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जागेश्वर धाम में श्रावण मेला शुरू, सांसद अजय टम्टा ने रिबन काटकर किया उद्घाटन

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Published : Jul 17, 2023, 7:31 PM IST

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जागेश्वर धाम

सांसद अजय टम्टा ने जागेश्वर धाम में श्रावण मेले का फीता काटकर उद्घाटन किया. अजय टम्टा ने कहा कि जागेश्वर धाम सबकी श्रद्धा का केंद्र है. मानसखंड मंदिर माला के मास्टर प्लान के तहत जागेश्वर का विकास किया जाएगा.

अल्मोड़ा: विश्व विख्यात जागेश्वर धाम में आज यानी 17 जुलाई को श्रावण माह का पहला सोमवार (उत्तराखंड के मुताबिक) से श्रावण मेला शुरू हो गया है. मंदिर में आज अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा ने रिबन काटकर मेले का उद्घाटन किया. इसके बाद मंदिर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन कर पूजा की. मेले के शुभारंभ अवसर पर स्कूली बच्चों तथा सांस्कृतिक दलों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए.

अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर जागेश्वर धाम का प्राचीन मृत्युंजय मंदिर है, जो लोक विश्वास और लिंग पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु द्वारा स्थापित बारह ज्योतिर्लिगों में से एक है. यहां 125 मंदिरों का समूह स्थापित है. हर वर्ष यहां बड़ी संख्या में लोग श्रावण माह में भगवान भोलेनाथ को दूध, जल व गंगाजल से जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.

मानसखंड मंदिर माला के तहत मंदिर का विकास: श्रावण मास के पहले सोमवार को मेले का उद्घाटन करते हुए सांसद अजय टम्टा ने सभी प्रदेशवासियों को श्रावणी मेला एवं हरेला पर्व की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि जागेश्वर धाम राज्य ही नहीं, संपूर्ण देश व विश्व में प्रसिद्ध धाम है. देश-विदेश से लोग यहां श्रद्धा के साथ आकर शीश झुकाते हैं. उन्होंने कहा कि जागेश्वर धाम सबकी श्रद्धा का केंद्र है. यहां आकर खोए हुए आत्मविश्वास को पुनर्जीवित करने की अनुभूति होती है. मानसखंड मंदिर माला में भी जागेश्वर को रखा गया है तथा मास्टर प्लान के तहत जागेश्वर का विकास किया जाएगा.

जिलाधिकारी विनीत तोमर ने कहा कि मेले के दौरान श्रृद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो इसके लिए सभी व्यवस्थाएं चाक चौबंद की गई है. साफ-सफाई, कूड़ा प्रबंधन, पेयजल व्यवस्था तथा ट्रैफिक नियंत्रण की सभी व्यवस्थाएं की गई हैं. मेला अवधि के लिए जल संस्थान उचित पेयजल व्यवस्था कर रहा है.
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गर्भ गृह से निकल नाग देवता ने दिए दर्शन: उधर श्रावण माह से पहले सोमवार पर उत्तरकाशी के रंवाईघाटी के पौंटी मोल्डा क्षेत्र के बारह गांव के आराध्य नाग देवताओं के जोड़े ने गर्भ गृह से बाहर निकलकर श्रद्धालुओं को दर्शन दिए. नाग देवताओं का जोड़ा साल भर में एक बार श्रावण माह में गर्भ गृह से बाहर निकलकर श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं. गर्भ गृह से बाहर निकलने पर पौंटी गांव से मेलों की श्रृंखला शुरू होती है.

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गर्भ गृह से निकलकर नाग देवता के जोड़े ने भक्तों को दर्शन दिए.

नाग देवताओं का जोड़ा पौंटी, मोल्डा, हुडोली, नैलाड़ी, पाणी गांव, बीणाई, कनताड़ि, खान्सी, प्लेठा और डंडाल गांव का भ्रमण करने के बाद पुनः गर्भ गृह में स्थापित हो जाते हैं. प्रत्येक गांव में नाग देवताओं के नाम से मेले का आयोजन होता है, जिसमें लोग नाग देवताओं को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के पकवान बना कर उन्हें चढ़ाते हैं.

मेलों में मांस-मदिरा प्रतिबंधित: हरियाली गर्भ गृह से बाहर निकलने से दस दिन पहले प्रत्येक गांव में नाग देवताओं के नाम से घर-घर में हरियाली डाली जाती है. जिसे गांव भ्रमण पर नाग देवताओं को चढ़ाया जाता है. हरियाली पड़ते ही मांस मदिरा का प्रयोग वर्जित हो जाता है. पौंटी गांव के प्रधान विनोद जैंतवाण बताते हैं कि नाग देवताओं के मेलों में मांस-मदिरा पर प्रतिबंध रहता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसका लोग आज भी पालन कर रहे हैं.

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