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एक बार फिर लोगों तक पहुंचेगी कौसानी की चाय की महक, बंद पड़ी फैक्ट्री को खोलने की कवायद

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Published : Apr 19, 2022, 5:45 PM IST

tea factory in Kausani
कौसानी की चाय की महक

बागेश्वर जिले के कौसानी की चाय एक बार फिर आपकी प्याली में होगी. उत्तराखंड टी-बोर्ड ने इसको लेकर कसरत तेज कर दी है. कौसानी में पिछले 6 सालों से बंद पड़ी चाय की फैक्ट्री को दोबारा खोलने की तैयारी की जा रही है. इस फैक्ट्री के खुलने के बाद कौसानी क्षेत्र के लगभग तीन हजार किसानों को लाभ (tea factory in Kausani) मिलेगा. कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास (Cabinet Minister Chandan Ram Das) ने इस दिशा में कदम बढ़ाया है.

बागेश्वर: कौसानी में किसानों के एक बार फिर अच्छे दिन आने वाले हैं. कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास (Cabinet Minister Chandan Ram Das) के हस्तक्षेप के बाद कौसानी में पिछले 6 सालों से बंद पड़ी चाय की फैक्ट्री खुलने की उम्मीद जाग गयी है. इसके लिए टी-बोर्ड ने कदमताल शुरू कर दी है. जिले से चंदन राम दास के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद यह पहला ऐतिहासिक कदम है, जिससे कौसानी क्षेत्र के लगभग तीन हजार किसानों को लाभ मिलेगा. हालांकि चाय फैक्ट्री कब चालू होगी (tea factory in Kausani), इसको लेकर अभीतक कुछ नहीं कहा सकता है.

बता दें कि अभीतक ये फैक्ट्री निजी हाथों में थी. लेकिन अब इसका संचालन टी-बोर्ड करने की बात कह रहा है. अलबत्ता फैक्ट्री के खुलने से विश्व प्रसिद्ध कौसानी की चाय को फिर से पहचान मिलने की उम्मीद बांधे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई है. गौरतलब है कि साल 1994-95 में कुमाऊं मंडल विकास निगम और गढ़वाल मंडल विकास निगम ने चाय प्रकोष्ठ की नींव रखी. लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में 211 हेक्टेयर भूमि का चयन चाय के बागान (Tea Garden in Kausani) के लिए हुआ, जिसमें 50 हेक्टेयर भूमि पर चाय बागान विकसित किए. 2001 में व्यावसायिक चाय बनाने की तैयारी हुई.
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चाय प्रकोष्ठ ने एक निजी कंपनी गिरिराज को कौसानी में चाय की फैक्ट्री लगाने के लिए आमंत्रित किया. सात जून 2001 को हुए एमओयू के मुताबिक अनुबंध अगले 25 वर्ष तक था. चाय फैक्ट्री लगाने का 89 प्रतिशत खर्चा गिरिराज कंपनी को उठाना था. 2002 में 50 हेक्टेयर में विकसित चाय बागान से 70 हजार 588 किलोग्राम कच्ची पत्तियां उत्पादित हुईं. लगभग 13 हजार 995 किलो चाय तैयार हुई. इसे उत्तरांचल टी के नाम से बाजार में उतारा गया.

इसके बाद साल 2004 में उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड का गठन किया. 2013 तक बोर्ड ने 211 हेक्टेयर भूमि में चाय का उत्पादन कर 2.50 लाख किलो कच्ची पत्तियां कंपनी को उपलब्ध कराईं. जून 2014 को फैक्ट्री ने दम तोड़ दिया, लेकिन अब फिर से चाय फैक्ट्री को खोलने कवायद की जा रही है. टी-बोर्ड के डायरेक्टर हरपिंदर सिंह बबेजा ने बताया कि बंद पड़ी चाय फैक्ट्री को खोलने का निर्णय लिया गया है, जिस पर काम शुरू हो गया है.
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हरपिंदर सिंह बबेजा के मुताबिक इस संबंध में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के साथ बैठक भी हुई थी. फैक्ट्री को टी-बोर्ड संचालित करेगा. जल्दी ही चाय बागान कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान किया जाएगा. चाय बोर्ड के निदेशक ने वार्ता में कर्मचारियों को इसका आश्वासन दिया. चाय बागान दैनिक वेतन भोगी और संविदा कर्मचारी संघ ने भी चाय बोर्ड के निदेशक के साथ वार्ता की. वार्ता में संघ के पदाधिकारियों ने वेतन बढ़ोत्तरी व पद स्वीकृत कराना समेत अनेक समस्याओं पर वार्ता की. निदेशक ने उन्हें शीघ्र समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया.

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