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कुमाऊं में खास रहा भैयादूज का पर्व, बहनों ने च्यूडे़ और दूब से की भाइयों की पूजा

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Published : Oct 29, 2019, 11:24 PM IST

उत्तराखंड में भाई और बहन के प्यार का प्रतीक भैयादूज का पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान बहनों ने भाइयों की लंबी उम्र की कामना की.

भैया दूज

काशीपुर/कालाढूंगी/खटीमाः देशभर में भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भैयादूज का पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इसी कड़ी में उत्तराखंड में भी भैयादूज पर्व की धूम रही. इस दौरान बहनों ने शुभ मुहूर्त पर भाइयों का तिलक कर उनकी लंबी उम्र की कामना की. वहीं, भाइयों ने बहनों को रक्षा के वचन के साथ गिफ्ट भी दिए. उधर, कुमाऊं में बहनों ने च्यूडे़ और दूब से भाइयों की पूजा की.

काशीपुर
काशीपुर में धूमधाम से भैयादूज का पर्व मनाया गया. इस दौरान दूरदराज से भाई अपने बहन के घर पहुंचे तो बहनें भी भाई के घर पहुंची. जहां पर बहनों ने नारियल देकर भाइयों को टीका लगाया. टीके के बाद बहनों ने भाइयों की आरती की. वहीं, भाइयों ने अपने बहन को गिफ्ट दिए.

धूमधाम से मनाया गया भैया दूज का पर्व.

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कालाढूंगी
कुमाऊं में भैयादूज को द्वितीया के नाम से जाना जाता है. इसके लिए खास तरह की तैयारियां की जाती है. पहले से ही विशेष तरह के धान को भिगो दिया जाता है और भिगोए हुए धान को भूनकर ओखली में कूटा जाता है. कूटने के बाद चावल (च्यूड़ा) तैयार होता है. बहनें इस च्यूडे़ को दूब और तेल के साथ मिलाकर भाइयों के सिर की पूजा करती हैं. साथ ही उनकी सुख समृद्धि की कामना करती है. किसान अपने नए धान की फसल को तीन दिन पहले भिगोकर रखते हैं. जिसके बाद इसका च्यूड़ा बनाया जाता है.

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च्यूडे़ के त्योहार को कुमाऊं की संस्कृति के साथ जोड़कर देखा जाता है. भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक इस त्योहार में च्यूड़े से सिर पूजने की परंपरा सदियों पुरानी है. आज भी इस परंपरा को मनाने के लिए बहनें ससुराल से भाई को च्यूडे़ से पूजने के लिए मायके आती हैं.

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खटीमा
खटीमा समेत कई जगहों पर भैयादूज का पर्व धूमधाम से मनाया गया. जहां पर बहनों ने भाइयों को तिलक लगाकर घास (दूब) से पूजा की. जिसके बाद पहाड़ी बोली में आशीर्वाद गीत गाकर बहनों ने अपने भाइयों की रक्षा की कामना की.

Intro:Summary-
देश भर में आज भाई और बहन के प्यार का प्रतीक भैया दूज का पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। दीपावली के बाद गोवर्धन के अगले दिन भैया दूज का पर्व मनाया जाता है।




एंकर- देश भर में आज भाई और बहन के प्यार का प्रतीक भैया दूज का पर्व धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। दीपावली के बाद गोवर्धन के अगले दिन भैया दूज का पर्व मनाया जाता है।

Body:वीओ- भ्रातृ द्वितीया कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला हिन्दू धर्म का पर्व है जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला ऐसा पर्व है, जो भाई के प्रति बहन के स्नेह को अभिव्यक्त करता है एवं बहनें अपने भाई की खुशहाली के लिए कामना करती हैं। देशभर के साथ-साथ देवभूमि उत्तराखंड में भी भैया दूज का पर्व मनाया गया। क्या छोटी बहनें और क्या बड़ी बहनें सभी अपने भाइयों की दीर्घायु की कामना करते हुए दूरदराज से अपने भाइयों की कामना लिया दोस्त के पर्व पर तिलक करने अपने भाइयों के घर पहुंचे तो वही भाई भी अपनी बहनों के यहां पहुंचे। भाइयों के प्रति बहनों के प्रेम और विश्वास का पर्व भाई दूज कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज के दिन बहने नारियल देकर भाइयों को टीका करती है। टीका करने के बाद बहने भाइयों की आरती करती हैं बदले में भाई अपने बहन को गिफ्ट देते हैं। उत्तर भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में कई अनोखी परंपराएं प्रचलित हैं जिनका निर्वहन करते हुए बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करते हुए भैया दूज का पर्व मनाते हैं।Conclusion:
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