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मंत्री चंदन राम दास के काम को कौन बढ़ाएगा आगे? उपचुनाव की तैयारियों में बीजेपी-कांग्रेस, इन पर खेल सकते हैं दांव

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Published : May 11, 2023, 4:56 PM IST

Updated : May 11, 2023, 8:26 PM IST

bageshwar byelection 2023
बागेश्वर उपचुनाव 2023

उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास का बीते 26 अप्रैल को हृदय गति रुकने से निधन हो गया था. चंदन राम दास प्रदेश में बीजेपी के उन नेताओं में रहे हैं जिनका उनके क्षेत्र में बड़ा प्रभाव था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चंदन राम दास लगातार चार बार से बागेश्वर विधानसभा सीट जीतते चले आ रहे थे. वो साल 2007 से बागेश्वर सीट से विधायक थे. उनके अचानक निधन से इस सीट पर 6 महीने के अंदर चुनाव होने हैं, जिसको लेकर दोनों ही मुख्य पार्टियां बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशियों को लेकर विचार में जुट गई हैं. आखिर प्रदेश में बाई इलेक्शन की क्या स्थिति रही है, बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव को लेकर क्या है पार्टियों की रणनीति और क्या हैं समीकरण? जानिए इस खास रिपोर्ट में...

बागेश्वर उपचुनाव की तैयारियों में बीजेपी-कांग्रेस.

देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे चंदन राम दास के निधन के बाद बागेश्वर विधानसभा सीट खाली हो गई है. हालांकि, नियमानुसार सीट खाली होने के 6 महीने के भीतर उपचुनाव कराए जाने का प्रावधान है. ऐसे में सत्ताधारी पार्टी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस उपचुनाव को जीतने के लिए अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. हालांकि, अक्टूबर-नवंबर महीने में प्रदेश में निकाय के चुनाव होने हैं. ऐसे में संभावना है कि अक्टूबर महीने से पहले बागेश्वर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो सकते हैं.

अप्रैल महीने में हुआ मंत्री चंदन राम दास का निधन: परिवहन मंत्री चंदन राम दास का 26 अप्रैल को हृदय गति रुकने से निधन हो गया था. जिसके बाद बागेश्वर विधानसभा की सीट खाली हो गई है. हालांकि, मुख्य निर्वाचन कार्यालय ने अभी इस सीट को रिक्त घोषित नहीं किया है, लेकिन भाजपा समेत अन्य विपक्षी दल उपचुनाव की तैयारियों में जुट गए है ताकि मंत्री के निधन के बाद खाली हुई विधानसभा सीट पर काबिज हो सकें.
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सीट खाली होने के 6 महीने के भीतर होना है उपचुनाव: दरअसल, भारत निर्वाचन आयोग के नियम अनुसार कोई भी विधानसभा सीट खाली होने की तिथि से अगले 6 महीने के भीतर सीट को भरना अनिवार्य होता है. यानी 6 महीने के भीतर उस सीट पर उपचुनाव करा कर विधायक चुनना होता है. 26 अप्रैल को मंत्री चंदन राम का निधन हुआ था, ऐसे में भारत निर्वाचन आयोग के नियमानुसार 26 अक्टूबर से पहले इस विधानसभा सीट को उपचुनाव कराकर भरना होगा. बागेश्वर जिले के रिटर्निंग ऑफिसर यानी आरओ ने बागेश्वर विधानसभा सीट खाली होने का पत्र भेज दिया है. अब जल्द ही निर्वाचन आयोग बागेश्वर विधानसभा सीट को खाली घोषित करते हुए उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू कर देगी.

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जानें, बागेश्वर सीट का इतिहास.

चंदन राम दास की जगह भरना नहीं होगा आसान: वहीं, उपचुनाव में प्रत्याशियों के चयन के साथ ही चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुट गई हैं. भाजपा मंत्री चंदन राम दास की पत्नी पर इस उपचुनाव ने दांव खेल सकती है. क्योंकि इससे भाजपा को न सिर्फ चंदन राम दास की अच्छी छवि का फायदा मिलेगा, बल्कि सहानुभूति वोट भी बीजेपी को मिल सकते हैं. फिलहाल यह निर्णय भाजपा आलाकमान को लेना है.

साल 2007 से बागेश्वर सीट जीत रही बीजेपी: उपचुनाव को लेकर भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने बताया कि अभी चुनाव आयोग ने बागेश्वर विधानसभा सीट को खाली घोषित नहीं किया है. ऐसे में इस सीट को खाली घोषित किए जाने के बाद भाजपा आगे की प्रक्रिया शुरू करेगी. भाजपा जिसे भी इस चुनाव में अपना उम्मीदवार तय करेगी, वो भारी बहुमत के साथ चुनाव जीतेगा. उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव के लिए अलग से कोई तैयारी नहीं करती है, बल्कि भाजपा 24 घंटे जनसेवा के लिए उपलब्ध रहती है. जिससे भाजपा को चुनाव के लिए अलग से कोई तैयारी करने की जरूरत नहीं पड़ती.
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कांग्रेस को मौके की तलाश: वहीं, कांग्रेस बागेश्वर विधानसभा सीट पर 2022 चुनाव में बनाए गए प्रत्याशी रंजीत दास पर दोबारा दांव खेल सकती है. 2022 के मुख्य चुनाव में रंजीत दास, करीब 12 हजार वोटों से चुनाव हारे थे. ऐसे में कांग्रेस के पास एक और मौका है कि बागेश्वर विधानसभा सीट पर अपना परचम लहरा सके. बागेश्वर उपचुनाव की तैयारियों के सवाल पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल ने बताया कि आगामी उपचुनाव के मद्देनजर कांग्रेस इस क्षेत्र में अपने पार्टी को मजबूत करने की कवायद में जुट गई है. बूथ स्तर तक जो पहले कमियां थीं, उनको दूर किया जा रहा है.

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उत्तराखंड में अबतक कब-कब हुए उपचुनाव.

बागेश्वर सीट के इतिहास पर नजर: बागेश्वर विधानसभा सीट उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में आती है. ये अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. बागेश्वर सीट पर चुनावी समीकरणों की बात करें तो साल 2007 से यहां बीजेपी का कब्जा है. चंदन राम दास 2007 से ही इस सीट पर बीजेपी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. इसलिए भी उनकी जगह किसको दी जाए इसको लेकर बीजेपी सोच विचार की स्थिति में है. उत्तराखंड में सबसे पहले हुए चुनावों से शुरुआत करते हैं. साल 2000 में अलग प्रदेश बनने के बाद उत्तराखंड में सबसे पहला चुनाव साल 2002 में हुआ था. तब कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी.

लगातार चार विधानसभा चुनाव जीते थे चंदन राम: कांग्रेस के राम प्रसाद टम्टा ने भाजपा के नारायण राम दास को 2,177 मतों से हराया था. बस एक यही साल था जब कांग्रेस को इस सीट पर सफलता मिली थी, क्योंकि साल 2007 में दूसरे विधानसभा चुनाव के बाद से साल 2022 चुनाव तक चंदन राम दास ही बीजेपी को जीत दिलाते रहे हैं. साल 2007 में चंदन राम दास पहली बार बागेश्वर से विधायक बने और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी राम प्रसाद को 5,890 वोटों से हराया था. साल 2012 चुनाव में चंदन राम दास ने कांग्रेस के राम प्रसाद टम्टा को 1,911 मतों से हराया. वहीं, 2017 में चंदन राम दास ने कांग्रेस के बालकृष्ण को 14,567 मतों के बड़े अंतर से हराया था. साल 2022 चुनाव में भाजपा से चंदन राम दास ने लगातार जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी रंजीत दास को 12,141 वोटों से हराया था. वहीं, चंदन राम दास के बेहतरीन रिकॉर्ड को देखते हुए धामी सरकार 2.0 में उनको पहली बार कैबिनेट मंत्री पद दिया गया था.

Last Updated :May 11, 2023, 8:26 PM IST
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