आय से अधिक संपत्ति मामला: उत्तराखंड में पहली बार किसी IAS को हुई जेल, बुरे फंसे रामविलास यादव

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Published : Jun 23, 2022, 11:47 AM IST

Updated : Jun 23, 2022, 8:18 PM IST

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विजिलेंस ने आईएएस रामविलास यादव को आय से अधिक संपत्ति के मामले में 14 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया है. दिलचस्प बात ये है कि इन 14 घंटों में रामविलास ने अपना मुंह नहीं खोला है. जिन संपत्तियों के बारे में उनसे विजिलेंस ने सवाल किए हैं, वो उनका संतोषजनक जवाब नहीं दे सके हैं. वहीं, अब आईएएस रामविलास यादव को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा दिया है. ऐसे में अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी.

देहरादून: आय से अधिक संपत्ति मामले में फंसे आईएएस रामविलास यादव को करीब 14 घंटे की विजिलेंस पूछताछ के बाद कोर्ट में पेश कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है. बताया जा रहा है कि अभी तक की पूछताछ में रामविलास यादव ने विजिलेंस को आय से अधिक संपत्ति को लेकर सही जवाब नहीं दिए हैं. इतना ही नहीं, वो किसी भी रूप से पूछताछ और जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. ऐसे में आईएएस रामविलास यादव को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. हालांकि, विजिलेंस ने उनकी पुलिस कस्टडी रिमांड की मांग की थी. अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी. गौर हो कि उत्तराखंड के 22 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी आईएएस को गिरफ्तारी के बाद जेल भेजा गया हो.

उत्तराखंड विजिलेंस के एडीजी अमित सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जिस तरह से हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें विजिलेंस ऑफिस में दस्तावेज और सुबूत के पेपर लेकर पहुंचना था, ऐसा रामविलास यादव ने कुछ नहीं किया. ना ही आय से अधिक संपत्ति जांच की किसी बात का उन्होंने संतुष्ट करने वाला कोई जवाब दिया.

बुरे फंसे रामविलास यादव.

बेटी और पत्नी की संपत्ति का भी कोई लेखा-जोखा नहीं: विजिलेंस के मुताबिक, आईएएस रामविलास यादव की बेटी के अकाउंट से 15 लाख की नकदी बरामद हुई है. इस नकदी का कोई लेखा-जोखा नहीं है. उसकी भी जांच हो रही है. पत्नी के अकाउंट और संपत्ति का भी कोई सुबूत सामने नहीं आया है. इसको भी विजिलेंस जांच में शामिल किया गया है.
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70 लाख की एफडी का हिसाब-किताब नहीं: रामविलास यादव की 70 लाख की एफडी भी जांच में आई है. इस एफडी का भी कोई लेखा-जोखा प्राप्त नहीं हुआ है. विजिलेंस के मुताबिक रामविलास यादव सरकारी सेवा में हैं. उनकी पत्नी भी नौकरी करती हैं. उनकी आमदनी के हिसाब से संपत्ति 500% से अधिक है. ये संपत्ति जांच के घेरे में है. कई ऐसी संपत्तियां हैं जिनको उन्होंने ट्रस्ट का बताया है. इन संपत्तियों में लखनऊ में प्राइमरी स्कूल के साथ बिल्डिंग को भी उन्होंने दर्शाया है. लेकिन कोई आय स्रोत का लेखा-जोखा सामने नहीं आया है.

बैंक लॉकर, प्रॉपर्टी के कागजात का जवाब नहीं दिया: विजिलेंस के मुताबिक आरोपी आईएएस अधिकारी रामविलास यादव ने कोर्ट आदेश के उपरांत पूछताछ में किसी भी आय से अधिक संपत्ति का सही जवाब नहीं दिया. पूछताछ के दौरान क्रमवार प्रश्न के तहत अलग-अलग प्रॉपर्टी के क्रय विक्रय का विवरण पूछा गया. बैंक लॉकर और देहरादून आवास पर मिले प्रॉपर्टी कागजात के बारे में पूछा गया. इसके बारे में कहा गया कि मैं इसका उत्तर बाद में दूंगा या मेरी पत्नी ही बता सकती हैं. जबकि दोनों ने ही इसका कोई जवाब नहीं दिया.

असीमित प्रॉपर्टी के बारे में चुप रहे रामविलास यादव: आरोपी अधिकारी रामविलास यादव ने अपने दिलकुशा विहार रानीकोठी लखनऊ स्थित आवास और गुडंबा में स्थित, संचालित जनता विद्यालय पर किए गए काम के स्रोत व आय व्यय स्रोतों के बारे में कुछ भी कोई जवाब नहीं दिया. नोएडा में क्रय किए गए फ्लैट की रजिस्ट्री में रामविलास यादव और कुसुम यादव का नाम होने के विषय में आरोपी ने बताया कि क्रय करते हुए पुत्री नाबालिग थी. इसलिए हमारा नाम भी फ्लैट रजिस्ट्री खरीद में जोड़ा गया.

आय 50 लाख, खर्च 3 करोड़ से ज्यादा: गाजीपुर जिले में 10 बीघा की पैतृक जमीन होना बताया गया. वहीं शेष भूखंडों के बारे में कुछ भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया. वहीं ट्रस्ट की 70 लाख की एफडी के बारे में भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. अभी तक की पूछताछ में चैट पीरियड में कुल आय 50 लाख 48 हजार और व्यय 3 करोड़ 12 लाख 37 से अधिक होना पाया जा रहा है, जिससे आय से अधिक संपत्ति अर्जित किए जाने की प्रबल संभावना है.
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रामविलास को रिमांड पर लेने की तैयारी: विजिलेंस के मुताबिक आरोपी और उसके द्वारा आय-व्यय की सारी रकम के बारे में कुछ भी सही से नहीं बताया गया. जिससे स्पष्ट होता है कि आरोपी अधिकारी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित अधिनियम 2018 की धारा 13(1) ख सपठित धारा 13 (2) का जुर्म किया है. इसी के आधार में आईएएस रामविलास यादव को पूछताछ के दौरान बीती रात 2:15 पर सतर्कता अधिष्ठान में गिरफ्तार किया गया.

रात सवा दो बजे हुए गिरफ्तार: इससे पहले आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में आरोपी आईएएस रामविलास यादव बुधवार (22 जून) को ढाई साल के बाद विजिलेंस के सामने पेश हुए थे. करीब 14 घंटों की पूछताछ के बाद आखिरकार आईएएस रामविलास यादव को रात 2.15 बजे गिरफ्तार कर लिया गया. देहरादून विजिलेंस मुख्यालय में रात तकरीबन 2:15 में उनकी गिरफ्तारी की कार्रवाई पूरी की गई. इससे पहले बुधवार को हाईकोर्ट के आदेश अनुसार दोपहर 12:48 पर रामविलास विजिलेंस मुख्यालय जांच के दस्तावेजों पर जवाब देने और पूछताछ के लिए पहुंचे थे. जिसके बाद उनके साथ 14 घंटे की पूछताछ में लगभग 70 सवाल पूछे गए. रामविलास से मैराथन रूप में पूछताछ के दौरान विजिलेंस के 1 SP, 2 डिप्टी एसपी, 6 इंस्पेक्टर और 1 ज्वाइंट डायरेक्टर ने आय से अधिक संपत्ति के जांच दस्तावेजों को लेकर पूछताछ की कार्रवाई को अंजाम दिया.

डायबिटीज के मरीज बताए गए रामविलास यादव: जानकारी के अनुसार देहरादून विजिलेंस मुख्यालय में बुधवार दोपहर से लेकर देर रात चली पूछताछ की कार्रवाई के दौरान यादव ने खुद को शुगर का मरीज बताया. जिसके चलते उन्हें बीच में रेस्ट भी दिया गया. दोपहर के समय विजिलेंस ने उनके आवास से भोजन मंगा कर खाना खिलाया. वहीं कुछ देर रेस्ट के बाद जांच की लंबी सवालों की फेहरिस्त में पूछताछ चलती रही. रात 2 बजकर 15 मिनट पर आखिरकार रामविलास यादव की गिरफ्तारी की गई. इससे पहले उन्हें बुधवार शाम शासन से सस्पेंड कर दिया गया था. ऐसे में अब रामविलास की गिरफ्तारी से उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं.
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गिरफ्तारी से सेवानिवृत्ति की धनराशि और पेंशन रुक सकती है: आय से अधिक संपत्ति में फंसे आईएएस रामविलास यादव आगामी 30 जून 2022 को रिटायर होने जा रहे थे. इससे पहले ही उन को सस्पेंड करने के बाद गिरफ्तारी हुई है. इस कार्रवाई से अब यादव की सेवानिवृत्ति, ग्रेच्युटी फंड जैसी धनराशि और पेंशन तक रुक सकती है.

कौन हैं रामविलास यादव? : IAS रामविलास यादव पहले सचिव लखनऊ विकास प्राधिकरण और मंडी परिषद में एडिशनल डायरेक्टर रह चुके हैं. वर्तमान में उत्तराखंड में सचिव के पद पर कार्यरत हैं. 2019 में आईएएस यादव यूपी से उत्तराखंड आए थे. विजिलेंस टीम ने उन्हें कई बार पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन वह गैर​हाज़िर रहे. तीन सदस्यों वाली जांच कमेटी को गुमराह करने के आरोप भी उन पर लगे.

उत्तराखंड के इतिहास की पहली घटना: उत्तराखंड के 22 वर्षों के इतिहास में तमाम आईएएस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. उनकी विभिन्न एजेंसियों ने जांच भी की है लेकिन, यह पहला मौका है जब कोई आईएएस गिरफ्तार हुआ और फिर उसे जेल भेजा गया. इससे पहले एक पूर्व आईएएस भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त जरूर किए जा चुके हैं.

Last Updated :Jun 23, 2022, 8:18 PM IST
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