनः एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया की देहरादून ब्रांच का वार्षिक सम्मेलन सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित किया गया. जिसमें दून मेडिकल कॉलेज के सीनियर डॉक्टरों ने प्रतिभाग किया. सम्मेलन में नई व पुरानी जटिल बीमारियों के साथ ही किडनी ट्रांसप्लांट, लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों के लक्षणों व उपचार को लेकर चर्चा की गई.

फिजिशियन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सम्मेलन में अनेक गंभीर बीमारियों पर चर्चा की गई.


वहीं दून मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजिशियन डॉक्टर एचडी जोशी ने बताया कि सम्मेलन में मुख्य रूप से सांस की बीमारी, जिसको दमा भी कहा जाता है, इस बीमारी के क्षेत्र में नये इंवेस्टिगेशन टेक्निक्स आने के बाद इसे इंटेस्टिसियल लंग्स डिसीज के रूप में भी जाना जाता है. जिसमें फेफड़ों के चिपकने से फाइब्रोसिस होने लगती है, ऐसी परिस्थिति में मरीज को सांस की दिक्कत शुरू हो जाती है, पर विशेष रूप से चर्चा की गई.


वहीं किड्नी ट्रांसप्लांट के बारे में उन्होंने कहा कि किडनी किसको लेनी चाहिए और किसको देनी चाहिए, ये बहुत महत्वपूर्ण होता है. दरअसल यह भी देखा गया है कि अन्य देशों में मृत शरीर से किडनी दान करने की प्रवृत्ति को सराहा जाता है. लेकिन उत्तराखंड में इस प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.


फिजिशियन एसोसिएशन ऑफ इंडिया सरकार से वार्ता करके अन्य देशों की तर्ज पर किड्नी ट्रांसप्लांट जैसे विषयों को सरकार तक पहुंचाने की तैयारी कर रही है. सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी पर भी डॉक्टर एचडी जोशी ने प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक गंभीर बीमारी है और जिस प्रकार से युवाओं में नशे की प्रवृत्ति शुरुआत से ही बढ़ने लगी है और जहां युवा एल्कोहल कंजप्शन के आदी हो रहे हैं.


वहीं एक आम आदमी की दिनचर्या दिन प्रतिदिन अनियमित होती चली आ रही है. जिस वजह से शरीर में चर्बी की मात्रा बढ़ रही है और चर्बी लीवर में जमा हो रही है और धीरे-धीरे यही बीमारी सिरोसिस के रूप में कन्वर्ट हो जाती है, जिसका इलाज करना मुश्किल होता है.


वहीं डॉक्टर एसडी जोशी ने चार धाम यात्रा मार्गो पर विशेषज्ञ चिकित्सकों के सेवाएं देने के सवाल पर कहा कि प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के चिकित्सकों को सरकार ने चार धाम यात्रा पर तैनात कर दिया है और उनका 6 माह की तैनाती का रोस्टर तैयार किया जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः कद के मुताबिक सरकार में नहीं मिला कोई पद, छलका चैंपियन का दर्द


सरकार यदि चाहे तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व एसोसिएशन ऑफ फीजिशियन ऑफ इंडिया से जुड़े विशेषज्ञ चिकित्सक चार धाम यात्रा में अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं.

फिजिशियन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सम्मेलन में अनेक गंभीर बीमारियों पर चर्चा की गई.

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एसोसिएशन ऑफ फिजीशियन ऑफ इंडिया कि देहरादून ब्रांच का वार्षिक सम्मेलन सुभाष रोड स्थित एक होटल में आयोजित किया गया जिसमें दून मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजीशियनो ने प्रतिभाग किया,। सम्मेलन में नई व पुरानी जटिल बीमारियों के साथ ही किड्नी ट्रांसप्लांट, लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों के लक्षणों व उपचार को लेकर चर्चा की गई।


Body:वहीं दून मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ फिजीशियन डॉक्टर एचडी जोशी ने बीमारियों के संदर्भ में बताया कि सम्मेलन में मुख्य रूप से सांस की बीमारी जिसको दमा भी कहा जाता है, इस बीमारी के क्षेत्र मे नये इंवेस्टिगेशन टेक्नीक्स ईजाद होने के बाद इस बीमारी को इंटेस्टिसियल लंग्स डिसीज़ के रूप में भी जाना जाता है जिसमें फेफड़ों के चिपकने से फाइब्रोसिस होने लगती है, ऐसी परिस्थिति में मरीज को सांस की दिक्कत है शुरू हो जाती है । वहीँ किड्नी ट्रांसप्लांट के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि किडनी किसको लेनी चाहिए और किसको देनी चाहिए, ये बहुत महत्वपूर्ण होता है, दरअसल यह भी देखा गया है कि अन्य देशों में मृत शरीर से किडनी दान करने की प्रवृत्ति को सराहा जाता था मगर उत्तराखंड में इस प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। फिजिशियन एसोसिएशन ऑफ इंडिया सरकार से वार्ता करके अन्य देशों की तर्ज पर किड्नी ट्रांसप्लांट जैसे विषयों को सरकार तक पहुंचाने की तैयारी कर रही है ।सिरोयसिस जैसी गंभीर बीमारी पर भी डॉक्टर एचडी जोशी ने प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक गंभीर बीमारी है और जिस प्रकार से युवाओं में नशे की प्रवृत्ति शुरुआत से ही बढ़ने लगी है और जहां युवा अल्कोहल कंजप्शन के आदी हो रहे हैं तो वहीं एक आम आदमी की दिनचर्या दिन प्रतिदिन अनियमित होती चली आ रही है, जिस वजह से शरीर में चर्बी की मात्रा बढ़ रही है और चर्बी लीवर में जमा हो रही है, और धीरे-धीरे यही बीमारी सिरोसिस के रूप में कर्म कन्वर्ट हो जाती है जिसका इलाज करना मुश्किल होता है।

बाईट-डॉ एस डी जोशी, वरिष्ठ फिजिशियन, दून मेडिकल कॉलेज


Conclusion:वहीँ डॉक्टर एसडी जोशी ने चार धाम यात्रा मार्गो पर विशेषज्ञ चिकित्सकों के सेवाएं देने के सवाल पर कहां कि प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के चिकित्सकों को सरकार ने ऑलरेडी चार धाम यात्रा पर तैनात कर दिया है और जिनका 6 माह की तैनाती का रोस्टर तैयार किया जा रहा है। सरकार यदि चाहे तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व एसोसिएशन ऑफ फीजिशियन ऑफ इंडिया से जुड़े विशेषज्ञ चिकित्सक चार धाम यात्रा में अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं।
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