Bageshwar Uttarayani Fair: उत्तरायणी मेले में सजता है जड़ी बूटियों का अनोखा बाजार, टूट पड़ते हैं खरीदार

author img

By

Published : Jan 20, 2023, 9:23 AM IST

Etv Bharat

कुमाऊं में बागेश्वर का उत्तरायणी मेला काफी प्रसिद्ध है. इस मेले को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मेले में जमकर खरीदारी करते हैं. वहीं मेले में उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों की खासी मांग रहती है, जो कई बीमारियों में रामबाण का काम करती हैं.

मेले में सजता है जड़ी बूटियों का अनोखा बाजार

बागेश्वर: बागेश्वर के ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले में स्थानीय उत्पादों की धूम रहती है. इन उत्पादों को खरीदने लोग दूर-दूर से आते हैं. वहीं मेले में दारमा, जोहार, व्यास, चौंदास, दानपुर से आए जड़ी बूटी के व्यापारियों के सामानों की जबरदस्त मांग है. पेट, सिर, घुटने आदि दर्द के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में होने वाली गंदरैणी, जम्बू, कुटकी, डोला, गोकुलमासी, ख्यकजड़ी आदि जड़ी बूटियों को अचूक इलाज माना जाता है.

बेसब्री से रहता है इंतजार: उत्तरायणी मेले में पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, मुनस्यारी, जोहार, दारमा, व्यास और चौंदास आदि क्षेत्रों के व्यापारी हर साल व्यापार के लिए आते हैं. हिमालयी जड़ी-बूटी को लेकर आने वाले इन व्यापारियों का हर किसी को बेसब्री से इंतजार रहता है. हिमालय की जड़ी-बूटियां ऐसी दवाइयां हैं जो रोजमर्रा के उपयोग के साथ ही बीमारियों में दवा का भी काम करती हैं. दारमा के बोन गांव निवासी किशन सिंह बोनाल बताते हैं कि जंबू की तासीर गर्म होती है. इसे दाल में डाला जाता है.
पढ़ें-Bageshwar Uttarayani Fair: गुलदार से भी भिड़ जाता है उत्तराखंड का ये डॉगी, बहादुरी के हैं किस्से

हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है जड़ी-बूटी: गंदरैणी भी बेहतरीन दाल मसाला है. यह पेट, पाचन तंत्र के लिए उपयोगी है. कुटकी बुखार, पीलिया, मधुमेह, न्यूमोनिया में, डोलू गुम चोट में, मलेठी खांसी में, अतीस पेट दर्द में, सालम पंजा दुर्बलता में लाभ दायक होता है. उत्तरायणी मेले में जंबू, गंदरैणी, डोलू, मुलेठी आदि दस ग्राम 50 रुपये में, कुटकी 60 रुपये तोला के हिसाब से बिक रही है. इसके साथ ही भोज पत्र, रतन जोत सहित कई प्रकार की धूप गंध वाली जड़ी बूटियां भी बिक रही हैं. हिमालयी इलाकों में पैदा होने वाली कीमती जड़ी-बूटियां सदियों से परंपरागत मेलों के जरिए विभिन्न इलाकों तक जाती रही हैं.
पढ़ें-Bageshwar Ringal Business: विलुप्ति के कगार पर उत्तरायणी मेले की पहचान रिंगाल कारोबार, जानिए कारण

क्या कह रहे व्यापारी: व्यापारी चैत सिंह ने बताया कि मूली के ये चिप्स बर्फ की हवा में सुखाए जाते हैं. इनकी सब्जी स्वादिष्ट, स्वास्थ्य वर्धक होती है. बताया कि कुमाऊं की काशी कहे जाने वाले बागेश्वर में उत्तरायणी मेले में हिमालयी क्षेत्रों से जड़ी बूटी लाने वाले व्यापारियों का सालभर बेसब्री से इंतजार करते हैं. माघ माह की उत्तरायणी में यहां व्यापारियों और खरीदारों का तांता लगा रहता है.

उत्तरायणी मेला देखने आने वालों के लिए भोटिया बाजार मुख्य आकर्षण है. आज भी स्थानीय व बाहर से आने वाले मेलार्थी भोटिया बाजार के उत्पादों को विश्वसनीयता की नजर से देखते हैं. मेले का स्वरूप बदलने के बावजूद यह बाजार अपनी साख को पूर्ववत बनाए रखने में सफल रहा है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.