बागेश्वर: जिले का उड़ेरखानी गांव (Uder Khanigaon of Bageshwar) शून्य पलायन की श्रेणी (Uder Khanigaon zero migration) में है. केंद्र सरकार की अनुसूचति जाति उपयोजना योजना (एससीएसपी) का लाभ उठाकर ग्रामीण अनाज के साथ-साथ सब्जी, मशरूम उत्पादन और मछली पालन से आजीविका चलाने के साथ-साथ अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. पलायन के इस दौर में गांव के किसी भी घर में ताला नहीं लटका है. उडे़रखानी गांव में 96 परिवारों की करीब 600 की आबादी निवास करती है. गांव के 48 परिवार गरीबी रेखा के नीचे निवास करते हैं. बीपीएल परिवारों को योजना के तहत लाभान्वित किया जा रहा है.
वर्तमान में ग्रामीणों को निशुल्क 28 पॉलीहाउस और मछली उत्पादन के लिए आठ पॉलीटैंक मिले हैं. 15 किसान योजना के तहत मशरूम उत्पादन कर रहे हैं. बागेश्वर जिले में विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की ओर से चलाई जा रही योजना का संचालन इस संस्थान की शाखा केंद्रीय विज्ञान केंद्र काफलीगैर के माध्यम से किया जा रहा है. एससीएसपी के तहत जिले के बागेश्वर विकासखंड के उडे़रखानी और गरुड़ विकासखंड के लखनी गांव को चुना गया है.
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इस योजना के लिए उडे़रखानी गांव का चयन वर्ष 2020 में हुआ था. 2021 से गांव में पॉलीहाउस लगने शुरु हुए. ग्रामीणों की मेहनत रंग लाई और पहले ही साल ग्रामीणों ने टमाटर, फूल गोभी, बंदगोभी, शिमला मिर्च, बीन्स, खीरा, प्याज, लहसुन, गडेरी, बैंगन समेत अन्य सब्जियों में 450 क्विंटल से ज्यादा अच्छी पैदावार कर करीब 15 लाख रूपये का मुनाफा कमाया.
केन्द्र सरकार की इस योजना के तहत मिल रहे लाभ से प्रेरित होकर अब काश्तकारों ने अनाज उत्पादन को भी बढ़ाना शुरू कर दिया है. केवीके की मदद से बेहतर तकनीकी और बीजों का ज्ञान हासिल कर किसान उन्नत प्रजाति के अनाज उत्पादित कर रहे हैं. गांव के खेतों में पूसा बासमती, बीएल धान, मडुवा और बीएल गेहूं की पैदावार भी होने लगी है.
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केंद्रीय विज्ञान केंद्र काफलीगैर के प्रभारी डॉ कमल पांडे ने बताया एससीएसपी योजना के तहत लाभार्थियों को निशुल्क पॉलीहाउस, पॉलीटैंक, बीज, पौध, मशरुम उगाने के लिए कंपोस्ट, सीड, मछली के सीड उपलब्ध कराए जाते हैं. इसके साथ ही किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी जानकारी मुहैया कराई जाती है. गौरतलब है कि एससीएसपी योजना का लाभ अनुसूचित बाहुल्य गांवों को ही मिलता है. योजना के तहत अनसूचित जाति के बीपीएल परिवारों को संसाधन मुहैया कराकर उनका आर्थिक विकास किया जाता है.