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एम्स ऋषिकेश के डॉक्टर संतोष कुमार ने कोरोना से बचाव पर लिखी किताब, CM धामी ने किया विमोचन

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Published : Dec 21, 2021, 9:53 AM IST

Updated : Dec 21, 2021, 12:05 PM IST

AIIMS Rishikesh News
किताब का विमोचन

एम्स ऋषिकेश के डॉक्टर संतोष कुमार ने 'कोरोना से बचाव एक सजग पहल' नाम की किताब लिखी है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डॉक्टर संतोष कुमार की किताब का विमोचन किया. हिंदी में लिखी गई इस किताब में कोरोना से बचाव, कोरोना के बाद के साइड इफेक्ट और उनसे बचाव का तरीका बताया गया है.

ऋषिकेश: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने एम्स ऋषिकेश के सीएफएम विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर संतोष कुमार की किताब का विमोचन किया. डॉक्टर संतोष कुमार की किताब का नाम 'कोरोना से बचाव एक सजग पहल' है. डॉक्टर संतोष कुमार ने इस किताब में कोरोना से बचाव एवं उपचार की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई हैं. महत्वपूर्ण बात ये है कि किताब हिंदी में लिखी गई है.

एम्स ऋषिकेश के डॉक्टर संतोष कुमार की किताब के विमोचन के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे हिंदी में लिखने की सराहना की. सीएम धामी ने उत्तराखंड के सभी शिक्षण संस्थानों, सरकारी विद्यालयों एवं ग्राम पंचायतों में इस पुस्तक की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह पुस्तक कोविड महामारी के समय काफी उपयोगी साबित होगी.

एम्स के डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर मनोज गुप्ता व कम्युनिटी एवं फेमिली मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना ने कोविड से जुड़ी पुस्तक के सफल प्रकाशन के लिए अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की हैं.

गौरतलब है कि डॉक्टर संतोष कुमार की लिखी 'कोरोना से बचाव एक सजग पहल' किताब में कोरोना के बाद होने वाली बीमारियों एवं उनसे बचाव के उपाय, कोविड टीकाकरण, म्यूकरमायकोसिस, कोविड-19 से बच्चों को कैसे बचाएं और कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी आदि के बारे में बताया गया है. इस पुस्तक में लोगों में कोविड महामारी को लेकर जो भ्रांतियां और जो डर हैं, उन्हें दूर करने की कोशिश की गई है. कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने की.
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  • पुस्तक में क्या हैं कोविड के बाबत महत्वपूर्ण बातें
    लेखक डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि पुस्तक का मुख्य उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग को कोविड महामारी से संबंधित संपूर्ण जानकारी प्रदान कराना है. ताकि कठिन समय पर कोई भी व्यक्ति परेशान नहीं हो. पुस्तक में कोविड से बचाव एवं उसके इलाज को लेकर सरल एवं व्यवहारिक उपायों की विस्तृत जानकारी दी गई है.

    कोविड पॉजिटिव होने पर आपको क्या करना चाहिए ?
    संक्रमित होने पर हमें कौन सी मेडिसिन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसके लिए कौन से परीक्षण कराने चाहिए, जिससे कि कठिन समय में व्यक्ति सूझबूझ के साथ काम ले सके और पैनिक से बच सके. पुस्तक में कोविड के बचाव एवं इलाज में योग एवं मेडिटेशन को वैज्ञानिक तथ्यों सहित प्रस्तुत किया गया है. चूंकि महामारी ने युवाओं एवं बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित किया है, जिससे डिप्रेशन, तनाव तथा सुसाइड इस महामारी के दुष्प्रभाव से और भी चरम पर हैं जो और चिंता का विषय है. इसके मद्देनजर पुस्तक के एक भाग में केवल महामारी से उत्पन्न मानसिक समस्याओं का व्यवहारिक निराकरण एवं निदान के बारे में खासतौर पर फोकस किया गया है.
    कोविड 19 के बीच में ही म्यूकरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) भी एक अलग प्रकोप को लेकर प्रकट हुआ था. इस बाबत भी विस्तार से बताया गया है. क्या यह वास्तव में ब्लैक फंगस है ? यह बीमारी सभी को हो सकती है या फिर किस तरह के लोगों को यह हो सकती है. इससे बचाव के लिए सावधानियों को बताया गया है.

    क्या करें क्या न करें ?
    कोविड पॉजिटिव होने पर क्या करें? कोविड-19 से लड़ने के लिए उसे समझने की आवश्यकता है. अगर आप कोविड-19 से संक्रमित पाए जाते हैं तो घबराएं नहीं. आपका परेशान होना आपके शरीर के लिए नुकसानदेय साबित हो सकता है.
    क्यों हैं शुरू के 5 दिन महत्वपूर्ण है? कोरोना से संक्रमित व्यक्ति में पहले 5 दिन का समय सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है. शरीर में कोरोना वायरस के प्रवेश के बाद यह बहुत तेजी के साथ अपनी संख्या बढ़ाना शुरू करता है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षक क्षमता कम हो जाती है.

    शुरुआत के 5 दिनों में स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक का प्रयोग नहीं करें
    पोस्ट कोविड सिंड्रोम- इन कॉम्प्लिकेशंस को निम्न वर्गों में बांटा गया है. जैसे- यदि किसी व्यक्ति में लक्षण 3 से 4 हफ्तों तक रहते हैं तो उन्हें “एक्यूट सिम्पटम्स” कहते हैं. यही लक्षण 12 हफ्तों तक रहते हैं तो उन्हें “सब-एक्यूट या ओंगोइंग सिम्पटम्स” कहते हैं. यदि कोविड के लक्षण 12 हफ्तों से अधिक दिनों तक शरीर में दिखाई देते हैं तो उन्हें “पोस्ट-कोविड सिंड्रोम” कहा जाता है.

    कोविड- 19 से शरीर के अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव
    1. फेफड़ों में अकड़न होना, जिससे सांस लेने और रक्त-प्रवाह में कठिनाई होती है.
    2. हृदय की धड़कनों का अनियमित होना (कार्डियक एरिथमिया)
    3. हृदय की स्तर/ परत में सूजन (पेरिकार्डियाइटिस )
    4. यकृत में सूजन (हेपेटाइटिस एंड अबनॉर्मल लिवर एंजाइम)
    5. रिनल इंपेयरमेंट (गुर्दों का खराब होना)
Last Updated :Dec 21, 2021, 12:05 PM IST
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