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सावन की शिवरात्रि पर भोले के जयकारों से गूंजा हरिद्वार का दक्ष प्रजापति मंदिर

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Published : Jul 26, 2022, 3:33 PM IST

Updated : Jul 26, 2022, 3:39 PM IST

Haridwar News
हरिद्वार समाचार

सावन की शिवरात्रि पर धर्म नगरी हरिद्वार भोले के भक्तों से पट गई. शिव की ससुराल में भोलेनाथ को गंगाजल, दूध और बेलपत्र चढ़ाने के लिए भक्तों में होड़ मची रही. ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में शिव अपनी ससुराल हरिद्वार में स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर में विराजते हैं.

हरिद्वार: बम बम भोले, जय भोलेनाथ, जय शिवशंकर जैसे नारों से हरिद्वार का हर शिवालय आज गूंज रहा है. मगर शिव शंकर की ससुराल दक्षेश्वर महादेव का नजारा ही देखने वाला है. आकर्षक ढंग से सजाए गए भगवान शंकर के ससुराल दक्ष प्रजापति मंदिर में देर रात्रि से ही भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा था. यहां पर लम्बी लम्बी कतारें लग गयी थीं. भोले का हर भक्त सबसे पहले भोले का जलाभिषेक कर भोले को खुश करने का प्रयास करने में लगा था और अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था.

बड़े बुजुर्ग, महिला, बच्चे सभी शंकर को मनाने और राजी कर अपनी मनोकामनाए पूरी करने के लिए यहां पर पहुंचे हुए हैं. यह मान्यता है कि सावन के एक माह शिव अपनी ससुराल कनखल स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर में ही रहते हैं. इस दौरान जो भी यहां पर भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यही हाल हरिद्वार के हर महादेव मंदिर का है. सब जगह शिवभक्तों की कतार टूटने का नाम नहीं ले रही है.

भोले के जयकारों से गूंजा हरिद्वार

दक्ष मंदिर के मुख्य पुजारी स्वामी विशेश्वर पुरी महाराज का कहना है कि सावन मास में कोई भी भगवान का जलाभिषेक या पूजा करता है तो उसकी सभी कामनायें पूरी हो जाती हैं. सावन में शिवरात्रि पर भोलेनाथ का अभिषेक करने का विशेष महत्व है. ऐसा करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव सावन में साक्षात रूप में दक्ष प्रजापति महादेव मंदिर में विराजमान रहते हैं. वे लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए ही यहां रहते हैं और मात्र जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं. उनका कहना है कि दुनिया के सभी मंदिरों में भगवान शिव लिंग रूप में विराजते हैं और वहां लिंग रूप की पूजा होती है. मगर यही एकमात्र मंदिर ऐसा है जहां भगवान राजा दक्ष के धड़ रूप में स्थापित हैं.

भोले के भक्तों में भगवान शंकर का जलाभिषेक करने की इतनी ललक है कि वे सुबह से ही दक्षेश्वर महादेव पहुंच गए थे. सभी लाइन लगाकर अपनी अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. भक्तों की मानें तो सावन में भगवान शंकर कनखल में अपनी ससुराल में ही विराजते हैं. इस दौरान शिवरात्रि पर भगवान शंकर का जलाभिषेक करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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गुरु पूर्णिमा से शुरू हुई कांवड़ यात्रा भी आज सावन की शिवरात्रि भगवान भोले के जलाभिषेक के साथ संपन्न हो गयी. देश भर से आये करोड़ों भोले के भक्त मनोकामना पूरी होने पर अगले वर्ष दोबारा जल चढ़ाने का संकल्प लेकर अपने-अपने घरों को लौट गए.

नीलकंठ महादेव मंदिर में भी भक्तों की भीड़: ऋषिकेश के नीलकंठ महादेव मंदिर में भी सावन की शिवरात्रि पर बड़ी की संख्या में कांवड़िए पहुंचे. कई किलोमीटर लंबी लाइनें लगी हैं. भगवान शिव पर जल चढ़ा कर अपनी यात्रा समाप्त करने के लिए लोग लाइनों में लगे रहे. वहीं ऋषिकेश में प्राचीन वीरभद्र महादेव मंदिर पर भी सुबह से ही श्रद्धालुओं की लेने लगी रही. सावन की शिवरात्रि पर लोग भगवान शिव पर जलाभिषेक कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते दिखे.

आपको बता दें कि उत्तराखंड की महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य हर की पैड़ी से कांवड़ लेकर इसी प्राचीन वीरभद्र महादेव मंदिर पहुंचेंगी. यहां पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ भगवान शिव को जलाभिषेक कर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, भ्रूण हत्या पर रोक लगे अभियान को शुरू करेंगी.

Last Updated :Jul 26, 2022, 3:39 PM IST
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